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सहज है यह बदलाव

प्यूबर्टी की वजह से शरीर में हॉर्मोन्स का स्तर असंतुलित हो जाता है, जिससे टीनएजर्स में अकसर चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।

By Edited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 04:25 PM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 04:25 PM (IST)
सहज है यह बदलाव

पिछले कुछ दिनों से मेरी 13 वर्षीया बेटी बेहद चिडचिडी हो गई है। किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता। मेरे निर्देशों पर अमल करने के बजाय झल्लाने लगती है। मेरी बातों का उस पर कोई असर नहीं होता। इस समस्या का क्या समाधान है?

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निधि सक्सेना, लखनऊ

आप चिंतित न हों। यह टीनएज से जुडी आम समस्या है। इस उम्र में बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से हो रहा होता है। इसलिए वे अपने माता-पिता के सीमित दायरे से अलग हटकर स्वतंत्र रूप से सिर्फ अपने बारे में सोचना शुरू करते हैं, जिससे उनकी सेल्फ इमेज बनने लगती है। इसी वजह से उन्हें पेरेंट्स की रोक-टोक पसंद नहीं आती। लगता है कि आपकी बेटी के साथ भी यही समस्या है। इस उम्र में कई बार बच्चे पढाई के दबाव या स्कूल में किसी टीचर के सख्त व्यवहार की वजह से भी तनावग्रस्त रहते हैं। पीयर प्रेशर भी टीनएजर्स में तनाव का बहुत बडा कारण है। महंगी ब्रैंडेड चीजों, दोस्तों के बीच खर्च करने के लिए ज्यादा पॉकेटमनी और फिजिकल अपियरेंस आदि कई ऐसी वजहेंं हैं, जो टीनएजर्स को तनावग्रस्त कर देती हैं। प्यूबर्टी की वजह से शरीर में हॉर्मोन्स का स्तर असंतुलित हो जाता है, जिससे टीनएजर्स में अकसर चिडचिडापन और मूड स्विंग जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। खासतौर पर लडकियों में पीरियड्स की शुरुआत के साथ उनकी शारीरिक संरचना में भी तेजी से बदलाव आ रहे होते हैं, जिससे वे बहुत असहज महसूस करती हैं। इस उम्र में विपरीत सेक्स के प्रति स्वाभाविक आकर्षण होता है और इसे लेकर टीनएजर्स के मन में ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है। वे अपनी इन समस्याओं को पेरेंट्स के साथ शेयर नहीं कर पाते। इसी वजह से उनके व्यवहार में चिडचिडापन दिखाई देता है। इस उम्र में बच्चों की संवाद शैली इतनी विकसित नहीं होती कि वे अपनी सभी समस्याओं पर पेरेंट्स से बात कर सकें। हो सकता है, आपकी बेटी भी ऐसी ही किसी समस्या से जूझ रही हो। इस वक्त उसे आपकी मदद की जरूरत है। ऐसे व्यवहार के लिए उसे डांटने से पहले उससे प्यार भरी बातचीत का समय निकालें और बातों ही बातों में उसकी समस्या की असली वजह जानने की कोशिश करें। उससे ऐसा दोस्ताना रिश्ता कायम करें कि वह आपके साथ खुलकर अपने दिल की बातें शेयर कर सके, पर इसके साथ ही अपने परिवार में अनुशासन के कुछ स्पष्ट नियम बनाएं और उससे कहें कि उसे हर हाल में उनका पालन करना ही होगा। उसकी हॉबीज को पहचानकर उसे उसकी मनपसंद एक्टिविटीज में व्यस्त रखने की कोशिश करें। इससे उसकी एनर्जी पॉजिटिव तरीके से चैनलाइज होगी और आपको उसके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव नजर आएगा। द्य

पेरेंटिंग टिप्स

- चाहे कितनी ही व्यस्तता क्यों न हो, अपने टीनएजर से रोजाना बातचीत का समय जरूर निकालें।

- ध्यान रहे कि यह बातचीत बिलकुल सहज अंदाज में होनी चाहिए। उस दौरान आप उसे कोई उपदेश न दें।

-अगर आपको उसकी कुछ आदतें नापसंद हैं तो भी उसे बार-बार टोकने के बजाय एक ही बार स्पष्ट रूप से समझा दें कि दोबारा ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए।

- उसे अपने पारिवारिक और नैतिक मूल्यों से जोडऩे की कोशिश करें।

-उसके हर व्यवहार और दोस्तों पर नजर रखें। अगर आपको कुछ गलत दिख्खाई दे तो ओवर रिएक्ट करने के बजाय उसे धैर्यपूर्वक समाझाएं कि ऐसा करना उसके लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है।

गगनदीप कौर

चाइल्ड एंड क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट


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