Move to Jagran APP

सही फिटिंग जगाए आत्मविश्वास

क्या आप अकसर पीठ दर्द, खराब पोस्चर और सांस की समस्या से परेशान रहती हैं? अगर हां तो इसका एक कारण आपके गलत इनर वेयर भी हो सकते हैं। बहुत-सी स्त्रियां इस ओर ध्यान ही नहीं देतीं कि उनके स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम समस्याएं उनके इनरवेयर पर भी निर्भर करती

By Edited By: Published: Fri, 27 Mar 2015 12:34 AM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2015 12:34 AM (IST)
सही फिटिंग जगाए आत्मविश्वास
क्या आप अकसर पीठ दर्द, खराब पोस्चर और सांस की समस्या से परेशान रहती हैं? अगर हां तो इसका एक कारण आपके गलत इनर वेयर भी हो सकते हैं। बहुत-सी स्त्रियां इस ओर ध्यान ही नहीं देतीं कि उनके स्वास्थ्य से जुडी तमाम समस्याएं उनके इनरवेयर पर भी निर्भर करती हैं।

सही फिटिंग को लेकर अकसर स्त्रियों के मन में तमाम तरह के सवाल होते हैं, लेकिन संकोचवश वे अपने इन सवालों का समाधान ढंूढ नहीं पातीं। आज से तकरीबन दस साल पहले तक जो औसत साइज स्त्रियां पहनती थीं उसका साइज 36सी की अपेक्षा 34बी होता था। जाहिर है मेजरमेंट से संबंधित पर्याप्त जानकारी न होने के कारण वे ऐसा करती थीं। लेकिन आज भी चालीस प्रतिशत स्त्रियां गलत नंबर चुनती हैं।

loksabha election banner

विशेषज्ञों का मानना है कि एकदम सही फिटिंग की ब्रा बहुत जरूरी है। इसका मुख्य कारण यह है कि स्तनों में हडि्डयां नहीं होतीं और बारीक टिश्यूज होते हैं, जो कसी ब्रा पहनने से टूट सकते हैं या उन्हें क्षति पहुंच सकती हैं। दरअसल स्तन फाइब्रेस टिश्यू, ग्लैडुलर टिश्यू और वसा से बने होते हैं। ख्ाास तौर पर जब स्त्रियां प्रौढावस्था की तरफ बढती हैं तब यह और भी जरूरी हो जाता है कि वे सही सपोर्ट ब्रा चुनें या पहनें।

हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक सिर्फ दस प्रतिशत स्त्रियां ही एकदम फिट ब्रा पहनती हैं। दो हजार स्त्रियों पर किए गए एक शोध के मुताबिक 18 प्रतिशत स्त्रियों का मानना था कि वे अपने इनर वेयर को फिट करने के लिए सिलाई करती हैं या फिर सेफ्टीपिन का प्रयोग करती हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो आज भी ज्य़ादातर स्त्रियां गलत ढंग से इनरवेयर चुनने के कारण सेहत संबंधी तमाम समस्याओं को बुलावा देती हैं। गाइनेकोलॉजिस्ट

डॉ. उर्वशी झा कहती हैं कि सही फिटिंग की ब्रा न पहनने के कारण गले, कंधे और पीठ में दर्द के साथ-साथ गंभीर रूप से मांसपेशियों में खिंचाव और अकडऩ होती है। इसके अलावा असमय सिरदर्द व बाहों में दर्द होता है। इसलिए स्त्री स्वास्थ्य के लिए सबसे जरूरी है सही ब्रा का चयन। वहीं सही फिटिंग और आरामदायक ब्रा आपके पोस्चर को भी सही रखती है। बहुत ज्य़ादा कसी हुई ब्रा पहनने से पीठ के ऊपरी हिस्से का लचीलापन कम हो जाता है। इसके अलावा यह बस्ट लाइन के लचीलेपन को भी प्रभावित करता है, जिससे की सांस संबंधी दिक्कतें भी पैदा हो जाती हैं।

