Move to Jagran APP

अजब-गजब लोग

आज सोशल नेटवर्किंग की सुविधा ने दूर बैठे लोगों को बहुत करीब लाने का काम किया है। इससे उनके लिए एक-दूसरे से संपर्क स्थापित करना बहुत आसान हो गया है, पर यहां भी कुछ लोगों का व्यवहार बड़ा अजीब होता है। ऐसे लोगों से आपका भी साबका पड़ता होगा।

By Edited By: Published: Fri, 26 Feb 2016 10:53 AM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2016 10:53 AM (IST)
अजब-गजब लोग

आज सोशल नेटवर्किंग की सुविधा ने दूर बैठे लोगों को बहुत करीब लाने का काम किया है। इससे उनके लिए एक-दूसरे से संपर्क स्थापित करना बहुत आसान हो गया है, पर यहां भी कुछ लोगों का व्यवहार बडा अजीब होता है। ऐसे लोगों से आपका भी साबका पडता होगा। आइए मिलते हैं, कुछ ऐसी ही शख्िसयतों से।

loksabha election banner

स्टेटस फ्रीक

कुछ लोग प्रतिदिन अपना स्टेटस इस तरह अपडेट करते हैं, जैसे सारी दुनिया उन्हीं के बारे में जानने को आतुर है। ये अपनी शॉपिंग से लेकर छींक-जुकाम तक के बारे में भी दूसरों को बताना नहीं भूलते। जिस दिन लिखने लायक कोई बात नहीं होती तो 'आज मैं बहुत ख्ाुश हूं, बोरियत हो रही है, बहुत उदास हूं... जैसे स्टेटस लिखने से बाज नहीं आते।

लाइक लवर्स

चुनावी मौसम में नेताओं को अपने वोटों की जितनी चिंता नहीं होती, उससे कहीं ज्य़ादा इन्हें अपने लाइक्स की िफक्र होती है। जब तक इनकी किसी फोटो या स्टेटस पर सौ-दो सौ लाइक्स नहीं मिल जाती, तब तक इन्हें नींद नहीं आती। कुछ लोग तो इतने बेसब्र होते हैं कि लाइक्स बढाने के लिए अपनी एक ही पोस्ट को बार-बार शेयर कर रहे होते हैं। कई बार तो ये अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को भी यही बताने के लिए फोन और एसएमएस तक कर डालते हैं कि आज मैंने अपने बचपन की तसवीर लगाई है या मैंने अपनी नई कविता पोस्ट की है, तुम उसे देखकर लाइक जरूर कर देना। क्या किया जाए, ऐसे लाइक लवर्स का!

पंगेबाज

ऐसे लोग सोशल साइट्स पर अकसर किसी भी विचारधारा, जाति, धर्म या समाज को लेकर भडकाऊ बयानबाजी कर रहे होते हैं या कभी-कभी हवा में गेंद की तरह कोई भी सवाल उछाल देते हैं। मसलन, 'मान लीजिए कि अगर ऐसा हो तो आप क्या करेंगे? इस घटना के बारे आपकी क्या राय है... वगैरह। इससे सोशल साइट्स पर लोगों के बीच भयानक वाक्युद्ध छिड जाता है। माना कि लोकतांत्रिक देश में हर मुद्दे पर स्वस्थ बहस होनी चाहिए, पर ऐसे निराधार मुद्दों पर बहस करने का क्या फायदा, जो देश और समाज का माहौल तनावपूर्ण बना दें।

सेल्फियाने

रोजाना अलग-अलग एंगल से अपनी तसवीरें उतारकर सोशल साइट्स पर अपलोड करना कुछ लोगों का प्रिय शगल होता है। पार्टी हो या पिकनिक, शादी हो या सगाई, ये सेल्फी लेने का कोई भी मौका नहीं छोडते। युवा पीढी तो इसकी दीवानी है और यह उनके लिए सुबह की चाय की तरह जरूरी है। दोस्तों के साथ सेल्फी की बात तो समझ आती है, पर रेलवे ट्रैक, ऊंची दीवारों या किसी भी ख्ातरे वाली जगह पर खडे होकर अपनी तसवीरें लेने का शौक कई बार जानलेवा भी साबित होता है, फिर भी कुछ लोग ऐसी हरकतों से बाज नहीं आते।

टैगबाज

ऐसे लोगों को दूसरों की प्राइवेसी की जरा भी परवाह नहीं होती। जिस तरह गली-मुहल्ले मेें लोग दूसरों की दीवारों पर पोस्टर चिपकाने या उसे अन्य तरीकों से गंदा करने से बाज नहीं आते, उसी तरह सोशल साइट्स पर भी कुछ लोग अपनी तसवीरों या विचारों को दूसरों के साथ जबरन टैग कर देते हैं। उन्हें इस बात की जरा भी परवाह नहीं होती कि यह बात दूसरे व्यक्ति को नापसंद भी हो सकती है कि उसके पास बार-बार ढेर सारे नोटिफिकेशंस आएं।

वर्चुअल डिटेक्टिव

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सिर्फ दूसरों की जासूसी करने के मकसद से ही सोशल साइट्स पर अपना अकाउंट खोलते हैं। ऐसे लोग न तो अपनी प्रोफाइल फोटो लगाते हैं और न ही ख्ाुद से जुडी जानकारियां शेयर करते हैं। कुल मिलाकर अपनी तरफ से सोशल साइट पर इनकी कोई एक्टिविटी नहीं होती, पर दूसरों की प्रोफाइल में जाकर उनका स्टेटस, तसवीरें और फ्रेंड लिस्ट चेक करना इनका प्रिय शगल होता है। इनमें ज्य़ादातर वैसे सिरफिरे लोग होते हैं, जिनकी तरफ कोई भी दोस्ती का हाथ नहीं बढाता। इसके अलावा जो लोग ज्य़ादा टेक्नोसैवी नहीं होते वे किसी दूसरे की मदद से सोशल साइट पर अपना अकाउंट तो खोल लेते हैं, पर ख्ाुद इसका इस्तेमाल सीख नहीं पाते। ऐसे लोग भी इसी तरीके से अपना टाइम पास करते हैं।

पकाऊ

ऐसे लोग ख्ाुद को महान विचारक, साहित्यकार या दार्शनिक समझते हैं। ये प्रतिदिन बोरिंग कविताएं, गजलें और देश की समस्याओं पर अपने विचार प्रधान आलेख पोस्ट कर रहे होते हैं और दूसरों से त्वरित प्रक्रिया की उम्मीद रखते हैं। इन्हें यह भ्रम होता है कि हम समाज में वैचारिक क्रांति ला रहे हैं। नि:संदेह इनमें से कुछ लोग वाकई बहुत अच्छा लिखते हैं, पर ज्य़ादातर विद्वान अपनी पकाऊ रचनाओं से दूसरों को बोर कर रहे होते हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल बख्ाूबी जानते हैं।

आलेख : विनीता, इलस्ट्रेशन : श्याम जगोता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.