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धनतरेस पर बरसेगी महालक्ष्मी की कृपा

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को शास्त्रों में धनत्रयोदशी (धनतेरस) कहा गया है। दीपावली के पांच दिवसीय पर्वकाल का शुभारंभ इसी दिन से होता है। धर्मग्रंथों में लिखा है कि धनतेरस के दिन धातुओं में लक्ष्मी जी का वास रहता है, अत: इस दिन सोना, चांदी, तांबा, पीतल, स्टील आदि के सामान खरीदने से घर में संपन्नता ब

By Edited By: Published: Thu, 31 Oct 2013 01:32 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2013 01:40 PM (IST)
धनतरेस पर बरसेगी महालक्ष्मी की कृपा

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को शास्त्रों में धनत्रयोदशी (धनतेरस) कहा गया है। दीपावली के पांच दिवसीय पर्वकाल का शुभारंभ इसी दिन से होता है। धर्मग्रंथों में लिखा है कि धनतेरस के दिन धातुओं में लक्ष्मी जी का वास रहता है, अत: इस दिन सोना, चांदी, तांबा, पीतल, स्टील आदि के सामान खरीदने से घर में संपन्नता बढ़ती है और लक्ष्मी जी का आगमन होता है।

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धनतेरस

इस दिन सायंकाल सूर्यास्त से दो घंटे 24 मिनट तक व्याप्त प्रदोषकाल में पूजा-अर्चना और दीपदान करने से विष्णुप्रिया भगवती लक्ष्मी प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा करती हैं।

भारतीय ज्योतिष विद्यापीठ के अध्यक्ष डॉ. अतुल टंडन के अनुसार एक नवंबर को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सूर्योदय से रात्रि में 9.34 बजे तक रहेगी। अत: धनतेरस की पूजा और खरीदारी का शुभ मुहूर्त भी रात्रि 9.34 बजे तक रहेगा, क्योंकि इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। धनतेरस से भगवती लक्ष्मी के स्वागतार्थ घर में दीपमालिका एवं अखंड दीपक जलाना चाहिए। इससे धन की अधिष्ठात्री संतुष्ट होकर आर्थिक समृद्धि प्रदान करती हैं। डॉ. टंडन के मुताबिक शुक्रवार के दिन धनतेरस होने के कारण इसका महत्व लक्ष्मी पूजा में अत्यंत बढ़ गया है। शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि के साथ हस्त नक्षत्र का महासंयोग होने से दुर्लभ गजलक्ष्मी योग बन रहा है। इस योग में लक्ष्मी-पूजन अत्यंत शुभ फलदायक रहेगा।

श्वेत वस्त्र पहनें, लगायें खीर का भोग-

शुक्रवारीय धनतेरस के दिन भगवती लक्ष्मी की अर्चना में उन्हें गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए। इस दिन किसी भी धातु का सामान खरीदने से घर में लक्ष्मी आती हैं। लक्ष्मी जी का पूजन उत्तर दिशा में मुख करके करें और पूजा के समय श्वेत वस्त्र धारण करें।

भगवान धन्वन्तरि का पूजन भी-

पुराणों के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को ही भगवान विष्णु के अंशावतार धन्वन्तरि का अवतार हुआ था। आयुर्वेद के चिकित्सक इस तिथि में धन्वन्तरि जयंती मनाते हैं। शास्त्रों की मान्यता है कि धनत्रयोदशी के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा करने से रोग दूर होते हैं और आरोग्यता प्राप्त होती है।

शिव-पार्वती की बरसेगी कृपा-

शुक्रवार को ही भगवान शिव को अतिप्रिय प्रदोष व्रत एवं मासिक शिवरात्रि व्रत भी है। इस दिन व्रत रखते हुए पूजन करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की कृपा भक्तों पर बरसेगी। इससे आर्थिक कष्टों का निवारण होगा।

मनोवांछित फल देंगी मां कामेश्वरी-

शास्त्र के अनुसार शुक्रवार को धनतेरस के साथ कामेश्वरी जयंती भी है। अत: साधक भगवती कामेश्वरी की उपासना करके मनोवांछित सिद्धि और फल प्राप्त कर सकते हैं।

धनतेरस से यमपंचक शुरू-

धनतेरस से भैया दूज तक के पांच दिनों को यमपंचक का नाम दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि इन पांच दिनों में नित्य रात्रि के प्रथम प्रहर में घर के मुख्यद्वार के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज के निमित्त दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

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