Move to Jagran APP

Navratri 2019: मां नयनादेवी ने यहां किया था शक्तिशाली महिषासुर का वध, ऐसी है इसकी मान्यता

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित शक्तिपीठ नयनादेवी मंदिर में हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। नवरात्र में मंदिर की रौनक और चहलपहल देखते बनती है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 01:50 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 07:00 AM (IST)
Navratri 2019: मां नयनादेवी ने यहां किया था शक्तिशाली महिषासुर का वध, ऐसी है इसकी मान्यता
Navratri 2019: मां नयनादेवी ने यहां किया था शक्तिशाली महिषासुर का वध, ऐसी है इसकी मान्यता

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित शक्तिपीठ नयनादेवी मंदिर में हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। नवरात्र के दौरान मंदिर डेढ़ घंटे के लिए बंद होता है। नवरात्र में मंदिर की रौनक और चहलपहल देखते बनती है। 

loksabha election banner

पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने खुद को यज्ञ में जला दिया था, जिससे भगवान शिव व्यथित हो गए थे। उन्होंने देवी सती के शव को कंधे पर उठाया और तांडव नृत्य किया। इससे देवता भयभीत हो गए। उन्होंने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे सुदर्शन च्रक से देवी सती के शरीर के टुकड़े कर दें। नयनादेवी में देवी सती की आंखें गिरीं।

मंदिर के निर्माण से जुड़ा रोचक इतिहास

किंवदंती के अनुसार एक बार नैना गुच्जर मवेशियों को चराने गया था। उसने देखा कि एक सफेद गाय पिंडीनुमा पत्थर पर दूध छोड़ रही है। यह दृश्य उसने कई दिनों तक देखा। एक रात वह सो रहा था तो देवी मां ने सपने में उसे कहा वह पत्थर उनकी पिंडी है। नैना गुच्जर ने इस बार में राजा बीर चंद को बताया। राजा ने मौके पर जाकर गाय को पत्थर पर दूध छोड़ते हुए देखा। इसके बाद उन्होंने उस जगह पर नयना देवी मंदिर का निर्माण करवाया। यह शक्तिपीठ महीशपीठ नाम से भी जानी जाती है, क्योंकि यहां पर मां नयना देवी ने महिषासुर का वध किया था। महिषासुर शक्तिशाली राक्षस था। उसे अमरत्व का वरदान मिला हुआ था, लेकिन शर्त यह थी वह अविवाहहित युवती से परास्त होगा। महिषासुर ने पृथ्वी व देवताओं पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। राक्षस का सामना करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्ति से एक देवी को बनाया। उसे देवताओं ने अलग-अलग हथियार भेंट किए। महिषासुर देवी की सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने देवी के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा। देवी ने कहा कि अगर वह उसे हरा देगा तो वह उससे शादी कर लेंगी। लड़ाई के दौरान देवी ने उसका संहार कर दिया।

ऐसे पहुंच सकते हैं नयनादेवी मंदिर 

नयनादेवी मंदिर सड़क मार्ग से जुड़ा है। चंडीगढ़ से मंदिर की दूरी करीब 100 किलोमीटर है। चंडीगढ़ से हेलीकॉप्टर व बस से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। आनंदपुर साहिब से भी नयनादेवी के लिए बसें चलती हैं। ट्रेन से पहुंचने के लिए सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.