इस मंदिर में इच्छा वरदायक बन जाते हैं दंडनायक शनि
इस शनिवार को जानें शनिदेव के एक और सिद्ध धाम कोकिला वन के शनि मंदिर के बारे में, जो उत्तर प्रदेश के कोसीकलां गांव के पास स्थित है।
ब्रज में शनि
उत्तर प्रदेश में कृष्ण के ब्रजमंडल में शनिदेव का एक सिद्ध स्थान कोसीकलां गांव के पास है। यह स्थान कोसी से लगभग 6 किलोमीटर दूर है और नंद गांव के बिलकुल नजदीक है। यह शनि मंदिर दुनिया के प्राचीन शनि मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां आकर शनिदेव दंडनायक से इच्छित वरदान देने वाले की भूमिका में आ जाते हैं। कहा जाता है यहां मांगी मुराद शीघ्र पूरी होती है।
स्वयं कृष्ण ने बुलाया पास
इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी बहुत प्रचलित है। कहते हैं कि भगवान कृष्ण के समय से स्थापित इस मंदिर को स्वयं कान्हा के वरदान के बाद यहां स्थान मिला था। इस कथ के अनुसार जब कृष्ण जन्म पर अन्य देवताओं के साथ उनके बाल रूप के दर्शन के लिए अन्य देवताओं के साथ गए शनि को नंद बाबा ने रोक दिया, क्योंकि वे उनकी वक्र दृष्टि से भयभीत थे। तब दुखी शनि को सांत्वना देने के लिए कृष्ण ने संदेशदिया कि वे नंद गांव के निकट वन में उनकी तपस्या करें वे वहीं दर्शन देने प्रकट होंगे। तब शनि ने इस स्थान पर पर तप किया और प्रसन्न श्रीकृष्ण ने कोयल रूप में उन्हें दर्शन दिए। इसी लिए इस स्थान का नाम कोकिला वन पड़ा। साथ ही कृष्ण ने शनिदेव को आर्शिवाद दिया कि वे वहीं विराजमान हों और इस स्थान पर जो उनके दर्शन करेगा उस पर शनि की दृष्टि वक्र नहीं होगी बल्की उनकी इच्छा पूर्ती होगी। कृष्ण ने स्वयं भी वहीं पास में राधा के साथ मौजूद रहने का वादा किया।
मिलती है शनि की कृपा
तब से शनि धाम के बाईं ओर कृष्ण, राधा जी के साथ विराजमान हैं और भक्तगण किसी भी प्रकार की परेशानी लेकर जब यहां आते हैं तो उनकी इच्छा शनि पूरी करते हैं। मान्यता है कि यहां राजा दशरथ द्वारा लिखा शनि स्तोत्र पढ़ते हुए परिक्रमा करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है। यहां आने के लिए से होकर आना आसान होता है। मथुरा-दिल्ली नेशनल हाइवे पर मथुरा से 21 किलोमीटर दूर कोसीकलां गांव पड़ता है। यहां से एक रास्ता नंदगांव तक आता है, वहीं से कोकिला वन शुरू हो जाता है।