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Char Dham: हिंदू धर्म के चार घाम कौन से हैं? जानिए उनके बारें में

बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में है। हर साल दीपावली के अगले दिन से सर्दियों में बद्रीनाथ के कपाट को बंद कर दिया जाता है। इसके बाद ग्रीष्म ऋतु में कपाट को पुन खोला जाता है। सर्दी के दिनों में बद्रीनाथ बर्फ की चादरों से ढकी रहती है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 03:11 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 03:18 PM (IST)
Char Dham: हिंदू धर्म के चार घाम कौन से हैं? जानिए उनके बारें में
Char Dham: हिंदू धर्म के चार घाम कौन से हैं? जानिए उनके बारें में

Char Dham: सनातन शास्त्रों में चार धाम के बारे में विस्तार से बताया गया है। दैविक काल में इन स्थानों को अन्य नामों से जाना जाता था। वर्तमान समय में चार धाम के नाम भिन्न हैं। हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु चार धाम की धार्मिक यात्रा करते हैं। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते चार धाम यात्रा पर व्यापक असर पड़ा है। इसके बावजूद श्रद्धालु कोरोना नियमों का पालन कर चार धाम की यात्रा करते हैं। आइए, चार धाम के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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बद्रीनाथ

बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में है। हर साल दीपावली के अगले दिन से सर्दियों में बद्रीनाथ के कपाट को बंद कर दिया जाता है। इसके बाद ग्रीष्म ऋतु में कपाट को पुन: खोला जाता है। सर्दी के दिनों में बद्रीनाथ बर्फ की चादरों से ढकी रहती है। बद्रीनाथ चार धामों में एक धाम है। इसके अलावा, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन चार धामों की यात्रा करते हैं। चार धामों के अलावा देवों की भूमि उत्तराखंड में तुंगनाथ और मदमहेश्वर मंदिर भी सर्दी के दिनों में बंद रहता है।

द्वारका

महाभारत काव्य में वर्णित है कि द्वारका भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी थी। यह शहर गुजरात राज्य में स्थित है। इतिहासकारों की मानें तो गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के पड़पोते ने करवाया है। कालांतर से मंदिर का विस्तार होता रहा है। इसका व्यापक विस्तार 17 वीं शताब्दी में हुआ है। इससे पूर्व आदि गुरु शंकराचार्य ने द्वारका मंदिर का दौरा कर शारदा पीठ स्थापित की। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि यह मंदिर 2500 वर्ष पुराना है। द्वापर युग में द्वारका नगरी थी, जो आज समुद्र में समाहित है। वर्तमान समय में इस पावन स्थल पर द्वारकाधीश मंदिर स्थित है। द्वारकाधीश मंदिर में प्रवेश हेतु दो द्वार हैं। मुख्य प्रवेश द्वार को 'मोक्ष द्वार' और दूसरे द्वार को 'स्वर्ग द्वार' कहा जाता है। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण चांदी स्वरूप में स्थापित हैं।

जगन्नाथ मंदिर

जगन्नाथ मंदिर ओड़िशा में स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण समेत बलराम और बहन सुभद्रा की पूजा उपासना की जाती है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। रथ यात्रा देवशयनी एकादशी के दिन समाप्त होती है। कालांतर से यह पर्व श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मनाया जाता है। इस यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम अपनी बहन सुभद्रा को नगर की सैर कराते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु रथ यात्रा में उपस्थित होते हैं। सामान्य दिनों में भी भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

रामेश्वरम

चार धाम में एक धाम रामेश्वरम है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका जाते समय रामेश्वरम में भगवान शिव जी की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा की थी। यह प्रतिमा रामजी ने स्वंय अपने हाथों से बनाई थी। रामजी ने शिवलिंग का नाम रामेश्वरम रखा था। त्रेता युग से रामेश्वर में शिवजी की पूजा होती है। वर्तमान समय में रामेश्वरम प्रमुख तीर्थ स्थल है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामेश्वर तीर्थ यात्रा पर जाते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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