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कामयाबी के नायाब नुस्खे

टीम छोटी हो या बड़ी, उसका नेतृत्व करना अपने आप में ही एक चुनौती होती है। न सिर्फ हर परिस्थिति में अपनी टीम का साथ निभाना होता है, बल्कि जरूरत पडऩे पर सही मार्गदर्शन करना भी लीडर का ही काम होता है। जानते हैं कि कैसे बनें ऐसे लीडर कि

By Edited By: Published: Tue, 01 Mar 2016 03:19 PM (IST)Updated: Tue, 01 Mar 2016 03:19 PM (IST)
कामयाबी के नायाब नुस्खे

टीम छोटी हो या बडी, उसका नेतृत्व करना अपने आप में ही एक चुनौती होती है। न सिर्फ हर परिस्थिति में अपनी टीम का साथ निभाना होता है, बल्कि जरूरत पडऩे पर सही मार्गदर्शन करना भी लीडर का ही काम होता है। जानते हैं कि कैसे बनें ऐसे लीडर कि हर कोई आपके साथ काम करना चाहे।

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टीम बनाना तो बहुत आसान होता है, पर उसे संभालना उतना ही कठिन। भले ही पूरी टीम एक ही उद्देश्य को पाने के लिए प्रयासरत हो, मगर हर मेंबर के काम करने का तरीका अलग होता है। एक टीम लीडर के तौर पर आपको कई तरह की भूमिकाएं निभानी होती हैं। व्यावसायिक स्तर के साथ ही निजी स्तर पर भी सबको समझना जरूरी होता है, जिससे कि कोई समस्या आने पर उसका सही समाधान ढूंढा जा सके। जानिए कुछ ऐसे टिप्स जिन्हें अपना कर आप बन सकते हैं बेस्ट टीम लीडर-

1. सभी सदस्यों के साथ मीटिंग करते रहें, ख्ाासकर अगर आप या टीम का कोई सदस्य नया हो। इससे आप सभी से परिचित हो सकेंगे। जुडाव महसूस करने के लिए सबके नाम, काम और ख्ाूबी जानना बहुत जरूरी होता है।

2. हो सकता है कि आप हर समय अपने ऑफिस में न बैठते हों, इसलिए अपना कोई नंबर या ई मेल एड्रेस हर सदस्य को जरूर दें। इससे कोई भी जरूरत पडऩे पर वे आपसे संपर्क कर सकेंगे। 3. लीडर होने के नाते आपका काम हर सदस्य से कुछ ज्यादा ही होगा। इस बात की शिकायत करने के बजाय अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की आदत डालें। अगर आपको देर तक रुकना भी पड रहा हो तो आप किसी से कुछ कह नहीं सकते हैं। जब आप अपनी जिम्मेदारियां ईमानदारी से पूरी करेंगे तो मेंबर्स में भी काम करने का उत्साह जाग्रत होगा।

4. कोई भी निर्णय बहुत ही सोच-समझकर और विवेक से लें। जरूरत पडे तो अपनी टीम से भी उसके लिए इनपुट्स लें। इससे वह साझा निर्णय हो जाएगा और सबको अपनी अहमियत भी पता चलेगी। ऐसा करने से मेंबर्स में सकारात्मक संदेश भी जाता है कि मैनेजमेंट को उन पर भरोसा है।

5. आसपास होने वाली मीटिंग्स और इवेंट्स की जानकारी जरूर रखें। अपना और दूसरों का शेड्यूल उसी हिसाब से तय करें। किसी पर भी अत्यधिक बोझ न डालें, वर्ना वह काम में बोरियत महसूस करने लगेगा। अगर आपके वर्क प्रोफाइल में फील्ड वर्क या लोगों से मिलना-जुलना जरूरी हो तो सभी को बराबर मौके दें।

6. काम और बजट अपने संसाधनों को ध्यान में रखते हुए ही निर्धारित करें। किसी भी टास्क को पूरा करने के लिए जरूरत भर का समय जरूर दें। कम समय में ज्यादा या बेहतरी की उम्मीद करने से उसकी गुणवत्ता में कमी आने का ख्ातरा रहता है और मेंबर पर मेंटल प्रेशर भी बढता है।

