कोई निर्मित है उल्कापिंड से तो कोई बना है अष्टधातु से ये हैं भारत के पांच प्रमुख शनि मंदिर
शनिवार को आप करेंगे शनिदेव की अराधना तो चलिए जानें भारत के पांच प्रमुख शनि मंदिरों और उनकी विशेषताओं के बारे में।
महाराष्ट्र का शनि शिंगणापुर मंदिर
महाराष्ट्र में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर को कई लोग शनि देव का जन्म स्थान भी मानते है। यहां की खासियत है कि यहां शनिदेव की प्रतिमा खुले में स्थापित है उनका कोई मंदिर नहीं है यानि ना कमरा, ना कोई छत। शिंगणापुर की शनिदेव प्रतिमा लगभग 5 फीट 9 इंच ऊंची और लगभग 1 फीट 6 इंच चौड़ी है।
तिरुनल्लर का शनि मंदिर
तमिलनाडु के तिरुनल्लर में बना ये शनि मंदिर नवग्रह मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि शनिदेव के प्रकोप के कारण अगर किसी को बदकिस्मती, गरीबी और अन्य बुरे प्रभावों का सामना करना पड़े तो इस मंदिर में भगवान शिव की अराधना करनी चाहिए। ऐसा करने पर तत्काल शनि के सभी बुरे प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है।
इंदौर का शनि मंदिर
शनिदेव का एक प्राचीन मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है। कहा जाता है कि यह हिंदुस्तान का ही नहीं विश्व का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है। ये भी मान्यता है कि इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे। इस मंदिर के बारे में प्रचलित कथा है कि लगभग 300 वर्ष पूर्व इस स्थान पर एक 20 फुट ऊंचा टीला था जिसे बाद में यहां के वर्तमान पुजारी के पूर्वजों ने मंदिर की स्थापना की थी।
ग्वालियर का शनिचरा मंदिर
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मुरैना के एंती गांव में शनिदेव मंदिर का मंदिर है। कहते हैं कि ये त्रेतायुगीन शनि मंदिर है और यहां प्रतिष्ठत शनिदेव की प्रतिमा भी विशिष्ठ है। इस प्रतिमा के बारे में किंवदंती है कि ये आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है। कहा तो ये भी जाता है कि महाराष्ट्र के शिंगणापुर शनि मंदिर की शनि शिला भी इसी पिंड का अंश है। कहते हैं कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर उन्हें मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था, इसीलिए इस मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।
दिल्ली का शनि तीर्थ क्षेत्र
दिल्ली के महरौली में असोला, फतेहपुर बेरी में स्थित है शनि तीर्थ। ऐसा माना जाता है कि यहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित है जो अष्टधातुओं से बनी है।