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यहीं हुआ था शक्‍ति रूपा पार्वती और शिव का व‍िवाह

कहते हैं कि इस मंदिर के अंदर सदियों से जलने वाली अग्नि को साक्षी मानकर ही देवी पार्वती और भोलेनाथ ने विवाह संस्‍कार संपन्‍न किया था।

By Molly SethEdited By: Published: Sat, 03 Mar 2018 04:00 PM (IST)Updated: Mon, 05 Mar 2018 10:00 PM (IST)
यहीं हुआ था शक्‍ति रूपा पार्वती और शिव का व‍िवाह
यहीं हुआ था शक्‍ति रूपा पार्वती और शिव का व‍िवाह

शिव पार्वती का पवित्र स्‍थान 

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महादेव और देवी पार्वती के भक्तों का मानना है कि विश्व की उत्पत्ति शिव की कृपा से हुई है और एक दिन यह शिव में ही विलीन हो जाएगी। भगवान भोले का श्रंगार, विवाह, तपस्या और उनके भक्तगण सब अनोखे हैं। मगवान शिव से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं, और ये कथाएं जिन स्‍थानों पर घटी हैं वे सब  तीर्थस्थलों के रूप में प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही है भारत का उत्‍तराखंड राज्‍य जो अन्‍य देवी देवताओं के साथ महादेव से भी जुड़ी कई धार्मिक और पौराणिक कथाओं के लिए जाना जाता है। हर स्थान के पीछे एक अबूझ रहस्य भी जुड़ा हुआ है। यहां का त्रियुगीनारायण मंदिर ऐसे ही पौराणिक मंदिरों में से एक है, जो त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है। यह गांव रुद्रप्रयाग जिले का ही एक भाग है। 

पार्वती और शंकर का विवाह स्‍थल 

त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह स्थल भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह स्थल है। इस मंदिर की एक खास विशेषता मंदिर के अंदर जलने वाली अग्नि है। जिसके बारे में मान्‍यता है कि यह सदियों से यहां जल रही है। ऐसा विश्‍वास है कि शिव और पार्वती जी ने इसी अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। इसलिए इस जगह का नाम त्रियुगी पड़ गया जिसका मतलब है, अग्नि जो तीन युगों से जल रही है। यह अग्नि नारायण मंदिर में स्थित है, और इसे त्रियुगीनारायण मंदिर कहा जाता है।


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