चरित्र पर संदेह भी है मानसिक प्रताडऩा
आए दिन ऐसी खबरें आती हैं, जहां संदेह के कारण दंपती अलग हो रहे हैं। हाल में ही हाईकोर्ट ने साथी के चरित्र पर संदेह को मानसिक प्रताडऩा मानते हुए इसे तलाक का आधार माना है।
By Edited By: Published: Tue, 06 Sep 2016 11:22 AM (IST)Updated: Tue, 06 Sep 2016 11:22 AM (IST)
पत्नी का रिश्ता आपसी भरोसे और समझदारी पर टिकता है। अगर यह भरोसा किसी भी वजह से कम हो जाए तो रिश्ते दरकने लगते हैं। आपसी संदेह और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो जाता है। यही वजह है कि आए दिन ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती हैं, जहां रिश्तों में संदेह के कारण अलगाव और यहां तक कि हत्याएं भी हो जा रही है। खासतौर पर स्त्री के लिए तो चरित्र सबसे कमजोर कडी है, जहां वह मजबूर हो जाती है। ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी का रिश्ता आपसी समझदारी और भरोसे की बुनियाद पर टिकता है। अगर रिश्ते में संदेह पनप रहा है या पर्याप्त समझदारी नहीं आ पा रही है तो वक्त रहते संभल जाएं और आपसी बातचीत के जरिये इसे सुलझाने की कोशिश करें। कोर्ट ने कहा कि जीवनसाथी पर बेबुनियाद संदेह करना मानसिक प्रताडऩा की श्रेणी में आता है और इस आधार पर तलाक याचिका को मंजूरी दी जा सकती है। शादी के 27 साल बाद हैरान करने वाली बात यह है कि जिस मामले में हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है, उसमें पति-पत्नी की शादी को 27 वर्ष हो चुके हैं। इतने साल बाद एकाएक पति को यह आभास होता है कि उसकी पत्नी उसके प्रति वफादार नहीं है। पीडित पत्नी ने इस आधार पर तलाक की याचिका दी थी। कोर्ट ने माना कि चरित्र पर संदेह करना भी मानसिक प्रताडऩा का आधार है क्योंकि जिस पर संदेह किया जाता है, वह बेहद यातना से गुजरता है। इस दंपति का विवाह वर्ष 1989 में हुआ था और उनके दो बच्चे भी हैं। पत्नी ने वर्ष 2007 में फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दाखिल की थी। उसने शिकायत में कहा था कि शादी के बाद से ही पति द्वारा उसे दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडित किया गया। कुछ वर्षों बाद पति ने उसके चरित्र पर उंगलियां उठानी शुरू कर दीं और उससे मारपीट करने लगा। वह बच्चों की खातिर सब सहन करती रही लेकिन जब वर्ष 2006 में पति ने बेटे के ही सामने उससे मारपीट की तो उसकी सहनशक्ति जवाब दे गई और उसने पुलिस में इसकी शिकायत की। मामला फैमिली कोर्ट में पहुंचा और कोर्ट ने पत्नी की तलाक की याचिका को मंजूर कर लिया। पति का आरोप दूसरी ओर पत्नी की याचिका के जवाब में पति ने भी एक अर्जी दाखिल की और कहा कि उसकी पत्नी इसलिए तलाक चाहती है क्योंकि उसका विवाहेतर संबंध है। उसने कहा कि पत्नी ने उसके ही मित्र से अवैध संबंध बनाए हैं और यहां तक कि दोनों ने गुपचुप विवाह भी रचा लिया है। इस आधार पर पत्नी की तलाक याचिका खारिज की जाए और कोर्ट द्वारा उसे आदेश दिया जाए कि वह पत्नी की जिम्मेदारी निभाए और पति के घर लौट आए। पति ने अदालत से यह भी कहा कि शादी के 18 वर्षों तक उसकी पत्नी चुप रही और एकाएक उसने तलाक की अर्जी डाल दी, इसलिए उसे तलाक नहीं मिलना चाहिए। संदेह को चाहिए प्रमाण पति अपने संदेह के जवाब में कोई पुख्ता सबूत नहीं पेश कर सका। लिहाजा हाईकोर्ट ने तलाक को मंजूरी देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के साथ तसवीर खिंचवाना और उसके साथ घूमना इस बात का प्रमाण नहीं होता कि पत्नी का उससे अवैध रिश्ता होगा। इस आधार पर उसके चरित्र पर उंगली उठाना और उस पर संदेह करना मानसिक प्रताडऩा की श्रेणी में आता है और इस आधार पर पत्नी को तलाक लेने का अधिकार है। जस्टिस रविंद्र भट्ट और दीपा शर्मा की पीठ ने कहा कि वह जमाना बीत गया, जब पति बिना प्रमाण के पत्नी के चरित्र पर उंगली उठाता था और समाज उसे मान लेता था। आज दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है और कानून को भी ठोस प्रमाण की आवश्यकता होती है, जो इस मामले में पति द्वारा नहीं दिया जा सका है। इसलिए ऐसे आरोप को बेबुनियाद ही माना जाएगा। हाईकोर्ट ने पत्नी की तलाक याचिका को सही ठहराते हुए पति की अर्जी को नामंजूर कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में फैमिली कोर्ट का निर्णय ही बरकरार रहेगा क्योंकि पति अपने आरोप के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं दे सका है। यही नहीं, उसने पत्नी और बच्चों से बदसलूकी व मारपीट भी की, जोकि तलाक की एक मजबूत वजह हो सकती है। सखी फीचर्स
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