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स्वयं को जानें

क्या आप परेशान रहते हैं? कोई भी काम ठीक तरह से नहीं कर पाते? आपको खुद से ढेरों शिकायतें हैं? अगर हां तो खुद को जानने-समझने की कोशिश करके देखें। थोड़ा सा प्यार अपने प्रति भी उड़ेलें। अपने फेवरिट बनें। फिर देखें, कैसे आपकी जिंदगी बदल जाती है।

By Edited By: Published: Wed, 03 Feb 2016 12:00 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2016 12:00 PM (IST)
स्वयं को जानें

क्या आप परेशान रहते हैं? कोई भी काम ठीक तरह से नहीं कर पाते? आपको खुद से ढेरों शिकायतें हैं? अगर हां तो खुद को जानने-समझने की कोशिश करके देखें। थोडा सा प्यार अपने प्रति भी उडेलें। अपने फेवरिट बनें। फिर देखें, कैसे आपकी जिंदगी बदल जाती है।

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खुद से प्यार करना आमतौर पर स्वार्थ की निशानी माना जाता है, मगर सच यह है कि जिंदगी में सकारात्मक बदलाव तभी आता है, जब हम खुद से प्यार करना सीख जाते हैं। ज्य़ादातर लोगों के साथ समस्या है कि वे खुद के प्रति ही लापरवाह हैं। यह लापरवाही एक उम्र के बाद और तेजी से बढती है और जब ऐसा होता है, हमारी दिलचस्पी खोने लगती है, हम चीजों में रस लेना बंद कर देते हैं। जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि खुद को जानें, अपनी तारीफ करें और अपने गुणों को सराहें। ऐसा करना सीख जाएंगे तो बेहतर महसूस करेंगे। जिस दिन अपने बारे में सोचने लगेंगे, दुनिया से प्यार करने का ढंग भी सीख लेंगे।

खुद से करें प्यार

कहते हैं, जीवन खुद को ढूंढने की एक यात्रा है। हम कौन हैं, कहां से आए हैं और कहां जा रहे हैं? ये कुछ आध्यात्मिक से सवाल हैं, जो अकसर हमारे जेहन में आते हैं। लेकिन इन सवालों से जूझने के क्रम में ही यह समझ विकसित होती है कि खुद से प्यार करना, अपनी केयर करना और अपनी क्षमताओं को बढाना क्यों जरूरी है। यहीं हम अपने आंतरिक गुणों से वािकफ हो पाते हैं और जब यह सब होता है तो खुद के प्रति अच्छा भी महसूस करने लगते हैं।

दुनिया तब सुंदर लगती है

कहते हैं, जो खुद से प्यार नहीं कर सकता, वह दुनिया से भी प्यार नहीं कर सकता। ऐसा करना स्वार्थ नहीं है, बल्कि इस प्रक्रिया में हमारे भीतर की नकारात्मकता दूर होती है और जब हम खुद के प्रति सजग होते हैं तो दुनिया के प्रति भी सजग हो पाते हैं, उसे समझ पाते हैं और उससे प्यार कर पाते हैं। जरा सोच कर देखें, जब हम निजी तौर पर खुश होते हैं, तब हमारा यह प्यार आसपास के लोगों, परिवार, बच्चों, कलीग्स पर भी न्यौछावर होता है। यानी जब हम भीतर से खुश होते हैं तो बाहर भी खुशियां बिखेरते हैं। लेकिन खुद से प्यार भी नि:शर्त होना चाहिए। अगर हम किसी का नुकसान नहीं करते, किसी को चोट नहीं पहुंचाते तो क्या यह हमारा ऐसा गुण नहीं, जिससे हम प्यार कर सकें ! कई बार हम छोटी-छोटी परेशानियों से इतना घिर जाते हैं कि खुद को दोष देने लगते हैं। यहां समझने की जरूरत है कि ग्ालती इंसान ही करता है और उसे सुधारना भी उसी को होगा। इसके लिए खुद को लगातार सजा देना उचित नहीं।

अंधी दौड से निकलें

मन को हमेशा ज्य़ादा चाहिए। इसके लिए वह अंधी दौड में शामिल हो जाता है। कई बार दिमाग्ा भी मन के लपेटे में आ जाता है। यह सही है कि निरंतर चलते रहना जरूरी है, ऐसा नहीं होगा तो संसार का विकास रुक जाएगा, मगर अपने लिए सीमा निर्धारित करना जरूरी है। यह सोचना जरूरी है कि आखिर दौड से हासिल क्या होगा? हमें सब कुछ मिल जाए, तो भी हमेशा कम लगता है। अपनी इच्छाओं को काबूू में करना जरूरी है।

