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अमरनाथ यात्रा का माहात्म्य..

मान्यता है कि पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाने के लिए शिव ने जिस निर्जन स्थल का चयन किया था, वही अमरनाथ गुफा है। एक पौराणिक आख्यान है कि मां पार्वती ने एक बार भगवान शिव से उनके मुंडमाला पहनने का कारण पूछा। शिव ने कहा कि जब भी तुम जन्म लेती हो, मैं इसमें एक मुंड और जोड़ लेता हूं। इस पर पार्वती सोचने लगीं कि साक्षात शक्ति हो

By Edited By: Published: Fri, 03 May 2013 03:48 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2013 04:48 PM (IST)
अमरनाथ यात्रा का माहात्म्य..

मान्यता है कि पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाने के लिए शिव ने जिस निर्जन स्थल का चयन किया था, वही अमरनाथ गुफा है।

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एक पौराणिक आख्यान है कि मां पार्वती ने एक बार भगवान शिव से उनके मुंडमाला पहनने का कारण पूछा। शिव ने कहा कि जब भी तुम जन्म लेती हो, मैं इसमें एक मुंड और जोड़ लेता हूं। इस पर पार्वती सोचने लगीं कि साक्षात शक्ति होते हुए भी मुझे बार-बार जन्म लेना पड़ता है, परंतु भगवान शिव अजर-अमर हैं। मां पार्वती शिव से उनके अमरत्व का रहस्य जानने को व्याकुल हो उठीं। भगवान शिव नहीं चाहते थे कि उनके अलावा कोई और अमरत्व के रहस्य सुने, इसलिए वे ऐसे निर्जन स्थान की तलाश करने लगे, जहां कोई न हो। तब उन्हें मिली अमरनाथ गुफा। इस बार अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होकर श्रावण पूर्णिमा अर्थात 13 अगस्त तक चलेगी। भौगोलिक स्थिति

समुद्र तल से 13600 फीट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के उत्तर-पूर्व में स्थित है। 16 मीटर चौड़ी और लगभग 11 मीटर लंबी यह गुफा भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। गुफा में बनने वाला पवित्र हिमलिंग शुक्ल पक्ष के दौरान बढ़ने लगता है, जबकि कृष्ण पक्ष में चंद्रमा के आकार के साथ ही इसका आकार भी घटने लगता है। ऐतिहासिक महत्व

कल्हण की ऐतिहासिक पुस्तक राजतरंगिणी में अमरनाथ गुफा का उल्लेख मिलता है। इसका अस्तित्व 12वीं सदी से पहले का माना जाता है, परंतु मौजूदा दौर में इसकी खोज मुसलमान गड़रिये बूटा मलिक ने की थी। उसने सर्वप्रथम इस गुफा में प्राकृतिक हिमलिंग बनने की खबर सबको दी। आज तक बूटा मलिक के परिवार को अमरनाथ पर चढ़ने वाले चढ़ावे का एक हिस्सा दिया जाता है। आध्यात्मिक आभास

सावन के महीने में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। आस्था, उल्लास, उत्सव और सेवा का समागम एक साथ दिखाई देता है। यात्रा शुरू होने से पहले ही मंदिरों का शहर जम्मू साधुओं का डेरा बन जाता है। यात्रा मार्ग

यात्रा जम्मू से शुरू होती है। इसके दो मार्ग हैं। पहला मार्ग पहलगाम से, तो दूसरा बालटाल से शुरू होता है। श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड यात्रियों की सुरक्षा और सुगमता के लिए पहलगाम मार्ग से यात्रा करने की सलाह देता है। यह मार्ग लंबा, परंतु बालटाल की तुलना में कम जोखिम भरा है।

जम्मू से पहलगाम 315 किलोमीटर की दूरी पर है। जहां एसआरटीसी की बसों और निजी टैक्सियों से पहुंचा जा सकता है। पहलगाम से चंदनबाड़ी 16 किलोमीटर, चंदनबाड़ी से पिस्सु टॉप 3 किलोमीटर, पिस्सु टॉप से शेषनाग 9 किलोमीटर, शेषनाग से पंचतरणी 12 किलोमीटर और पंचतरणी से गुफा का रास्ता 6 किलोमीटर का है।

वहीं, दूसरे मार्ग में जम्मू से ऊधमपुर, काजीगुंड, अनंतनाग, श्रीनगर और सोनमर्ग होते हुए बालटाल पहुंचा जा सकता है। बालटाल से पवित्र गुफा महज 14 किलोमीटर की दूरी पर है। बालटाल से 2 किलोमीटर पर दोमेल, दोमेल से 5 किलोमीटर पर बरारी मार्ग, यहां से संगम 4 किलोमीटर और संगम से गुफा मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सद्भाव का संगम

वे चाहे पालकी और घोड़े वाले हों या फिर वहां टेंट लगाने और कंबल बांटने वाले, सभी अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था देख रहे होते हैं। हालांकि वे सभी दूसरे धर्म के लोग होते हैं, लेकिन वे भी वर्ष भर इस यात्रा का इंतजार करते हैं। हर इंसान में दिखे भगवान

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