शॉपिंग ट्रेंड्स 2016
स्मार्ट फोन और ई-कॉमर्स ने खरीदारी को आसान बना दिया है। लुभावने ऑफर्स और आकर्षक पेमेंट स्कीम्स ने परिदृश्य को बदल दिया है। क्या हैं ये नए ट्रेंड्स, जानें।
By Edited By: Published: Sat, 08 Oct 2016 12:04 PM (IST)Updated: Sat, 08 Oct 2016 12:04 PM (IST)
बहुत दिन नहीं हुए, जब महीने-दो महीने पर जरूरी सामानों की लंबी सी लिस्ट लेकर हम स्टोर्स पर जाते थे और घंटों लाइन में लग थके-हारे घर लौटते थे। हम भारतीय यूं भी हर चीज देख-छूकर और महसूस करने के बाद ही खरीदना पसंद करते हैं। इसीलिए मुहल्ले की दुकानें हों, ग्रॉसरी स्टोर्स या मॉल्स, भीड कहीं कम नहीं दिखती। इसके बावजूद बीते 5-7 वर्षों की बात करें तो स्मार्ट फोन और फिर ई-कॉमर्स ने खरीदारी की सारी आदतें बदल दी हैं। जेब में पैसा हो और मोबाइल की बैटरी चार्ज हो तो हर पसंदीदा चीज महज एक क्लिक की दूरी पर मौजूद होती है। नया शौक है ई-शॉपिंग कुछ समय पहले अमेरिकन एक्सप्रेस और नील्सन के संयुक्त सर्वे में यह बात सामने आई कि ई-शॉपिंग भारतीयों का फेवरिट टाइम पास है,खास तौर पर स्त्रियों का। स्त्रियां ऑनलाइन शॉपिंग के लिए क्रेडिट और डेबिट काड्र्स का इस्तेमाल अधिक कर रही हैं। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाली स्त्रियों में 98 प्रतिशत ने माना कि उन्होंने अपने मोबाइल फोन में एप्स डाउनलोड किए हैं जबकि ऐसा करने वाले पुरुषों का प्रतिशत उनसे कम यानी 81 प्रतिशत था। यह सर्वे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, जयपुर, अहमदाबाद और हैदराबाद में इंटरनेट एक्सेस करने वाले लोगों पर किया गया था। इसमें 98 प्रतिशत लोगों ने ऑनलाइन शॉपिंग के लिए वोट किया। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि बडे शहरों में घर के बजट का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन शॉपिंग, ट्रैवलिंग और बिल पेमेंट पर खर्च होता है। 70 फीसद भारतीय काड्र्स या कैश ऑन डिलिवरी से शॉपिंग करना पसंद करते हैं। पुरुष करते हैं ज्य़ादा शॉपिंग स्त्रियों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग भले ही अच्छा टाइमपास हो या माना जाता हो कि शॉपिंग उन्हें ज्यादा पसंद है, मगर खरीदारी की क्षमता अभी भी पुरुषों में अधिक है। नील्सन इन्फॉर्मेट के सर्वे बताते हैं कि ई-शॉपिंग में पुरुष उनसे आगे हैं। चैट और सोशल साइट्स में स्त्रियां पुरुषों जितनी ही ऐक्टिव हैं, वे टेक-सैवी भी हैं लेकिन खरीदारी (ऑनलाइन) में वे पुरुषों से पिछडी हैं। यूएस, चीन या यूके जैसे देशों में यह ट्रेंड इसके विपरीत है, वहां स्मार्ट फोन से खरीदारी में स्त्रियां आगे हैं। भारत में ऐसा होने का एक कारण शायद यह भी है कि स्मार्ट फोन तो स्त्रियों के पास है लेकिन क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स जैसी सुविधाएं पुरुषों के पास ज्य़ादा हैं। इसलिए स्त्रियां अभी 'कैश ऑन डिलिवरी' जैसे विकल्पों को प्राथमिकता देती हैं। छोटे शहरों तक पहुंच इस वर्ष के अंत तक ऑनलाइन शॉपिंग के आंकडे देश में लगभग 78 प्रतिशत तक बढऩे की उम्मीद है। मार्केट रिसर्च कंपनी एसोचैम का मानना है कि कपडों, ज्यूलरी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स और किताबें तक लोग ऑनलाइन खरीदने लगे हैं। इस साल कंप्यूटर्स और कंज्य़ूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा एक्सेसरीज की खरीदारी में लगभग 40 प्रतिशत तक बढोतरी हुई है। छोटे शहरों में भी ई-कॉमर्स की पहुंच बढी है क्योंकि स्मार्ट फोन वहां भी हैं। पहले बडे ब्रैंड्स केवल महानगरों में ही देखने को मिलते थे मगर अब शॉपिंग साइट्स के कारण देश के हर कोने में बैठा व्यक्ति इन्हें खरीद सकता है। इसके कारण आए दिन शॉपिंग साइट्स की संख्या बढती जा रही है, हालांकि अभी भी टॉप पर चार-पांच साइट्स ही हैं। बढती संख्या ने इनके बीच प्रतिस्पर्धा भी पैदा की है। इनमें प्राइस वॉर भी छिडता है। इस वजह से रीटेल्स और छोटे दुकानदारों की आलोचना भी इन्हें झेलनी पडती है मगर इसका फायदा खरीदार को ही मिलता है। वर्ष 2015 तक ऑनलाइन ट्रांजेक्शंस की संख्या लगभग 3.8 करोड थी। इस साल इसमें और तेजी आई है। कुछ दिलचस्प आंकडे पिछले वर्ष अक्टूबर और दिसंबर महीने में फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मास्टरकार्ड द्वारा देश में कराए गए सर्वे के अनुसार स्मार्ट फोन ने लोगों की खरीदारी की आदत को बढावा दिया है। सर्वे में दिलचस्प नतीजे निकले- 1. ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स का सर्वाधिक इस्तेमाल एयर टिकट्स, कपडों, घरेलू उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स, एक्सेसरीज और ट्रैवल पैकेज के लिए होता है। कपडों की खरीदारी वर्ष 2014 में 32 प्रतिशत थी तो वर्ष 2015 में यह बढ कर 36 प्रतिशत हो गई। 2. इंटरनेट शॉपर्स में 25 से 45 वर्ष की आयु वाले लोग ज्य़ादा ऐक्टिव हैं। 3. स्त्रियां ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स के चक्कर ज्य़ादा लगाती हैं, भले ही वे पुरुषों की तुलना में कम खरीदती हों। यानी यहां भी वे विंडो शॉपिंग करती हैं। यही नहीं, वे सुविधाजनक पेमेंट मेथड, सिक्योरिटी, एक्सचेंज व रिटर्न पॉलिसी और प्राइस वैल्यू का ध्यान ज्य़ादा रखती हैं। 4. लगभग 75 प्रतिशत लोग शॉपिंग के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। 5. भारतीय खरीदार सचमुच समझदार हैं। आधे से ज्य़ादा लोग कुछ खरीदने के लिए कई ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स खंगालते हैं। इसके बाद वे रीअल स्टोर्स से मूल्य की तुलना करते हैं। ऑफलाइन खरीदने के लिए भी वे पहले ऑनलाइन सर्च करते हैं। 6. यूं तो खरीदारी साल भर होती रहती है लेकिन त्योहारों पर शॉपिंग की रफ्तार दुगनी हो जाती है। भारत में सबसे ज्य़ादा खरीदारी दीवाली के मौके पर होती है। ऑनलाइन या ऑफलाइन भारतीय खरीदार की मानसिकता को समझने की कोशिश की जाए तो रीअल स्टोर्स आज भी ज्य़ादा लोकप्रिय हैं। ज्य़ादातर भारतीय ऑफलाइन खरीदारी करते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर प्रोडक्ट को देखा-परखा जाता है और ट्रांजेक्शन ऑफलाइन होता है। आम बातचीत में लोग बताते हैं कि वे प्रोडक्ट का रिव्यू ऑनलाइन देखते हैं, साइट्स पर जाकर उसके प्राइस और क्वॉलिटी की तुलना करते हैं और बहुत फर्क न हो या प्रोडक्ट महंगा हो तो उसे विश्वसनीय स्टोर्स से जाकर खरीदना पसंद करते हैं। यानी अभी भी लोगों में ऑनलाइन खरीदारी को लेकर थोडा संकोच है। फिर भी यह सच है कि इसने ऑफलाइन शॉपिंग को कडी टक्कर दी है। लोगों के दिमाग में यह अपनी जगह बना रही है। खरीदार सोच-समझ कर आगे बढ रहा है। द्य युवा हैं ज्य़ादा ऐक्टिव हमारी क्लोदिंग लाइन बॉलीवुड फिल्मों से प्रेरित है क्योंकि फिल्मों ने हर दौर के युवाओं को लुभाया है। अभी यंगस्टर्स फ्यूजन पसंद कर रहे हैं। एक ओर जींस, टी-शट्र्स तो दूसरी ओर लॉन्ग मैक्सी ड्रेसेज फैशन में छाई हुई हैं। हमारी साइट के आंकडों के हिसाब से 18 से 30 की उम्र के लोग ज्य़ादा खरीदारी करते हैं। इनमें पुरुष-स्त्री में 60 : 40 का अनुपात है। औसतन एक व्यक्ति एक बार में 2000 रुपये तक की खरीदारी करता है। हालांकि लोग एथनिक या ज्य़ादा एक्सपेंसिव ड्रेसेज रीअल स्टोर्स से ही लेना पसंद करते हैं। ऑनलाइन साइट्स से वे पॉकेट फ्रेंड्ली और डेली वेयर जैसे कपडे ज्य़ादा खरीदते हैं। विनायक कलानी, संस्थापक और सीईओ, बॉलीवू.ओओअो आकर्षक ऑफर्स लुभाते हैं ऑनलाइन शॉपिंग आज एक ट्रेंड बन गया है। आकर्षक शॉपिंग साइट्स, यूजर फ्रेंड्ली स्कीम्स, ईजी पेमेंट मेथड, वरायटी के कारण भी लोग इधर रुख करते हैं। डिस्काउंट कूपंस, ऑफर्स, 30 दिन की रिटर्न पॉलिसी, फास्ट डिलिवरी ऑप्शंस ने शॉपिंग में फ्लेवर ऐड कर दिया है। भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कैंपेन ने ई कॉमर्स सेक्टर को बढावा दिया है। ग्लोबल स्तर पर यूएस इसमें टॉपर है। इसके बाद चीन, यूके और दुबई जैसे देश आते हैं। भारत अभी इनके आंकडों से काफी दूर है लेकिन यह फासला घट रहा है। हालांकि अभी इस राह में इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्लो स्पीड जैसी प्रॉब्लम्स बनी हुई हैं। सुरजीत ठाकुर, एमडी, पीपीसी चैंप, डिजिटल मार्केटर और यूजर एक्सपीरियंस कंसल्टेंट इंदिरा राठौर
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