चाहिए सही सपोर्ट

डॉ. उर्वशी के अनुसार स्तनों में हडि्डयां नहीं होतीं और बारीक टिश्यूज होते हैं, जो कसी (टाइट) ब्रा पहनने से टूट सकते हैं या उन्हें क्षति पहुंच सकती हैं। दरअसल स्तन फाइब्रेस टिश्यू, ग्लैडुलर टिश्यू और वसा से बने होते हैं। खास तौर पर जब स्त्रियां प्रौढावस्था की तरफ बढती हैं तब यह और भी जरूरी हो जाता है कि वे सही सपोर्ट वाली ब्रा पहनें। हेवी बस्ट होने पर ब्रेस्ट का लोअर पार्ट सपोर्ट बहुत जरूरी होता है।

बेल्ट या कप का लोअर पार्ट सपोर्ट ठीक होना जरूरी है। अंडर वायर सपोर्ट ब्रा यूं तो सही है, लेकिन अकसर सही साइज न चुनने से बस्ट लाइन पेन या लोकल मस्कुलर बैकपेन होने लगता है। कुछ स्त्रियां जरूरत से ज्य़ादा ढीली या बडी ब्रा पहनती हैं, जिससे स्तनों को सही सपोर्ट नहीं मिल

पाता है।

शादी और गर्भधारण करने के बाद स्तनों के आकार और साइज में काफी बदलाव आता है इसलिए कभी भी अपने मनमुताबिक नाप की ब्रा चुनने के बजाय पहले सही माप जरूर कर लें। आइए सखी के साथ जानते हैं सही माप को लेकर अकसर दिमाग में उठने वाले कुछ सवालों के जवाब -

समस्या : ब्रा की माप से संबंधित आमतौर पर स्त्रियां कौन सी गलती करती हैं?

समाधान : सबसे पहली गलती बजाय कप साइज को बढाने के बैंड साइज को बढाने की करती हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई स्त्री 34सी को पहनकर देखती है और वह हलकी कसी लगती है। ऐसे में वह तुरंत 36सी चुनती है बजाय 34डी लेने के। इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि आप तब तक अपना बैंड साइज न बदलें जब तक कि आपकी अंगुलियां आपकी ब्रा पहनने के बाद बैंड साइज के भीतर न जा पाएं।

समस्या : शेपवेयर की फिटिंग क्या कम साइज चुनना चाहिए?

समाधान : बिलकुल नहीं। छोटा साइज ढंग से फिट नहीं होगा और उस कारण दर्द भी हो सकता है। शेपवेयर कई प्रकार के लेवल में आते हैं- लाइट कंट्रोल, मॉडरेट कंट्रोल, फर्म कंट्रोल और एक्स्ट्रा फर्म कंट्रोल। बजाय कम साइज चुनने के कंट्रोल लेवल सही चुनें।

समस्या : मैटरनिटी ब्रा खरीदने का सही समय कब होता है?

समाधान : जब ब्रेस्ट बढऩे लगें और उनमें पहले से अधिक कसाव सा महसूस होने लगे, तभी मैटरनिटी ब्रा खरीदनी चाहिए। मैटरनिटी ब्रा आम ब्रा से भिन्न होती है। ये खासतौर पर अतिरिक्त सपोर्ट देने के लिहाज से डिजाइन की जाती हैं। यह इस प्रकार तैयार की जाती है कि प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में फस्र्ट हुक (टाइटेस्ट) लगाकर इस्तेमाल कर सकें और अंतिम दिनों में फाइनल (लूजेस्ट) हुक लगाकर इस्तेमाल कर सकें। आमतौर पर ऐसा नहीं होता कि किसी स्त्री को प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिन से अंतिम दिन तक एकदम नए साइज का ब्रा बार-बार चुनना पडे। अधिकतर मांओं को गर्भधारण के चौथे माह से मैटरनिटी ब्रा पहनने की जरूरत पडती है।

समस्या : कैसे जानें कि कब अपनी ब्रा बदलने की जरूरत है?

