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इसलिए अनूठा है मदुरै का मीनाक्षी मंदिर

तमिलनाडु में स्थित मां मीनाक्षी देवी का यह मंदिर विश्‍व के सात अजूबों में शमिल है। वजह है यहां की वो महीन शिल्‍पकारी जिससे यहां मंदिर निर्माण किया गया है। देवी मीनाक्षी मां पार्वती का ही अवतार हैं।

By prabhapunj.mishraEdited By: Published: Sat, 20 May 2017 11:33 AM (IST)Updated: Sat, 20 May 2017 04:25 PM (IST)
इसलिए अनूठा है मदुरै का मीनाक्षी मंदिर
इसलिए अनूठा है मदुरै का मीनाक्षी मंदिर

1- माँ मीनाक्षी भगवान शिव की पत्नी पार्वती का अवतार और भगवान विष्णु की बहन भी है। इस मंदिर में मां मीनाक्षी की पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूरे दक्षिण भारत में करने की परम्परा है। हिन्दु पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आये थे। 

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2- मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। देवी पार्वती ने पूर्व में पाँड्य राजा मलयध्वज, मदुरई के राजा की घोर तपस्या के फलस्वरूप उनके घर में एक पुत्री के रूप में अवतार लिया था। वयस्क होने पर उसने नगर का शासन संभाला। तब भगवान आये और उनसे विवाह प्रस्ताव रखा जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। 

3- मां का यह विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडू के मदुरै शहर में है। यह मंदिर मीनाक्षी अम्मन मंदिर प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। माँ मीनाक्षी का यह अम्मन मंदिर को विश्व के नए सात अजूबों के लिए नामित किया गया है।

4- मंदिर का मुख्य गर्भगृह 3500 वर्ष से अधिक पुराना माना जा रहा है। यह मंदिर भी भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव सुंदरेश्वर रूप में अपने गणों के साथ पाड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरै नगर आए थे। क्योंकि मीनाक्षी देवी मां पार्वती का रुप हैं। 

5- इस विशाल भव्य मंदिर का स्थापत्य एवं वास्तु भी काफी रोचक है। जिस करण माँ  का यह मंदिर को सात अजूबों में नामांकित किया गया है। इस इमारत में 12 भव्य गोपुरम है, जिन पर महीन चित्रकारी की है। इस मंदिर का विस्तार से वर्णन तमिल साहित्य में प्रचीन काल से होता आया है। 

6- वर्तमान में जो मंदिर है यह 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था। मंदिर में आठ खंभो पर आठ लक्ष्मीजी की मूर्तियां अंकित हैं। इन पर भगवान शंकर की  पौराणिक कथाएं उत्कीर्ण हैं। यह मंदिर मीनाक्षी या मछली के आकार की आंख वाली देवी को समर्पित है। मछली पांड्य राजाओं को राजचिह्न है।


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