Navratri 2019 Maa Durga Shakti Peeth: नवरात्रि में मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों पर लगता है भक्तों का तांता, मुरादें पुरी करती हैं माता
Navratri 2019 Maa Durga Shakti Peeth देश और आस-पड़ोस के देशों में मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ हैं जहां पर नवरात्रि में लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर माता के दर्शन करने जाते हैं।
Navratri 2019 Maa Durga Shakti Peeth: मां दुर्गा की आराधना को समर्पित शारदीय नवरात्रि चल रही है। नवरात्रि के समय माता के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है। देश और आस-पड़ोस के देशों में मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ हैं, जहां पर लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर माता के दर्शन करने जाते हैं। माता रानी अपने भक्तों को निराश नहीं करती हैं। भक्त जो भी मनोकामना लेकर माता के दरबार में जाते हैं, मां उनको पूरा करती हैं।
माता के इन शक्तिपीठों के बनने की एक पौराणिक कथा है। दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के मृत शरीर को लेकर भगवान शिव पृथ्वी पर तांडव करते हुए घूमने लगे। तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के मृत शरीर को टुकड़े-टुकड़े में काट दिया। सती के शरीर के अंग और आभूषण जहां-जहां गिरे, उन जगहों पर मां दुर्गा के शक्तिपीठ बनें।
इस नवरात्रि में आप भी यदि माता रानी के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं कि माता रानी के इन शक्तिपीठों का नाम क्या है और ये कहां पर स्थित हैं।
मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ
1. हिंगलाज शक्तिपीठ: मां दुर्गा का यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रांत में स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर माता का ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा था। यहां की देवी को कोट्टरी कहा जाता है।
2. मुक्तिनाथ शक्तिपीठ: बताया जाता है कि मुक्तिनाथ मंदिर में माता का सिर गिरा था, यहां माता को गंडकी चंडी के नाम से जाना जाता है। यह शक्तिपीठ नेपाल के पोखरा में गंडक नदी के तट पर है।
3. किरीट शक्तिपीठ: यहां पर माता का मुकुट गिरा था, इसलिए इसे किरीट शक्तिपीठ कहते हैं। किरीट शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के तट पर लालबाग कोट पर है।
4. कात्यायनी शक्तिपीठ: सती के केशपाश जिस स्थान पर गिरे, वहां पर कात्यायनी शक्तिपीठ है। यह मथुरा के भूतेश्वर नामक जगह पर है। माता यहां कात्यायनी के नाम से विराजमान हैं।
5. करवीर शक्तिपीठ: यह शक्तिपीठ महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है। यहां पर माता के त्रिनेत्र गिरे थे।
6. नैना देवी शक्तिपीठ: माता सती के नेत्र यहां पर गिरने के कारण मां दुर्गा की इस शक्तिपीठ का नाम नैना देवी शक्तिपीठ पड़ा। यह हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में है।
7. सुगंधा शक्तिपीठ: यहां पर माता सती की नासिका गिरी थी, इसलिए इसे सुगंधा शक्तिपीठ कहा जाता है। यह बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर स्थित है। इसे उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ भी कहते हैं।
8. महामाया शक्तिपीठ: कश्मीर में बाबा अमरनाथ के पास महामाया शक्तिपीठ है। यहां पर सती के गला का हिस्सा गिरा था।
9. ज्वाला देवी शक्तिपीठ: ज्वाला जी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में है। यहां पर माता सती की जीभ गिरी थी।
10. त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ: त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर में है। यहां पर उनका बायां वक्ष गिरा था।
11. रामगिरि शक्तिपीठ: रामगिरि शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में है। यहां पर माता सती का दायां वक्ष गिरा था। यहां माता को शिवानी कहते हैं।
12. अम्बाजी शक्तिपीठ: अम्बाजी शक्तिपीठ गुजरात में अरासुर पर्वत के पास कडियाद्रा में है। यहां माता सती का हृदय गिरा था।
13. मानस शक्तिपीठ: मानस शक्तिपीठ तिब्बत के मानसरोवर तट पर है। यहां माता सती का दायां हाथ गिरा था। यहां माता को दाक्षायनी कहा जाता है।
14. बाहुल शक्तिपीठ: बाहुल शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला में स्थित है। यहां पर माता सती का बायां हाथ गिरा था।
15. चंद्रिका देवी शक्तिपीठ: पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला में ही चंद्रिका देवी शक्तिपीठ है। यहां पर माता की दायीं कलाई गिरी थी।
16. त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ: त्रिपुरा के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता सती का दायां पैर गिरा था। इससे वह स्थान त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है।
17. छत्राल शक्तिपीठ: बांग्लादेश के चिट्टागांव जिले में छत्राल शक्तिपीठ है। यहां पर माता की दांयी भुजा गिरी थी। यहां पर माता को भवानी कहा जाता है।
18. त्रिस्तोता शक्तिपीठ: पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी जिले में त्रिस्तोता शक्तिपीठ है। यहां पर माता का बायां पैर गिरा था। यहां माता भ्रामरी देवी कहलाती हैं।