समाधान : पहले इन बातों पर ध्यान दें-

-क्या आपके ब्रेस्ट ब्रा कप साइज से बाहर निकले हुए नजर आते हैं? अगर हां, तो यह संकेत है कि आप काफी छोटा कप साइज पहनती हैं, जो पूरा सपोर्ट नहीं देता है।

-अगर आपके कप वास्तव में ब्रेस्ट के साथ-साथ साइड को भी पूरा कवर नहीं करते तो इसका मतलब है कि आप छोटा कप साइज पहनती हैं।

-अगर आपके स्ट्रैप्स चुभते हैं तो इसका मतलब है कि आप जरूरत से ज्य़ादा बडी ब्रा पहनती हैं और आपके ब्रेस्ट को पूरा सपोर्ट नहीं मिलता है। ऐसे में तुरंत इसे बदल डालें।

-क्या आपके ब्रेस्ट कप से बाहर निकल जाते हैं? अगर हां तो आप अधिक बडी ब्रा पहन रही हैं। आपको छोटा कप साइज चुनना चाहिए।

समस्या : क्या सभी ब्रा एक समान होती है?

समाधान : पहले अपना साइज रेंज पहचानें तभी आपको पता चल सकता है कि दूसरी ब्रैंड की ब्रा पहले से कितनी भिन्न है। आज बाजार में तमाम तरह की ब्रा उपलब्ध हैं- फुल कप, हॉफ कप, बैलकोनेट कप, प्लंग। यह कप साइज पर निर्भर करता है कि उनमें से किस प्रकार की आपके लिए अधिक उपयोगी होगी।

मसलन अगर एक स्त्री का कप साइज छोटा है और वह फुल कप साइज ब्रा चुनती है तो वह उसके ब्रेस्ट शेप के मुताबिक नहीं होगी। ऐसे में सही सपोर्ट न मिलने से बस्ट लाइन और कप साइज की शेप पर प्रभाव पडेगा। छोटे कप साइज वाली स्त्रियों के लिए बैलेकोनेट या टैंगल ब्रा अधिक सही रहती है। लेकिन बडा कप साइज होने पर बैलकोनेट ब्रा पहनने पर दिक्कत होगी। आप विभिन्न ब्रा पहनकर खुद ही जांच लें कि वास्तव में आपको किसमें आराम और पूरा सपोर्ट मिल

रहा है।

समस्या : अगर ब्रा पहनने पर ढीली महसूस हो तो क्या उसके स्ट्रैप को टाइट करना ठीक रहेगा?

समाधान : यह बहुत आम धारणा है। आज भी बहुत स्त्रियां यही सोचती हैं कि ब्रा पहनने में परेशानी या ढीली महसूस हो तो उसके स्ट्रैप टाइट कर लेने से फिटिंग सही आ जाएगी। वास्तविकता यह है कि ब्रा का स्ट्रैप्स सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, लेकिन वह आपके ब्रेस्ट को सपोर्ट नहीं देता।

इसका मतलब यह है कि जब आप अपनी ब्रा के स्ट्रैप्स को कंधे के नीचे उतार दें या खोल दें तब भी आपकी ब्रा पूरा सपोर्ट दे और किसी प्रकार की असुविधा न हो तो जाहिर है कि आपने सही ब्रा चुनी है।

सही कप साइज्ा

सही कप साइज्ा जानने के लिए बस्ट साइज्ा नंबर से बैंड साइज्ा घटा लें। यही आपका सही कप साइज्ा होगा। अगर बैंड साइज्ा है- 36 और बस्ट साइज्ा है 39 तो सही कप साइज्ा होगा 39-36= 3 यानी सी।

