सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर में होती है विशेष पूजा, लगती है भक्तों की भीड़
सावन के महीने वैसे तो शिव जी के सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है पर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तो बात ही अलग है, इसकी छवि ही निराली होती है।
सावन में काशी
शिव की नगरी कहलाती है काशी आैर सावन में तो यहां का हर व्यक्ति जैसे शिव गण बन जाता है। विश्व प्रसिद्घ काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के महीने में विशेष पूजा अर्चना होती है जिसमें भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस अवधि में यहां रुद्राभिषेक का विशेष आयोजन होता है आैर लाखों की तादाद में भक्त इसमें शामिल होते हैं। हजारों टन गंगा जल से शिव जी का जलाभिषेक होता है।
आदि भूमि
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार काशी को आदि भूमि कहा जाता है। एेसा विश्वास है कि प्रलयकाल में भी इसका लोप नहीं होता। उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। यही नहीं, आदि सृष्टि स्थली भी यही भूमि कही जाती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके शंकर जी को प्रसन्न किया था और फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने समस्त संसार की रचना की थी।
प्रमुख ज्योतिर्लिंग
काशी विश्वनाथ मंदिर शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मान्यता है कि यह मंदिर कई हजार वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यहीं पर सन्त एकनाथ ने वारकरी सम्प्रदाय का प्रमुख ग्रन्थ श्री एकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया था। जिसके बाद काशिनरेश ने उस ग्रन्थ कि हाथी पर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली थी।