7. किसी को कोई भी काम असाइन करने से पहले उसकी स्किल्स के बारे में जरूर जान लें। अगर किसी मेंबर को प्रोजेक्ट को लेकर कोई समस्या आ रही है तो उसकी मदद करने के साथ ही उसे मोटिवेट भी करते रहें। यकीनन इससे कार्यक्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पडता है।

8. टीम मेंबर्स को उनकी निजी जिंदगी जीने का भी भरपूर समय दें। अगर उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या हो तो उनकी परेशानी सुनें और उचित सलाह दें। अगर वह आपसे कुछ शेयर कर रहा हो तो सबके सामने उसका मखौल न बनाएं। ऐसा होने पर उसका काम से भी मन भटकेगा।

9. किसी दूसरे डिपार्टमेंट के साथ कोई दिक्कत होने पर हमेशा अपनी टीम के साथ खडे रहें। आपके मेंबर्स को आपसे ही उम्मीदें होंगी, उन पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करें। गलती होने पर सही तरीके से समझाएं भी। इससे दोबारा वही गलती होने की आशंका नहीं रहती है।

10. अच्छे लीडर को बोलने के साथ ही सुनने की आदत भी विकसित करनी चाहिए। मेंबर्स जो भी आइडिया या प्रपोजल्स दे रहे हों, उनका स्वागत करें। इससे उनके मन में आपके लिए इज्जत बढेगी और वे उत्साहित हो कर काम करेंगे। समय मिलने पर सबके लिए मोटिवेशनल सेमिनार्स भी आयोजित करवा सकते हैं।

11. परिस्थिति कैसी भी हो, बिना घबराए उसका सामना करें। आपका सकारात्मक दृष्टिकोण टीम को मजबूती, धैर्य और संबल प्रदान करेगा। किसी के बहुत अच्छा काम करने पर उसे प्रोत्साहित करना न भूलें। टीम आपकी है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप हर मेंबर पर भरोसा करें।

12. किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा करने में हर सदस्य की अपनी मेहनत होती है। काम पूरा हो जाने के बाद सबको धन्यवाद कहने के साथ ही उन्हें रिवॉर्ड भी करें। चाहें तो पार्टी कर लें या पिकनिक पर निकल जाएं। इससे स्ट्रेस कम हो जाएगा।

13. हर सदस्य से निजी स्तर पर संवाद कायम करें। इससे उन्हें लगेगा कि आपको उनकी फिक्र है। कोई भी समस्या होने पर वे आपसे शेयर कर सकेंगे। इससे काम प्रभावित नहीं होगा, बल्कि उसे और बेहतर ढंग से किया जा सकेगा।

14. हो सकता है कि किसी सदस्य से आपके संबंध दूसरों से बेहतर हों, पर इसे सबके सामने न दिखाएं। टीम लीडर के तौर पर आपसे उम्मीद की जाती है कि आप हर किसी को समान रूप से ट्रीट करें।

15. अपनी गलती होने पर उसे छिपाने के बजाय स्वीकार करना सीखें। उसके लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराने वाली आदत से बचें। इससे टीम मेंबर्स में यह संदेश जाएगा कि जब वे कुछ गलत करें तो उसे स्वीकारने की हिम्मत भी रखें।

यह बेहद जरूरी होता है कि अपने टीम मेंबर्स की दूसरी टीम्स के सामने तारीफ की जाए। इससे काम के प्रति उनके मन में सकारात्मक रवैया बना रहेगा। ऐसा माहौल बिलकुल न बनाएं कि वे अपने काम से घबराने ही लगें। टीम लीडर कहलाना तो बहुत अच्छा लगता है, पर उसके साथ जुडी जिम्मेदारियों को पूरा करना बहुत मेहनत का काम होता है। जब आपको अपनी काबिलीयत, संवाद कौशल और धैर्य पर पूरा भरोसा हो, तभी इतनी बडी जिम्मेदारी अपने ऊपर लें, वर्ना काम पर असर पड सकता है, जो कि आपके करियर केलिहाज से गलत है।

दीपाली पोरवाल


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