19. कामाख्या शक्तिपीठ: असम के गुवाहाटी जिले में कामाख्या शक्तिपीठ स्थित है। यहां पर माता सती की योनि गिरी थी।
20. जुगाड्या शक्तिपीठ: पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम में जुगाड्या शक्तिपीठ है। यहां माता सती के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था।
21. कालीपीठ शक्तिपीठ: कोलकाता के कालीघाट में कालीपीठ स्थित है। यहां पर माता सती के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। यहां माता कालिका के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
22. प्रयाग शक्तिपीठ: यह शक्तिपीठ प्रयागराज में स्थित है। यहां पर माता सती के हाथ की अंगुली गिरी थी।
23. जयंती शक्तिपीठ: बांग्लादेश के सिल्हैट जिला में जयंती शक्तिपीठ है। यहां पर माता सती की बाईं जंघा गिरी थी।
24. विशालाक्षी शक्तिपीठ: वाराणसी में गंगा किनारे मणिकर्णिका घाट पर माता सती की मणिकर्णिका गिरी। यहां पर मां दुर्गा विशालाक्षी और मणिकर्णी रूप में लोकप्रिय हैं।
25. कन्याश्रम शक्तिपीठ: यह तमिलनाडु के कन्याकुमारी में कन्याश्रम नामक जगह पर है। यहां पर सती की पीठ गिरी थी। यहां माता को श्रवणी कहते हैं।
26. कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ: यह शक्तिपीठ हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित है। यहां पर माता सती की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी।
27. मणिबंध शक्तिपीठ: राजस्थान के पुष्कर में माता सती की दो पहुंचियां गिरी थीं। यहां माता गायत्री के नाम से लोकप्रिय हैं।
28. श्री शैल शक्तिपीठ: श्री शैल शक्तिपीठ बांग्लादेश के सिल्हैट टाउन के पास जैनपुर गांव में है। यहां पर माता सती का गला का हिस्सा गिरा था।
29. कांची शक्तिपीठ: यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में कोपई नदी के तट पर स्थित है। यहां पर माता सती की अस्थि की गिरी थी।
30. कमलाधव शक्तिपीठ: मध्य प्रदेश के अमरकंटक में कमलाधव नामक जगह पर माता सती का बायां नितंब गिरा था। यहां देवी काली के रूप में प्रसिद्ध हैं।
31. शोन्देश शक्तिपीठ: मध्य प्रदेश के अमरकंटक में शोणदेश के पास माता सती का दायां नितंब गिरा। यहां पर माता दुर्गा देवी नर्मदा के नाम से प्रसिद्ध हैं।
32. शुचि शक्तिपीठ: तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास माता की ऊपरी दाढ़ गिरी थी। यहां पर माता नारायणी के नाम से विख्यात हैं।
33. पंच सागर शक्तिपीठ: तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास पंचसागर में माता की निचली दाढ़ गिरी थी।
34. अर्पण शक्तिपीठ: बांग्लादेश के करतोयतत के पास माता सती की बाईं पायल गिरी थी। यहां पर माता को अर्पण कहा जाता है।
35. श्री सुंदरी शक्तिपीठ: आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिला में माता की दायीं पायल गिरी थी। यहां माता को श्री सुंदरी कहा जाता है।
36. देवी कपालिनी शक्तिपीठ: देवी कपालिनी शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिला में है। यहां पर माता की बाईं एड़ी गिरी थी।
37. चंद्रभागा शक्तिपीठ: गुजरात के जूनागढ़ जिले में चंद्रभागा शक्तिपीठ है। यहां पर माता का आमाशय गिरा था।
38. अवंती शक्तिपीठ: मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के किनारे भैरव पर्वत पर माता के ऊपरी होंठ गिरे थे।
39. जनस्थान शक्तिपीठ: महाराष्ट्र के नासिक में जनस्थान शक्तिपीठ है, यहां पर माता की ठोड़ी गिरी थी। यहां देवी भ्रामरी कहलाती हैं।
40. विश्वेश्वरी शक्तिपीठ: आंध्र प्रदेश के राजमहेंद्री में विश्वेश्वरी शक्तिपीठ है, यहां पर सती के गाल गिरे थे।
41. मिथिला शक्तिपीठ: यह शक्तिपीठ बिहार के मिथिला में स्थित है। यहां पर माता का बायां कंधा गिरा था।
42. रत्नावली शक्तिपीठ: रत्नावली शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के हुगली में है। यहां पर माता का दायां कंघा गिरा था।
43. अंबिका शक्तिपीठ: राजस्थान के बिरात में अंबिका शक्तिपीठ है। यहां पर सती के बाएं पैर की अंगुली गिरी थी।
44. नलहाटी शक्तिपीठ: नलहाटी शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में है। यहां पर माता सती के पैर की हड्डी गिरी थी।
45. कर्णाट शक्तिपीठ: यहां पर माता सती के दोनों कान गिरे थे।
46. महिषमर्दिनी शक्तिपीठ: महिषमर्दिनी शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के वक्रेश्वर में है। यहां पर सती का भ्रूमध्य गिरा था। यहां देवी महिषमर्दिनी के नाम से विख्यात हैं।
47. यशोरेश्वरी शक्तिपीठ: यहां पर माता सती के हाथ एवं पैर गिरे थे। यह बांग्लादेश के खुलना जिले में है।
48. अट्टहास शक्तिपीठ: पश्चिम बंगाल के अट्टहास में माता का यह शक्तिपीठ है। यहां सती के नीचे का होंठ गिरा था।
49. नंदीपुर शक्तिपीठ: नंदीपुर शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के नंदीपुर में है। यहां सती के गले का हार गिरा था।
50. इंद्राक्षी शक्तिपीठ: ऐसी मान्यता है कि लंका के त्रिंकोमाली में माता सती की पायल गिरी थी, जो इंद्राक्षी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।