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Guru Nanak Jayanti 2019: करतारपुर साहिब, जहां गुरु नानक देव जी की ज्योति जोत में मिली

Guru Nanak Jayanti 2019 एक ईश्वर और ईश्वर नाम के जप का उपदेश देने वाले गुरु नानक देव जी का करतारपुर से विशेष लगाव रहा है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 12:59 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 08:53 AM (IST)
Guru Nanak Jayanti 2019: करतारपुर साहिब, जहां गुरु नानक देव जी की ज्योति जोत में मिली
Guru Nanak Jayanti 2019: करतारपुर साहिब, जहां गुरु नानक देव जी की ज्योति जोत में मिली

Guru Nanak Jayanti 2019: सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्मदिवस या प्रकाश पर्व मंगलवार 12 नबंवर को है। कार्तिक पूर्णिमा को जन्मे गुरु नानक देव जी की जयंती को गुरु पर्व या प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पूरी दुनिया को भाईचारे का संदशे देने वाले गुरू नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की। उन्होंने सिख धर्म के अनुयायियों के लिए तीन सिद्धांत बनाए, जिसे सभी सिख आज भी मानते हैं। गुरु नानक देव जी के तीन सिद्धांत हैं- नाम जपो, कीरत करो और वंद चखो। एक ईश्वर और ईश्वर नाम के जप का उपदेश देने वाले गुरु नानक देवी जी का करतारपुर से विशेष लगाव रहा है। यहां बने हुए गुरुद्वारे को श्री दरबार साहिब करतारपुर या करतारपुर साहिब के नाम से जाना जाता है।

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सिख धर्म में श्री दरबार साहिब करतारपुर या करतारपुर साहिब का बहुत ही महत्व है। इस वर्ष 09 नवंबर को गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर श्री दरबार साहिब के लिए करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया है। 550वें प्रकाश पर्व पर सिख श्रद्धालु श्री दरबार साहिब करतारपुर में अपने पहले गुरु नानक देव जी के दर्शन कर चरणों में मथा टेकेंगे, वहां भजन-कीर्तन और लंगर में शामिल होंगे।

करतारपुर में हुआ था नानक देव जी का निधन

करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में पड़ता है। गुरु नानक देव जी अपने जीवन के अंतिम 18 वर्षों तक करतारपुर में ही रहे। उन्होंने रावी नदी के तट पर करतारपुर बसाया था। वहां उन्होंने खेती की और लंगर स्थापित किए। 1539 में गुरू नानक देव जी की ज्योति जोत में मिल गई। जिस स्थान पर उनका निधन हुआ, वहां पर करतारपुर साहिब गुरुद्वारा बना है।

सिखों का पवित्र स्थल ननकाना साहिब

करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म में दूसरा सबसे पवित्र स्थल है। गुरु नानक देव का जन्म स्थान पाकिस्तान का तलवंडी है, जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। यह सिखों के लिए प्रथम पवित्र स्थल है।

नानक देव जी की उदासी

नानक देव जी ने समाज को जागरूक करने के लिए यात्राएं की, जिन्हें सिख धर्म में उदासी कहा जाता है। उन्होंने अपनी पहली उदासी में हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और बांगलादेश की यात्राएं की। उनकी दूसरी उदासी दक्षिण भारत से लेकर श्रीलंका तक थी। हालां​कि कुछ इतिहासकार मानते हैं कि नानक जी ने एक उदासी में ही पूरब से दक्षिण तक की यात्रा की, यह यात्रा काल 12 वर्षों का था।

वे अपनी तीसरी उदासी में हिमालय क्षेत्र की ओर गए, जिसमें कांगड़ा और कुल्लू घाटी, पश्चिमी तिब्बत, लद्दाख, कश्मीर और पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब की यात्राएं शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने कई जगहों की यात्राएं की। इसके बाद वे करतारपुर आ गए।


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