सही हो प्लानिंग तो अच्छा हो रिटर्न
करियर की शुरुआत में ही निवेश की सही प्लानिंग कर ली जाए तो भविष्य में कई असुविधाओं या असुरक्षाओं से बचा जा सकता है। आज की छोटी-छोटी बचत ही कल बड़े निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है। निवेश करने जा रहे हैं तो कुछ नियमों का पालन करें ताकि भविष्य
करियर की शुरुआत में ही निवेश की सही प्लानिंग कर ली जाए तो भविष्य में कई असुविधाओं या असुरक्षाओं से बचा जा सकता है। आज की छोटी-छोटी बचत ही कल बडे निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है। निवेश करने जा रहे हैं तो कुछ नियमों का पालन करें ताकि भविष्य में ख्ाुश रहें।
हम बचत इसलिए करते हैं ताकि भविष्य में आर्थिक मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार रह सकें। लेकिन क्या हमें निवेश से सचमुच फायदा होगा, इस सवाल का जवाब थोडा मुश्किल है। कारण यह है कि आम व्यक्ति के लिए निवेश की तकनीकी डिटेल्स समझना एक मुश्किल पज्ाल जैसा है। हर रोज्ा किसी न किसी बैंक एजेंट के फोन आते हैं, जो हमें सलाह देते हैं कि कैसे निवेश करना चाहिए या अमुक स्कीम में पैसा डाल दें तो काफी फायदा होगा...। कुछ समझते और कुछ न समझते हुए हम निवेश करते हैं। हममें से ज्य़ादातर तो सिर्फ टैक्स की मार से बचने के लिए आनन-फानन निवेश का निर्णय ले लेते हैं और फिर बाद में पछताते हैं। करियर की शुरुआत में ऐसा ज्य़ादा होता है। बचत प्राथमिकता नहीं होती और असुरक्षा का एहसास भी कम होता है। पैसा हाथ में आते ही ज्य़ादातर युवा उन सपनों को पूरा करने के बारे में सोचने लगते हैं, जो अब तक नहीं कर पा रहे थे। जबकि नौकरी की शुरुआत से ही बेहतर फाइनेंशियल प्लानिंग कर ली जाए तो 10-15 साल बाद एक अच्छी स्थिति हासिल हो सकती है।
अर्थशास्त्र की पढाई की हो या न की हो, हर व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति और भविष्य की ज्ारूरतों को बेहतर जानता है। दो अलग-अलग व्यक्तियों पर एक नियम लागू नहीं हो सकता। निवेश के दो सीधे नियम हैं- अपना पैसा कभी न गंवाएं और दूसरा यह कि पहले नियम को कभी न भूलें।
ग्ालत प्लानिंग न हो, इसके लिए फाइनेंशियल लक्ष्य बनाने चाहिए।
बिना समझे पैसा न लगाएं
निवेश का पहला नियम यह है कि ऐसी किसी भी स्कीम में पैसा न डालें, जो समझ में न आ रही हो। कई बार लोग जटिल, महंगे और जोख्िाम भरे निवेश कर बैठते हैं और बाद में उन्हें नुकसान उठाना पडता है। जैसे म्युचुअल फंड्स में आमतौर पर कई लीगल डॉक्युमेंट्स होते हैं, जिन्हें लोग अकसर बिना पढे ही साइन कर देते हैं। ऐसा न करें। यदि फाइनेंशियल बातें समझ नहीं आतीं तो किसी सलाहकार की मदद लें।
हर पहलू पर ध्यान दें
शुरुआत में निवेश के लिए फाइनेंशियल प्लानर की मदद ली जा सकती है। लेकिन निवेश और बचत के बारे में आधारभूत जानकारियों का होना ज्ारूरी है। इसके लिए किताबों, इंटरनेट, ब्लॉग्स का सहारा ले सकते हैं। यदि पहली बार निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले रिकरिंग खाता खोलें। यह नियमित और सुरक्षित बचत का बेहतर तरीका है। अपनी मासिक आय और ख्ार्च के हिसाब से बचत करें। नियमित सेविंग से अनावश्यक ख्ार्च का बोझ नहीं पडता, साथ ही पैसा बढता है। शुरू से रिटर्न तो नहीं मिलता, लेकिन सेविंग की आदत पडती है, जो भविष्य के लिए लाभदायक रहती है।
लक्ष्य बनाएं
ज्ारूरी है कि अपने लिए फाइनेंशियल लक्ष्य तैयार करें। आमतौर पर लोग एक निश्चित रकम हर महीने जमा करने का लक्ष्य बनाते हैं, बिना यह समझे कि समय बीतने के साथ क्या उन्हें मनमािफक लाभ मिल सकेगा। हो सकता है, आज 20 लाख रुपये काफी लगें लेकिन ज्ारूरी नहीं कि रिटायरमेंट यानी 30 साल बाद भी यह रकम काफी होगी। जब तक इस बात को नहीं समझा जाए, निवेश की प्लानिंग करना सही नहीं है।
प्राथमिकता तय करें
