मार्तंड सूर्य मंदिर जिसके भग्नावशेष भी हैं भक्तों के लिए विशेष
कश्मीर में अनंतनाग से करीब 5 मील दूर मार्तंड सूर्य मंदिर है जो बेशक खंडहर बन चुका है पर श्रद्धालुओं के लिए इसका महत्व कम नहीं हुआ है।
सातवीं शताब्दी का मंदिर
एक अनुमान के अनुसार कश्मीर में मौजूद सूर्य भगवान के प्राचीन मार्तंड मंदिर का निर्माण मध्यकालीन युग में 7वीं से 8वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। इतिहासकारों का मानना है कि सूर्य राजवंश के राजा ललितादित्य ने इस मंदिर का निर्माण अनंतनाग के पास एक पठार के ऊपर किया था। इसकी मंदिर की गणना ललितादित्य के प्रमुख कार्यों में होती है। मार्तंड सूर्य मंदिर में 84 स्तंभ हैं। नियमित अंतराल पर निर्मित ये खंभे 220 फिट ऊंचे और 142 फिट चौड़े हैं। मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है, जो उस दौर की स्थापत्य कला का खूबसूरत नमूना हैं। कहा जाता है कि ये मंदिर 15वीं शताब्दी में शाहमीर राजवंश के सुल्तान सिकंदर सिकंदर बशशिकन के दौर में ही विध्वंस का शिकार हुआ था।
सूर्य के साथ ही है स्थापित हैं अन्य देव
हालांकि ये मूल रूप से सूर्य मंदिर है और यहां पर मुख्य रूप से सूर्य देव की मूर्ति ही स्थापित है। इसके बावजूद यहां पर भगवान विष्णु, गंगा और यमुना के भी मंदिर मौजूद हैं। कहते हैं सूर्य राजवंश के राजा सूर्य की पहली किरण निकलने पर यहां पर पूजा करके ही अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे। अब लगभग खंडहर में तब्दील हो चुके इस मंदिर की ऊंचाई भी घट कर 20 फुट ही रह गई है। परंतु इसके अवशेष आज भी सूर्य भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र हैं। मंदिर में उस काल के बर्तन आदि भी मौजूद हैं। इसके भग्नावशेष इसकी भव्यता का प्रमाण देते हैं।