हरि शयनी एकादशी आज, सारे तीर्थ करेंगे ब्रज में वास
हरि शयनी एकादशी आज शुक्रवार को है। इसी के साथ शुरू हो रहा है चातुर्मास। पौराणिक मान्यता के अनुसार सभी तीर्थ शुक्रवार से चार माह तक बृज में वास करेंगे। साधु-संत भी अपना स्थान छोड़कर अन्य स्थानों पर नहीं जा सकेंगे। ब्रज में धार्मिक अनुष्ठानों की धूम रहेगी। श्रवण, भाद्रपद, आश्रि्वन और कार्तिक माह की देवोत्थान एकादशी तक च
मथुरा। हरि शयनी एकादशी आज शुक्रवार को है। इसी के साथ शुरू हो रहा है चातुर्मास। पौराणिक मान्यता के अनुसार सभी तीर्थ शुक्रवार से चार माह तक बृज में वास करेंगे। साधु-संत भी अपना स्थान छोड़कर अन्य स्थानों पर नहीं जा सकेंगे। ब्रज में धार्मिक अनुष्ठानों की धूम रहेगी।
श्रवण, भाद्रपद, आश्रि्वन और कार्तिक माह की देवोत्थान एकादशी तक चलने वाले चातुर्मास में हिंदू मत में जहां देश भर में मांगलिक कार्य नहीं होंगे। वहीं बृज चौरासी कोस में न धार्मिक अनुष्ठान खूब होंगे। लाखों श्रद्धालु भी कान्हा की नगरी पहुंचेंगे। गुजरात, काठियावाड़ व अप्रवासी वैष्णव श्रद्धालु भी ब्रज चौरासी कोस की यात्रा को आएंगे। चातुर्मास के कारण ब्रज चौरासी कोस में रह रहे साधु-संतों व महंतों ने भी अगले चार महीने तक यहीं रहने का इंतजाम कर लिया है। इसके अलावा बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तराखंड व पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में आए साधु इन चार महीनों में गोवर्धन, बरसाना, गोकुल व वृंदावन में वास करेंगे।
ज्योतिषी शालिनी द्विवेदी कहती हैं कि चातुर्मास में कुछ नियमों का पालन करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। भूमि शयन, पारायण, तारायण व नारायण करने से मनोवांछित फल मिलता है। वह कहती हैं कि शास्त्रनुसार पारायण में एक दिन एक बार भोजन करें। तारायण में अगले दिन संध्याकाल में तारों का पूजन कर भोजन करें और नारायण में उसके अगले दिन निराहार व्रत रखें। यह क्रम लगातार चार महीने तक चलना चाहिए।
ज्योतिषी आचार्य कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि भविष्य पुराण के अनुसार चार माह में किसी विष्णु मंदिर की एक लाख परिक्रमा करने वाले की सभी मनोकामना पूरी होती हैं। इन दिनों ब्रह्मचर्य, अयाचित भोजन और किसी एक वस्तु का त्याग करने वाला भी सुखी रहता है।
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