Madhur Temple: इस मंदिर में दीवार से प्रगट हुए थे गणेश जी, यहां मनाया जाता है विशेष त्योहार
Madhur Sree Madanantheshwara-Siddhivinayaka Temple शिव-पार्वती के छोटे पुत्र गणेश जी को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। गणेश जी को किसी भी शुभ कार्य आरंभ करने से पहले पूजा जाता है। भारत के कई हिस्सों में गणपति बप्पा के मंदिर स्थित हैं।
Madhur Sree Madanantheshwara-Siddhivinayaka Temple: शिव-पार्वती के छोटे पुत्र गणेश जी को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। गणेश जी को किसी भी शुभ कार्य आरंभ करने से पहले पूजा जाता है। भारत के कई हिस्सों में गणपति बप्पा के मंदिर स्थित हैं। उन्हीं में से एक मंदिर ऐसा है जहां पर गणेश जी की कोई मूर्ति स्थापित नहीं की गई है। बल्कि यहां गणेश जी दीवार से प्रगटे हैं। इस मंदिर का नाम मधुर श्री मदनंतेश्वर-सिद्धिविनायक है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
कहां है स्थित और कब हुआ था निर्माण: यह मंदिर गणपति बप्पा के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर केरल में मधुरवाहिनी नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर केरल के कासरगोड शहर से करीब 7 किमी दूर स्थित है। इसका नाम मधुर श्री मदनंतेश्वर-सिद्धिविनायक है लेकिन इसे मधुर महागणपति भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था।
दीवार से हुए प्रगट: मान्यता है कि यहां पर सबसे पहले भोलेशंकर का मंदिर था। लेकिन एक दिन मंदिर के पुजारी के बेटे ने मंदिर की दीवार पर गणेश जी का चित्र बना दिया। उस बच्चे ने यह चित्र मंदिर के गर्भग्रह में बनाया था। कहा जाता है कि यह चित्र धीरे-धीरे बढ़ने लगा। देखते ही देखते कुछ ही समय में यह आकृति बड़ी हो गईं। बस तब से ही यह मंदिर गणेश का विशेष मंदिर कहा जाने लगा।
कहा जाता है कि इस मंदिर में एक बार टीपू सुल्तान आया था। वह मधुर महागणपति मंदिर को ध्वस्त करना चाहता था। लेकिन उसने अपना यह विचार बदल लिया और मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचाया। वह वापस चला गया। इस मंदिर में एक तालाब है जिसे औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है।
मुदप्पा है विशेष त्योहार: इस मंदिर में एक विशेष त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार मुदप्पा है। इस त्योहार में गणेशजी की प्रतिमा को मीठे चावल और घी के मिश्रण से ढक दिया जाता है। इस दौरान बप्पा के दर्शन के लिए हजारों भक्त आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में गणेश जी से जो भी मांगा जाता है वो मनोकामना पूरी होती है। बप्पा अपने द्वार से किसी को भी खाली हाथ जाने नहीं देते हैं।
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