मंगलकारी है श्री विष्णु चरण बंदन
ऐसे तो गयाजी में चमत्कारी और दिव्य स्थलों की कोई कमी नहीं। यहां ऐसे कितने ही तीर्थ हैं जिनका अपना वैशिष्ट रहा है पर इन सबों के मध्य री विष्णुचरण की महिमा अक्षुण्ण है। इहलोक के परम मोक्ष कारी व असीम शांतिदायक तीर्थो में एक श्री विष्णु चरण की महिमा से धर्म साहित्य के कितने ही पृष्ठ सुशोभित हैं। गया का श्री विष्णुचरण धर्मशिला पर
ऐसे तो गयाजी में चमत्कारी और दिव्य स्थलों की कोई कमी नहीं। यहां ऐसे कितने ही तीर्थ हैं जिनका अपना वैशिष्ट रहा है पर इन सबों के मध्य री विष्णुचरण की महिमा अक्षुण्ण है। इहलोक के परम मोक्ष कारी व असीम शांतिदायक तीर्थो में एक श्री विष्णु चरण की महिमा से धर्म साहित्य के कितने ही पृष्ठ सुशोभित हैं।
गया का श्री विष्णुचरण धर्मशिला पर अंकित है जो स्वर्ग से लाई गई है। 13 ईंच लंबा यह दाहिना चरण उत्तरमुखी है जैसे कोई भी शिवलिंग उत्तरमुखी स्थापित रहता है। हां कुछ विशेष को छोड़कर। चरण की महिमा श्री रामचरित मानस में गोस्वामी जी कुछ इस प्रकार करते हैं- बंद में गुरुपद पदुम परागा, सुरुचि सुवास सरस अनुरागा। ऐसे तो श्री विष्णुचरण ने कितनों की इहलीला ही बदल दी और भारत में भक्तिरस का एक नया अध्,ाय ही प्रज्जवलित हुआ। इनमें श्री गौरांग महाप्रभु का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है जो श्री विष्णु चरण की प्रेरणा से ही भारत ख्यात भक्त बने। भक्त शिरोमणि मीराबाई तो अपनी भजनावली में चरण महिमा का बखान स्थान-स्थान पर किया है। मीराबाई कहती है 'चरण बिना मोहि कछु नहीं भावे' तो आगे भी श्री विष्णु के चमत्कारी दशवतार में एक श्री कृष्ण से अनुनय विनय करती हैं। जन्म-जन्म चरणों में रखियो। सचमुच गया में श्री विष्णु चरण की महिमा व पुण्य प्रसिद्धि अन्यतम-अद्वितीय है। नित्य चंदन से बने मोक्षकारी नौ चिन्ह और तुलसी से श्रृंगार के उपरांत चरण की मोक्षकारी शक्ति में और भी वृद्धि होती है। यही कारण है कि लाखों वर्ष बाद भी चरण की अवस्थिति ज्यों का त्यों विद्यमान है। इसी चरण पर पंच पदार्थो से बना पंचामृत अमृत तुल्य परम हितकारी है। चरण की महिमा अनुमान जी भी गाते हैं - चरण शरण में आई के करहू तुम्हारा ध्यान। कष्टों से रक्षा करो राम भक्ति देहू दान।।
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