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इन्हें भी चाहिए पूरा सुकून

लोगों को पेट्स से इतना लगाव होता है कि वे उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानते हुए उनका पूरा ख़्ायाल रखने की कोशिश करते हैं, पर इस दौरान उन्हें कुछ परेशानियां भी होती हैं। अगर आपके साथ भी कोई ऐसी दिक्कत है तो ज़रूर पढ़ें यह लेख।

By Edited By: Published: Wed, 02 Sep 2015 01:04 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2015 01:04 PM (IST)
इन्हें भी चाहिए पूरा सुकून

लोगों को पेट्स से इतना लगाव होता है कि वे उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानते हुए उनका पूरा ख्ायाल रखने की कोशिश करते हैं, पर इस दौरान उन्हें कुछ परेशानियां भी होती हैं। अगर आपके साथ भी कोई ऐसी दिक्कत है तो जरूर पढें यह लेख।

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जब भी हम नया मकान बनवा रहे होते हैं या अपने मौजूदा घर का रिनोवेशन करवाते हैं तो परिवार के सभी सदस्यों की जरूरतों का पूरा खय़ाल रखते हैं। अगर घर में कोई पालतू जानवर हो तो हमें उसकी भी िफक्र होती है क्योंकि वह हमारे लिए फेमिली मेंबर की ही तरह होता है। वैसे तो लोग पेट्स के तौर पर घर में कई तरह के पशु-पक्षी या मछलियों से भरा अक्वेरियम रखते हैं, पर डॉगी ज्य़ादातर लोगों की पहली पसंद है। चाहे कोई भी पेट हो उसे आरामदायक माहौल देना बहुत जरूरी है, पर सही जानकारी के अभाव में लोग यह समझ नहीं पाते कि उन्हें अपने घर को पेट्स फ्रेंड्ली कैसे बनाना चाहिए। लोगों की इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए सखी ने इंटीरियर डिजाइनर अमृतदीप सिंह और एनिमल रिसर्चर एंड पेट केयर कंसल्टेंट रॉबर्ट सिरिल से बातचीत की तो उन्होंने घर को पेट्स फ्रेंड्ली बनाने के लिए जो सुझाव दिए वे निश्चित रूप से आपके लिए भी उपयोगी साबित होंगे।

छोटे घरों के लिए

बडे शहरों में ज्य़ादातर लोग फ्लैट्स में रहते हैं और वहां ज्य़ादा खुली जगह नहीं होती। ऐसे में वे समझ नहीं पाते कि छोटी जगह में पेट्स को आरामदायक माहौल कैसे दिया जाए। अगर आप फ्लैट में रहते हैं और आपको डॉगी पालने का शौक है तो इसके लिए सही नस्ल का चुनाव बहुत जरूरी है। आमतौर पर छोटे घरों के लिए डैक्सहुंड, पग, मिनिएचर पॉमरेरियन जैसी मिलनसार स्वभाव और छोटे आकार वाली नस्लें उपयुक्त होती हैं। अपने फ्लैट की बालकनी या किसी ऐसे ही ख्ााली हिस्से को तीन फुट ऊंचे पॉर्टीशन से घेर कर उसके लिए जगह बनाएं क्योंकि डॉगी को पर्सनल स्पेस की बहुत ज्य़ादा जरूरत महसूस होती है और वह हमेशा अपनी ही जगह पर आराम करना पसंद करता है। उनके शरीर में स्वेट ग्लैंड्स नहीं होते। इंसानों की तुलना में उन्हें गर्मी का एहसास ज्य़ादा होता है। इसलिए उसके कमरे में एसी, कूलर या फैन की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए। डॉगी को ठंड भी ज्य़ादा लगती है। इसलिए सर्दियों में उसे कमरे के भीतर रखें और उसके लिए ऊनी कपडों की भी व्यवस्था होनी चाहिए।

