पंचकोस गयाजी में आने मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते है
पंचकोस गयाजी में आने मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते है। गयाजी पांच कोस में फैला तीर्थस्थल हैं। विष्णुपद इस पंचकोस भूमि का प्रधान स्थल है। अपने पितरों की मोक्षा की कामना लेकर आने वाले व्यक्ति के इस भूमि पर पैर पड़ने मात्र से ही उसके सभी पाप
गया। पंचकोस गयाजी में आने मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते है। गयाजी पांच कोस में फैला तीर्थस्थल हैं। विष्णुपद इस पंचकोस भूमि का प्रधान स्थल है। अपने पितरों की मोक्षा की कामना लेकर आने वाले व्यक्ति के इस भूमि पर पैर पड़ने मात्र से ही उसके सभी पाप धुल जाते है।
जाने-अंजाने में किये गये पापों से यहां आने से ही व्यक्ति निष्पाप हो जाता हैं। पितृपक्ष के दौरान 17 दिनों के अंदर ही पिंडदान करना उतम होता है। इस समय सीमा के अंदर जो भी पिंडदान या श्रद्ध करता है। उसके सात कुलों का उद्धार हो जाता है। यहां आकर तीन रात्रि रहकर पिंडदान करना चाहिए। एक दिन या जल्दीबाजी में श्रद्ध करना ठीक नहीं है। गयाजी के पंडों को स्वयं ब्रहमा का आशीवार्द प्राप्त है।