हर लक्ष्य की प्राथमिकता तय करें। जैसे हेल्थ इंश्योरेंस लेना कार ख्ारीदने से ज्य़ादा महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए। अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस के चीफ एग्ज़िक्युटिव ऑफिसर एंटोनी जेकब कहते हैं, 'आजकल जीवन बडा अनिश्चित है, इसलिए किसी भी मेडिकल इमर्जेंसी के लिए हेल्थ पॉलिसीज्ा लेना ज्ारूरी है। भागदौड भरी ज्िांदगी में तनाव, दबाव, डायबिटीज्ा, ओबेसिटी, कार्डिएक अटैक या हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं बढ रही हैं। ये सारी बीमारियां ठीक होने में लंबा समय लेती हैं। दूसरी ओर स्वास्थ्य सुविधाएं काफी महंगी हो रही हैं। इसलिए हेल्थ पॉलिसीज्ा बहुत ज्ारूरी हो गई हैं।
खर्च के हिसाब से लक्ष्यों की प्राथमिकता तय करें। आज से कितने वर्ष बाद बच्चों की पढाई, करियर या शादी के लिए पैसे की ज्ारूरत पडेगी, कब रिटायरमेंट होगा, उस हिसाब से निवेश की प्राथमिकता तय करें। जैसे रिटायरमेंट प्लानिंग बच्चों की शिक्षा से ज्य़ादा महत्वपूर्ण है। इसका कारण यह है कि बच्चों के लिए एजुकेशन लोन ले सकते हैं, मगर रिटायरमेंट के बाद सिर्फ आज का निवेश ही काम आएगा। इसलिए यह पहली प्राथमिकता होना चाहिए। हेल्थ इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस, इमर्जेंसी फंड, पीपीएफ और एनपीएस अकाउंट प्रमुख लक्ष्य होते हैं। इसके दो-तीन वर्ष बाद इक्विटी, म्युचुअल फंड्स, रीअल इस्टेट, स्टॉक्स या अन्य निवेश की ओर बढऩा चाहिए।
छोटी-छोटी बचत ज्ारूरी
शोध बताते हैं कि निवेश के लिए बडा लक्ष्य बनाएंगे तो लक्ष्य से दूर हो जाएंगे। यानी अगर सेविंग अमाउंट बहुत बडा है या उसका लाभ कई सालों बाद मिलना हो तो निवेशक उसे छोड ही देता है। इसलिए शुरू से छोटी-छोटी सेविंग्स को महत्व दें। ऐसी पॉलिसीज्ा लें, जिनका अमाउंट कम हो, जिसे आराम से दिया जा सकता हो और जो आपके बडे लक्ष्य को और करीब लाने में मदद कर सकता हो। फाइनेंशियल प्लानर्स का मानना है कि करियर की शुरुआत में छोटी बचत ही फायदेमंद है। इसके बाद जैसे-जैसे इन्कम बढे, वैसे-वैसे अपना निवेश बढा सकते हैं।
मुद्रास्फीति के बारे में सोचें
आम आदमी रोज्ामर्रा के जीवन में महंगाई को कोसता है, परेशान होता है, मगर यह नहीं सोचता कि भविष्य के लिए किए जाने वाले इन्वेस्टमेंट पर इसका क्या असर पडेगा। एक्सपट्र्स का मानना है कि महंगाई में ज्ारा सी बढोतरी से भी खर्च दुगना बढता है। जैसे सिर्फ पेट्रोल का दाम बढऩे से राशन और सब्ज्िायों सहित कई वस्तुओं के दाम बढ जाते हैं। सेविंग की वैल्यू कम हो जाती है। यदि आज कोई प्रोफेशनल कोर्स 6 लाख रुपये में होता है और यदि महंगाई में 8 प्रतिशत की वृद्धि हो जाए तो आगामी 10 वर्षों में उस कोर्स का मूल्य 24 लाख रुपये हो जाएगा। इसलिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए उतने सालों में बढऩे वाली महंगाई के बारे में भी सोचना ज्ारूरी है। इससे तय होगा कि कितना निवेश सचमुच का फायदा दिला सकेगा।
मच्योरिटी टाइम
हर लक्ष्य का अलग-अलग समय होता है। अपने लक्ष्य को कब तक पूरा करना है, उसी हिसाब से निवेश की प्लानिंग करें। जैसे, बेटी की शिक्षा के लिए यदि तीन साल से कम समय है तो कैपिटल सेफ्टी के लिए निवेश ऐसी जगह करें जहां तीन वर्षों के बाद बेहतर रिटर्न मिल सके। बच्चों की शादी आगामी पांच वर्षों में करनी है तो उसी स्कीम में पैसा लगाएं जो पांच साल बाद सही रिटर्न दे सके।
स्थिति के अनुसार निर्णय लें
निवेश के बारे में आम धारणा यही है कि निवेश ऐसी जगह करें, जहां बेहतर रिटर्न मिले। मगर कई स्थितियों में इस धारणा को भूलना भी पडता है। जैसे रिटायरमेंट के बारे में सोच रहे हैं तो बेहतर रिटर्न की परवाह कम करें। मान लें किसी का वेतन 20 हज्ाार रुपये प्रतिमाह है तो निश्चित तौर पर वह दस हज्ाार रुपये तो नहीं बचा सकता। ऐसे में उसे 1-2 हज्ाार रुपये की बचत से शुरुआत करनी चाहिए। इसे रिकरिंग (आरडी) में निवेश करें, जिस पर सालाना ब्याज मिलेगा। 1-2 साल बाद इस पैसे को फिक्स डिपॉजिट (एफडी) में डाल सकते हैं। इसी तरह शुरू से पीपीएफ अकाउंट में पैसा डाल सकते हैं। यह सुरक्षित निवेश है। छोटी-छोटी बचत रिटायरमेंट के बाद लाभकारी होती हैं। हर किसी की आर्थिक स्थिति भिन्न होती है, उसी के हिसाब से निवेश की प्लानिंग करनी चाहिए।
इंदिरा राठौर