जरूरी है सावधानी

घर में वुडन फ्लोरिंग न कराएं क्योंकि डॉगी को पंजों से खरोंचने की आदत होती है, जिससे लकडी का फर्श जल्दी ख्ाराब हो जाता है। कारपेट की सफाई का विशेष ध्यान रखें क्योंकि डॉगी केबाल झडकर कारपेट पर चिपक जाते हैं, जिससे बच्चों को एस्थमा की एलर्जी हो सकती है। ऐसे में कारपेट के बजाय पीवीसी फ्लोरिंग ज्य़ादा उपयुक्त रहती है। इसी तरह दीवारों पर भी वॉशेबल पेंट करवाएं या फिर अच्छी क्वॉलिटी के वॉशेबल वाल पेपर्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। फर्श की सफाई के लिए कीटाणुनाशक ख्ारीदते समय पैकेट पर लिखे गए निर्देशों को ध्यान से पढऩा न भूलें क्योंकि कुछ चीजें विषैले तत्वों की मात्रा ज्य़ादा होती है, जो डॉगी को नुकसान पहुंचा सकती है। मेडिसिन बॉक्स, टूल बॉक्स, शीशे का सामान, डिटर्जेंट और सभी कीटनाशकों को डॉगी की पहुंच से दूर रखें। अगर घर में पार्टी हो तो उसे अलग कमरे में बंद कर दें और फुल वॉल्यूम पर म्यूजिक सिस्टम न चलाएं क्योंकि इनकी हियरिंग पावर इंसानों से दस गुना ज्य़ादा होती है।

जब घर हो बडा

अगर आपका घर ग्राउंड फ्लोर पर बना हो और उसमें चारों ओर ख्ाुला गार्डन एरिया हो तो आप डॉगी के जर्मन शेफर्ड, डोबरमन या बॉक्सर जैसी नस्लों का चुनाव कर सकती हैं क्योंकि ये घरों के लिए बहुत अच्छे पहरेदार साबित होते हैं, पर इन्हें छोटी उम्र से ही पालना ठीक रहता है। इनकी ट्रेनिंग इस ढंग से होनी चाहिए कि ये लोगों पर अटैक न करें। घर के पिछले हिस्से में उसके लिए एक रूम बनवा देना ठीक रहता है। उसी कमरे के दूसरे हिस्से में डॉगी के नहाने के लिए बाथटब और सफाई से जुडी सभी चीजें रखने की भी व्यवस्था होनी चाहिए। ध्यान रहे कि उसका कमरा पूरी तरह खुला और हवादार हो। अन्यथा, बंद कमरे में कीटाणु और बीमारियां फैलने की आशंका रहती है। डॉगी को खुली जगह में दौडऩा-खेलना बहुत अच्छा लगता है, पर इससे गार्डन के पौधों और फूलों के ख्ाराब होने का ख्ातरा रहता है। इसलिए अपने गार्डन के ही एक अलग हिस्से में उनके लिए अलग प्ले एरिया बनाएं, जिसमें केवल हरी घास हो। वहां आप कुछ छोटे स्टूल या मेज भी रख सकती हैं, ताकि वह ऐसी ऊंची-नीची जगहों पर उछलते-कूदते हुए खेल सके। ध्यान रखें कि वह पार्किंग एरिया में या गेट के बाहर न जाने पाए क्योंकि घर के भीतर रहने वाले डॉगी में ट्रैफिक से बचने की समझ नहीं होती और उसे गाडिय़ों से चोट लग सकती है।

हिफाजत अक्वेरियम की

अगर आपको पेट्स का शौक है, लेकिन घर बहुत छोटा है तो कोई बात नहीं, रंग-बिरंगी मछलियों से भरा अक्वेरियम रखकर आप अपना यह शौक आसानी से पूरा कर सकती हैं। अक्वेरियम ख्ारीदते समय यह बात हमेशा ध्यान में रखें कि उसकी देखभाल में उसकी कीमत से ज्य़ादा ख्ार्च होता है। घर में अक्वेरियम रखने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें, जहां मछलियों को पंखे की हवा बराबर मिलती रहे। नदी या तालाब में रहने पर मछलियों को सूरज की रोशनी मेें मौजूद विटमिन डी अपने आप मिल जाता है, लेकिन अक्वेरियम में रहने वाली मछलियों के लिए वाइड स्पेक्ट्रम लाइट की जरूरत होती है, ताकि उसकी रोशनी से उन्हें विटमिन डी मिलता रहे। नदी के बहते पानी में मौजूद ऑक्सीजन से वे आसानी से सांस ले पाती हैं, लेकिन अक्वेरियम में एयर पंप ऑक्सीजन बनाने का काम करता है और उसी की मदद से मछलियां सांस ले पाती हैं। इसलिए नियमित रूप से एयर पंप की जांच करती रहें। पंद्रह दिनों में एक बार अक्वेरियम का पानी जरूर बदलें और फिल्टर की भी अच्छी तरह सफाई करें। अगर संभव हो तो इसके लिए आरओ या हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल करें क्योंकि नल के पानी में सप्लाई से पहले बहुत ज्य़ादा क्लोरीन डाला जाता है और उसकी अधिकता से मछलियां मर सकती हैं। अगर अक्वेरियम मेें थोडी सी काई दिखे तो चिंतित न हों। यह इस बात का संकेत है कि उनके लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो गया है। अक्वेरियम में जमी काई को मछलियां ख्ाुद ही खा लेती हैं। हमेशा अच्छी क्वॉलिटी का फिश फूड ख्ारीदें और ख्ारीदते समय उसकी एक्सपायरी डेट जरूर चेक कर लें।

