Pitru Paksha Shradh 2022: तर्पण और पिंडदान के लिए सबसे उपयुक्त हैं भारत के ये 10 सिद्ध स्थल
Pitru Paksha Shradh 2022 हिन्दू धर्म में पिंडदान का बहुत महत्व है। इसके साथ शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि सिद्ध स्थानों में श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
नई दिल्ली, Pitru Paksha Shradh 2022: आज यानि 10 सितंबर 2022 से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है। हिन्दू धर्म में इसका महत्व सबसे अधिक है। पितृपक्ष के 15 दिनों की अवधि में लोग अपने पितरों की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज इत्यादि करते हैं। मान्यताओं के अनुसार पिंडदान और तर्पण सिद्ध और धार्मिक स्थलों पर करने से व्यक्ति को उचित फल की प्राप्त होती है। ऐसे में भारत के विभिन्न हिस्सों में ऐसे कई सिद्ध स्थल चिन्हित किए गए हैं जहां लोग श्राद्ध कर्म (Pitru Paksha Shradh) सफलता पूर्वक कर सकते हैं। आज हम आपको 10 ऐसे सिद्ध स्थलों के विषय में बताएंगे जहां आप पिंडदान कर सकते हैं।
पिंडदान के लिए उपयुक्त भारत के ये 10 सिद्ध स्थल (10 Places for Shradh and Tarpan)
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काशी- उत्तर प्रदेश में मोक्ष नगरी से प्रख्यात काशी को श्राद्ध और तर्पण के लिए सबसे उचित स्थल माना गया है। मान्यता है कि यहां पर किए गए कर्मकांड से पितरों को निश्चित रूप से मुक्ति प्राप्त होती है।
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गया- बिहार के गया शहर की गिनती भी सिद्ध स्थलों में होती है। यही कारण है कि इस स्थान पर श्राद्ध कर्मों को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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हरिद्वार- उत्तराखंड में स्थित हरिद्वार को देव नगरी के नाम से भी जाना जाता है। पितृपक्ष के दौरान इस स्थान पर लाखों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं और श्राद्ध कर्मों को पूरा करते हैं।
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पुष्कर- राजस्थान में मौजूद इस सिद्ध स्थल में एक प्राचीन झील मौजूद है, जहां लोग मुक्ति कर्म करते हैं।
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लक्ष्मण बाण- कर्नाटक में मौजूद इस सिद्ध स्थल के तार रामायण काल से जुड़े हुए हैं। मान्यता है कि इसी स्थान भगवान श्री राम ने अपने पिता का श्राद्ध कर्म किया था। ऐसे में तर्पण और पिंडदान के लिए इस स्थान का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
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नाशिक- महाराष्ट्र में स्थित नाशिक शहर से गोदावरी नदी बहती हैं जिन्हें दक्षिण गंगा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में इस सिद्ध स्थान को श्राद्ध के लिए सबसे उचित माना जाता है।
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प्रयाग- उत्तरप्रदेश में मौजूद प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर लोग श्राद्ध कर्म करते हैं। यह वही स्थान है जहां तीन देव नदी गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी का संगम होता है।
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ब्रह्मकपाल- उत्तराखंड में स्थित इस धार्मिक स्थल का श्राद्ध के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि जिन पितरों को किसी अन्य स्थान पर मुक्ति नहीं प्राप्त होती है उन्हें इस स्थान पर निश्चित ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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पिंडारक- गुजरात में स्थित पिंडारक का भी पिंडदान के लिए सबसे उचित स्थान माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर पांडवों ने पिंडदान किया था।
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लौहनगर- राजस्थान में मौजूद इस स्थान का भी महत्व बहुत अधिक है। मान्यता है कि इसी स्थान पर मौजूद सूरजकुंड में पांडवों ने अपने पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म किया था।
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