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ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह पूर्वी निमाड़ (खंडवा) जिले में नर्मदा के दाहिने तट पर स्थित है। बाएं तट पर ममलेश्वर है जिसे कुछ लोग असली प्राचीन ज्योतिर्लिंग बताते हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि रात को शंकर पार्वती व अन्य देवता यहां चौपड-पासे खेलने आते हैं। इसे अपनी आंखों से देखने के लिए स्वतन्त्रता

By Edited By: Published: Tue, 07 May 2013 04:12 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2013 04:36 PM (IST)
ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह पूर्वी निमाड़ (खंडवा) जिले में नर्मदा के दाहिने तट पर स्थित है। बाएं तट पर ममलेश्वर है जिसे कुछ लोग असली प्राचीन ज्योतिर्लिंग बताते हैं।

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इसके बारे में कहा जाता है कि रात को शंकर पार्वती व अन्य देवता यहां चौपड-पासे खेलने आते हैं। इसे अपनी आंखों से देखने के लिए स्वतन्त्रता पूर्व एक अंग्रेज यहां छुप गया था। लेकिन सुबह को वो मृत मिला। यह भी कहा जाता है कि शिवलिंग के नीचे हर समय नर्मदा का जल बहता है।

यहां नर्मदा पर एक बांध भी बना है। बांध के पास से ही पानी की दो धाराएं बन जाती हैं- एक तो नर्मदा व दूसरी कावेरी। बाद में ये मिल जाती हैं जिसे संगम कहते हैं। दोनों नदियों के बीच में? आकार का पर्वत है। इसी पर ओमकारेश्वर स्थित है। इस ? पर्वत की परिक्रमा भी की जाती है। परिक्रमा सात किलोमीटर की है। परिक्रमा मार्ग में खेडापति हनुमान, नर्मदा-कावेरी संगम, गौरी सोमनाथ, राजा मुचकुंद का किला, चांद-सूरज द्वार, सिद्धनाथ बारहद्वारी, गायत्री मंदिर और राजमहल आते हैं।

इस बारे में एक कथा है। एक बार नारदजी, विन्ध्य पर्वत पर आये। विन्ध्य ने अभिमान से कहा- मैं सर्व सुविधा युक्त हूँ। यह सुनकर नारद बोले-ठीक है। लेकिन मेरू पर्वत तुमसे बहुत ऊंचा है। यह सुनकर विन्ध्य उदास हो गया। धिक्कार है मेरे जीवन को। फिर उसने शिवजी की तपस्या की। जहाँ आज ज्योतिर्लिंग है, वहां शिव की पिण्डी बनाई और तपस्या करता रहा। तपस्या से प्रसन्न होकर जब शिवजी ने वर मांगने को कहा तो विन्ध्य बोला-हे भगवान आप यहां स्थाई रूप से निवास करें। कहते हैं तभी से यह स्थान शिवजी का वास माना गया है।

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