तनिक न ठिठके, धधकती होलिका से निकले पंडा
जटवारी में भक्त और भगवान के बीच के रिश्ते की गर्माहट के सामने अग्निदेव की लौ की तपिश ठंडी पड़ गई। धधकती आग के बीच से संतोष पंडा बच निकला। इसके साथ ही प्रहलादजी के जयकारे से पूरा वातावरण गूंजायमान हो गया। गांव जटवारी में रविवार की शाम जैसे जैसे रात्रि में बदल रही थी वैसे वैसे प्रहलाद कुंड के किनारे मंदिर
कोसीकलां। जटवारी में भक्त और भगवान के बीच के रिश्ते की गर्माहट के सामने अग्निदेव की लौ की तपिश ठंडी पड़ गई। धधकती आग के बीच से संतोष पंडा बच निकला। इसके साथ ही प्रहलादजी के जयकारे से पूरा वातावरण गूंजायमान हो गया।
गांव जटवारी में रविवार की शाम जैसे जैसे रात्रि में बदल रही थी वैसे वैसे प्रहलाद कुंड के किनारे मंदिर पर मंत्रोच्चारण की ध्वनि तेज होती जा रही थी। आठ बजते ही संतोष पंडा ने पंडितों के सानिध्य में पूजा शुरू कर दी। इस दौरान हर पल दीपक के जरिए दहकते अंगारों से निकलने की अनुमति मांगी जा रही थी। रात्रि नौ बजे बाद प्रहलाद जी के जयकारे से वातावरण गूंज उठा। पंडा के इशारे के बाद चारों ओर जोश उल्लास और भक्त और भगवान के रिश्ते की परीक्षा के नजारे को देखने के लिए टकटकी लगी रही। इशारा मिलते ही तालाब के दूसरी पार पर बनी होलिका धधक उठी। देखते ही देखते संतोष पंडा तालाब में उतर गए। डुबकी के बाद संतोष पंडा होलिका की ओर दौड़ पड़े। पलक झपकते ही पंडा ने होलिका की लपटों को भी मात दे दी और सकुशल बच कर होलिका के दूसरे छोर पर खड़े सेवादारों तक पहुंच गए। यहां पंडा को कपड़े में लपेट लिया गया। ग्राम प्रधान फूली एवं प्रतिनिधि भंवर सिंह ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया।
प्रहलाद नगरी में पंडा मेला का आगाज- प्रहलाद नगरी के नाम से प्रसिद्ध फालैन के परंपरागत पंडा मेला का रविवार शाम धूमधाम से आगाज हुआ। मंदिर में पूजा और पंडा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता रहा। सब पंडा का चमत्कार देखने को लालायित थे। इसमें कुछ विदेशी पर्यटक भी थे। मेला लगने के साथ ही बाबूलाल पंडा होलिका से निकलने की तैयारी में जुट गया। दोपहर से गांव की गलियों में हुरियारों के ढोल नगाड़े एवं नाच गाने शुरू हो गए। आसपास के गांवों के हुरियारों ने होली के परंपरागत रसियाओं के साथ होलिका की पूजा एवं परिक्रमा की। पंडा बाबूलाल होलिका से निकलने से पूर्व की विशेष पूजा में जुट गया। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस प्रशासन भी तैनात रहा। पंडा के होलिका से निकलने का समय पंडितों ने लग्न के अनुसार सोमवार तड़के चार बजे निर्धारित किया है। इस हैरतअंगेज कारनामे का साक्षी बनने के लिए रात्रि भर श्रद्धालु पंडा का इंतजार करते रहे। मेला पुरोहित ने बताया पंडा निर्धारित लग्न के अनुसार दीपक की लौ पर हाथ रखकर इजाजत मांगते हैं।
ब्रज में छायी होली की खुमारी-
होलिका दहन के साथ ही ब्रज में होली की खुमारी छा गई। वातावरण तरह-तरह के अबीर-गुलालों से महक रहा है तो कानों में होली के गीत मिठास घोल रहे हैं। फाग गीतों और रसिया पर कोई ठुमका लगा रहा है तो कोई ताली बजाकर उत्साहित कर रहा है। हर दिशा में हैप्पी होली का शोर। होलिका दहन के बाद छोटे-बड़ों ने बुजुर्गो के पांव छुये तो पुरातन सभ्यता जीवंत हो गई।