बच्चों का फेवरिट रैबिट

अगर आपके बच्चों को पेट्स से लगाव है औरआप डॉगी की इतनी जिम्मेदारियां उठाना नहीं चाहतीं तो आपके लिए खरगोश सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि बच्चों को उसके साथ खेलना बहुत अच्छा लगता है। खरगोश के लिए ऐसी खुली जमीन ठीक रहती है जहां पर्याप्त मिट््टी और घास हो। उसके लिए अपने गार्डन के ही एक हिस्से को जाली से घेर कर छोटा सा घर बनवा दें और उसकी सफाई का पूरा ध्यान रखें।

क्या कहना है इनका

सखी ने कुछ पेट लवर्स से बातचीत करके यह जानने की कोशिश की कि वे अपने पालतू जानवरों की देखभाल कैसे करते हैं। यहां प्रस्तुत हैं, कुछ ऐसे ही लोगों के अनुभव :

एक हाउसिंग सोसायटी के फोर्थ फ्लोर पर हमारा थ्री बेडरूम फ्लैट है, जिसमें मेरे मम्मी-पापा और छोटे भाई के साथ मेरा प्यारा डॉगी टुकटुक भी रहता है। वह पॉमरेनियन प्रजाति का है। हम इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि उसकी वजह से हमारे पडोसियों को कोई असुविधा न हो। इसलिए हम उसे अपार्टमेंट के कॉमन एरिया में जाने नहीं देते। उसे वॉक के लिए सडक पर ले जाते हैं और अपने साथ पॉली बैग और डिस्पोजेंबल ग्लव्स भी रखते हैं, ताकि अगर वह रास्ते में गंदगी करे तो हम उसे वहां से हटा कर डस्टबिन या नाले में फेंक सकें।

आयशा गर्ग, स्टूडेंट

मेरा मकान ग्राउंड फ्लोर पर है और उसके चारों ओर काफी ख्ाुली जगह है। हमारे परिवार में सभी को डॉग्स बहुत पसंद हैं। हमारे पास एक जर्मन शेफर्ड है, जिसका नाम बडी है। अपने गार्डन के पिछले हिस्से में हमने उसके लिए छोटा कमरा बनवा दिया है। हमारे एक घरेलू सहायक पर उसकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी है, ताकि जब हम छुट्टियों में कहीं घूमने जाएं तो उसे कोई परेशानी न हो।

स्वाति शर्मा, होममेकर

हम एक अपार्टमेंट के छोटे से फ्लैट में रहते हैं। हमारे पास ज्य़ादा जगह नहीं है और हम दोनों की जॉब ऐसी है कि कई बार हमें शहर से बाहर भी जाना पडता है, पर मुझे पेट्स बहुत पसंद हैं। इसीलिए मैंने अपने घर में छोटा सा अक्वेरियम रखा है। जब भी हमें कहीं बाहर जाना होता है तो हम पडोस के घर में चाबी और फिश फूड छोड जाते हैं।

विवेक सिंह, सीए

मेरे बच्चों को खरगोश बहुत ज्य़ादा पसंद हैं, पर उनकी वजह से घर में बहुत ज्य़ादा गंदगी फैलती है। इसलिए मैंने अपने किचन गार्डन एरिया के एक छोटे हिस्से को जालीनुमा तार से घेरकर वहीं उनका घर बना दिया है। मुझे सफाई का बहुत ज्य़ादा ध्यान रखना पडता है, ताकि खरगोश वजह से बच्चों को कोई इन्फेक्शन न हो। लंबी छुट्टियों में जब मुझे सपरिवार कहीं जाना होता है तो मैं उन्हें अपने स्कूल में छोड देती हूं क्योंकि वहां छोटे बच्चों को बहलाने के लिए रंग-बिरंगे पक्षियों के साथ कुछ खरगोश भी रखे गए हैं। वहां अपने दोस्तों का साथ पा कर मेरे रैबिट्स ख्ाुश हो जाते हैं।

नेहा रावत, टीचर

सखी फीचर्स


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