जानें इन नंबर्स का अर्थ भी-

0. का अर्थ है कप साइज्ा एए

1. कप साइज्ा होगा ए

2. कप साइज्ा बी

3. कप साइज्ा सी

4. कप साइज्ा डी

5. कप साइज्ा डीडी...।

लार्जर साइज्ा ख्ाास ब्रैंड्स में उपलब्ध हैं।

कैसे करें माप

-अपने ब्रेस्ट के एकदम नीचे की सबसे पहले माप लें। उसके बाद जितनी माप आए उसमें 5 इंच और जोड दें। अब जो कुल नंबर आए वही आपका ब्रा/ बैंड साइज हुआ। अगर ब्रा साइज विषम संख्या में आया हो तो उसमें 1 इंच/ नंबर जोड दें, ताकि वह सम संख्या बन जाए।

-अब अपने ब्रेस्ट के सबसे ऊपरी और उभरे हुए हिस्से की माप लें। माप लेते समय हाथ सीधे नीचे हों, टेप ब्रेस्ट से सटा और पीठ पर एकदम समतल रखें। फिर देखें कि पहले स्टेप में जो माप निकली थी दूसरे स्टेप में वह माप कितनी निकली उसे किसी डायरी में नोट कर लें। ताकि आप यह जान सकें कि पहले स्टेप्स और दूसरे स्टेप्स में कितने इंच का अंतर आया और वही अंतर नोट कर लें ताकि आपका कप साइज निकल सके।

जब आप सही फिटिंग की ब्रा पहनती हैं तो न सिर्फ आपको आराम मिलता है बल्कि आत्मविश्वास भी बढता है।

ध्यान रखें

-पहली बार क्रॉप्ड-टॉप-स्टाइल वाली ब्रा ही लें। इनका शेप ब्रा जैसा नहीं होता। इसलिए ये कंफर्टेबल होती हैं।

- बस्ट साइज्ा बढऩे लगे तो स्टार्टर ब्रा लें। ध्यान रखें, टीनएज ब्रा वयस्कों की इनरवेयर से अलग होती है।

-पहली बार ब्रा लेने से पहले उसका सही साइज्ा ज्ारूर चेक करें। अंडर बस्ट और अराउंड बस्ट नापें और बॉक्स में दिए गए तरीके से सही कप साइज्ा जांच लें।

-शीशे के सामने सीधी खडी हों। ब्रा ट्राई करते समय अपने हाथों को मूव करके देखें कि कंफर्टेबल हैं या नहीं। फिटिंग ठीक लगे तो इसके ऊपर ड्रेस पहन कर भी ज्ारूर चेक करें, ताकि सही लुक समझ आ जाए।

- शुरुआत में वायर-फ्री या स्पोट्र्स ब्रा ही उपयुक्त हैं। ये कंफर्टेबल लगती हैं।

क्या आप जानती हैं?

-5 में 4 भारतीय स्त्रियां सही ब्रा साइज के बारे में नहीं जानती।

-53 प्रतिशत बहुत पुरानी ब्रा इस्तेमाल करती हैं।

-82 प्रतिशत भारतीय स्त्रियां सही ब्रा चुनने के लिए किसी एक्सपर्ट या प्रोफेशनल की सलाह नहीं लेतीं।

-ज्य़ादातर स्त्रियां अपने वास्तविक बैंड साइज से बडा पहनती हैं।

-वजन का घटना-बढऩा और पीरियड्स साइकल भी ब्रा की फिटिंग पर प्रभाव डालते हैं।

-विशेषज्ञों का मानना है कि हर स्त्री को साल में एक-दो बार मेजरमेंट करना बेहद आवश्यक है।

-वही ब्रा पहनने जिसे पहनकर आपको सबसे अधिक आराम महसूस हो। संभव हो तो कपडे वाले इंचटेप से माप लें।

नोट : अकसर पुराना मेजर टेप फैल जाता है या मुड-तुड जाता है, जिसके कारण सही माप नहीं हो पाती। बेहतर होगा कि कपडे का नया मेजर टेप प्रयोग करें।

इला श्रीवास्तव

इनपुट्स : िजवामे की सीईओ रिचा कार, सीनियर िफिजशियन

डॉ. प्रियंका वाधवानी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.