संतुष्टि भी जरूरी है

इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं। जीवन में शांति चाहते हैं तो संतोष करना सीखना पडेगा। जो पास है, उस पर ग्ाौर करें। जीवन ने जो कुछ दिया है, शायद बहुतों को वह भी नसीब न हो। जरा अपने आसपास नजर डालें, बहुत से लोग हैं, जो इसलिए दुखी हैं कि उन्हें भरपेट खाना नहीं मिल पाता और आप हैं कि लेटेस्ट गाडी नहीं खरीद पा रहे, इसलिए दुखी हैं।

जो भी है बस यही पल है

अतीत चाहे जितना सुहाना हो या बुरा हो, मगर वह बीत चुका है। अतीत में हम लौट नहीं सकते तो वर्तमान पर उसे क्यों हावी होने दें! कई बार हम जो नहीं पा सके, उसके लिए इतने दुखी होते हैं कि जीवन में बहुत आगे बढऩे के बाद भी अतीत का यह दुख हमारे साथ-साथ चलता है। सभी परेशानियों का सामना करते हैं, सभी के जीवन में उतार-चढाव आते हैं, कोई न कोई दुख सबको सालता है। दुखी रहने के सौ कारण हैं, मगर खुश होने के उससे कई गुना ज्य़ादा कारण हैं। इसलिए आज में जिएं। जो बीत गया, उसे भुला दें।

बहाने कम बनाएं

अगर आज आप खुद को प्यार करना नहीं सीखना चाहते तो कल आप अपनी सारी इच्छाएं पूरी कर भी लें, खुद से प्यार तब भी नहीं कर सकेेंगे। जो बहाने आज हैं, वही कल भी रहेंगे और परसों भी। अगर खुद को खुश रखना चाहते हैं तो आज से ही अपने बारे में सोचना होगा। अपनी अच्छाइयों को तलाशना होगा और अपने गुणों की परवाह करनी होगी। इसके साथ ही सकारात्मक सोच अपने भीतर विकसित करनी होगी।

माफ करें

वर्तमान में हम अपने ऊपर काम का इतना बोझ डाल लेते हैं कि उस समय एहसास नहीं होता कि हम भविष्य के लिए अपने शरीर को कितना कष्ट देने जा रहे हैं। इंसान मशीन नहीं है। उसे थोडा सुकून भी चाहिए, सुस्ताने का समय भी चाहिए। कई बार जीवन में सही समय में कुछ न कर पाने का पछतावा हमें घेर लेता है और यह काफी परेशान करता है। यहां यह जरूरी है कि खुद को हमेशा परखते रहना भी अच्छी आदत नहीं। कभी-कभी खुद को ग्ालतियां करने का मौका दें, तभी उसे सही करने की ख्वाहिश पैदा होगी और तभी अपने प्रति प्यार भी जन्म लेगा।

ईष्र्या से दूर रहें

खुश रहें और खुशियां बांटें। यह काम जरा भी मुश्किल नहीं। दूसरे की सफलता से ईष्र्या न करें, क्योंकि इससे न हम खुश रह सकेंगे, न दूसरों को सुखी कर पाएंगे। जब कभी ऐसा हो, अपना आकलन करें। ऐसा क्यों हो रहा है? क्या इस विचार को किसी दूसरे विचार से बदला जा सकता है? यह प्रैक्टिस करें। धीरे-धीरे मनोविकार दूर होंगे और सच्चाई का सामना करने की क्षमता विकसित होगी।

खुद से कहें चंद बातें

मुझे अपने शरीर से प्यार है।

मैं अपना खयाल रख सकती हूं। ।

मेरे दिल में प्यार भरा है।

जिंदगी बेहद खूबसूरत है।

मुझे जिंदगी से शिकायत नहीं है।

मुझे दूसरे की पीडा से पीडा होती है।

मैं हर बंधन से आजाद हूं।

मेरे पैर जिंदगी की धुन पर नाचते हैं।

मैं अपने भोजन में प्रेम मिलाती हूं।

मैं खुश हूं और खुशी बांटती हूं।

मैं कोई चमत्कार नहीं दिखा सकती, न किसी के घावों को जादुई ढंग से दूर कर सकती हूं। खुद को खोजने के सफर में मैं अपने आपको एक ऐसा पत्थर मानती हूं, जिस पर आप अपना पैर रखकर आगे बढ सकते हैं। पूरी दुनिया में घूम -घूमकर खुद को तलाश कर मैंने तो यही हल जाना है कि हर समस्या का एक ही हल है खुद से प्यार करना।

लुईस एल हे

लेखिका

यदि स्वयं में विश्वास करने का तरीका ज्य़ादा गहराई से बताया-पढाया और सिखाया गया होता तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुख का बहुत बडा हिस्सा ग्ाायब हो गया होता।

स्वामी विवेकानंद

सखी फीचर्स


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