इस मंदिर में एक साथ होते हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश के दर्शन
आप घूमने के शौकीन हैं तो इन दिनो आप के लिये महाराष्ट्र की सैर करना अच्छा रहेगा। यहां आप को त्रिदेवों के दर्शन तो होंगे ही साथ ही आप एक ज्योतिर्लिंग के भी दर्शन का आनंद उठा सकेंगे।
यहां करें एक साथ ब्रह्मा विष्णु महेश के दर्शन
महाराष्ट्र जायें तो शिरडी, भीमशंकर शिव मंदिर, एलोरा, एलिफेंटा गुफाओं के साथ त्र्यंबकेश्वर जरूर जायें। शिव जी के बारह ज्योतिर्लिगों में श्री त्र्यंबकेश्वर का दसवां स्थान है। यह महाराष्ट्र में नासिक शहर से 35 किलोमीटर दूर गौतमी नदी के तट पर बसा हुआ है। मंदिर के अंदर एक छोटे से गङ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग हैं। जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक माना जाता हैं। त्र्यंबकेश्वर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इस ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही विराजित हैं।
बेहद खूबसूरत है मदिर की नक्काशी
काले पत्थरों से बना ये मंदिर देखने में बेहद सुंदर नजर आता है। यहां गाय को हरा चारा खिलाने का चलन है। नासिक से त्र्यंबकेश्वर मंदिर तक का सफर 35 किलोमीटर का है। इस मंदिर में प्रवेश से पहले यात्री कुशावर्त कुंड में नहाते हैं। यहां हर सोमवार के दिन भगवान त्र्यंबकेश्वर की पालकी निकाली जाती है। ये पालकी की कुशावर्त ले जाई जाती है और फिर वहां से वापस लाई जाती है। मंदिर की नक्काशी बेहद सुंदर है। इसी क्षेत्र में अहिल्या नाम की एक नदी गोदावरी में मिलती है। कहा जाता है कि दंपत्ति इस संगम स्थल पर संतान प्राप्ति की कामना करते हैं।
ऐसे करें पूजन
श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर में अभिषेक और महाभिषेक के लिए पंडितों की व्यवस्था होती है। अगर आप बिना लाइन में लगे ही मंदिर के अंदर जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको प्रति व्यक्ति पंद्रह रुपए देने होंगे। अभिषेक के लिए यहां पंडित को अलग से रुपये देने होते हैं। इसके बाद आप मंदिर में पूरे विधि-विधान से भगवान त्र्यंबकेश्वर का अभिषेक करवा सकते हैं।
ऐसे पहुंचे त्र्यंबकेश्वर
त्र्यंबकेश्वर जाने के लिए आप को नासिक पहुंचना होगा। नासिक भारत के हर क्षेत्र से रेल तथा सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। हवाई मार्ग से जाने के लिए औरंगाबाद तथा पूर्ण हवाई अड्डे समीप हैं। त्र्यंबकेश्वर गांव नासिक से काफी नजदीक है। नासिक पूरे देश से रेल, सड़क और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप नासिक पहुंचकर वहां से त्र्यंबकेश्वर के लिए बस, ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं। यहां हर साला श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।