सुरक्षा के साथ ज्य़ादा लाभ
निवेश के पारंपरिक माध्यमों में सोना सबसे ज्य़ादा लाभदायक और लोकप्रिय है, पर आजकल गहने, सिक्के या गोल्ड ब्रिक्स ख़्ारीदना उतना सुरक्षित नहीं होता क्योंकि इसमें ठगी की आशंका बनी रहती है। लोगों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गोल्ड बॉण्ड की शुरुआत की है, जो
निवेश के पारंपरिक माध्यमों में सोना सबसे ज्य़ादा लाभदायक और लोकप्रिय है, पर आजकल गहने, सिक्के या गोल्ड ब्रिक्स ख्ारीदना उतना सुरक्षित नहीं होता क्योंकि इसमें ठगी की आशंका बनी रहती है। लोगों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गोल्ड बॉण्ड की शुरुआत की है, जो स्वर्ण में निवेश के पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं ज्य़ादा सुरक्षित और फायदेमंद साबित होगा।
अगर पारंपरिक तरीकों की बात की जाए तो सोने को निवेश का सबसे सुरक्षित माध्यम माना जाता है और आज भी इसके प्रति लोगों का आकर्षण कम नहीं हुआ है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने स्वर्ण बॉण्ड योजना और स्वर्ण मौद्रीकरण बचत योजना की शुरुआत की है, ताकि लोग घर में रखे अतिरिक्त सोने को बैंक में जमा कराके उस पर कुछ ब्याज (लगभग 2.5 त्न) कमा सकें। इस पर मिलने वाला ब्याज पूर्णत: करमुक्त होगा। ये दोनों योजनाएं स्वर्ण निवेश वाली अन्य योजनाओं से कहीं ज्य़ादा सुरक्षित हैं। इनका मकसद देश में लोगों के पास निजी संपत्ति के रूप में मौजूद हजारों टन सोने को बाजार में लाकर उसके उपयोग के साथ उन्हें निवेश का एक नया विकल्प मुहैया कराना है।
क्या है ख्ाासियत
स्वर्ण बॉण्ड के तहत 5, 10, 50 और 100 ग्राम सोने के मूल्य में स्वर्ण बॉण्ड उपलब्ध होंगे। इनकी परिपक्वता अवधि पांच से सात साल तक होगी। इन पर ब्याज दर की गणना निवेश के समय सोने के मूल्य के हिसाब से की जाएगी। कोई व्यक्ति एक साल में अधिकतम 500 ग्राम तक के स्वर्ण बॉण्ड ख्ारीद सकेगा। स्वर्ण बॉण्ड को शेयरों की तरह स्टॉक एक्सचेंज में ख्ारीदना-बेचना संभव होगा। जरूरत पडऩे पर लोग परिपक्वता अवधि से पहले भी अपनी जमा राशि निकाल सकेंगे। उपभोक्ता इसे बैंक, ग्ौर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों या डाकघरों के ज्ारिये ख्ारीद सकते हैं। यह स्वर्ण बॉण्ड सरकार पेश करेगी, जिसकी वजह से इसमें पूंजी डूबने की कोई आशंका नहीं रहेगी। इसके पहले सोने में निवेश के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) ही एकमात्र विकल्प था, जिसे निजी कंपनियां जारी करती हैं, जिसमें शेयर बाजार के उतार-चढाव के मुताबिक रिटर्न मिलता है।
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना
अगर किसी भी व्यक्ति या संस्था के पास बहुत ज्य़ादा सोना यूं ही रखा हो तो इसका उसे कोई फायदा नहीं मिलता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्वर्ण मौद्रीकरण योजना लागू की गई है। इसके तहत कोई भी संस्था या व्यक्ति अपने पास बेकार पडे सोने को किसी भी रूप में 1 से 15 साल के लिए सरकारी बैंक में जमा करा सकता है। जिस पर सरकार की ओर से जमाकर्ता को कुछ ब्याज भी दिया जाएगा। परिपक्वता की अवधि पूरी होने पर बाजार में चल रहे ब्याज दर के आधार पर जमाकर्ता को उतनी ही राशि दे दी जाएगी। इसके तहत लोग या संस्थान न्यूनतम 30 ग्राम सोना जमा करा सकते हैं। लंबी अवधि के लिए जमा किए सोने को बैंक ज्यूलर्स को बेच सकेेंगे। मौजूदा समय में उपभोक्ता निवेश के लिए भी सोने की ज्यूलरी ख्ारीदते हैं, जिसे घर में रखने पर चोरी होने का ख्ातरा रहता है, जबकि बैंक के लॉकर में रखने के लिए शुल्क चुकाना पडता है। वहीं बाजार में इसे बेचने पर मेकिंग चार्ज का नुकसान होता है, जो प्रति ग्राम 10 से 30 त्न तक होता है। वैसे भी आजकल बैंकों द्वारा आकस्मिक ख्ार्च के लिए आसान शर्तों पर लोन और चीजें ख्ारीदने के लिए ईएमआइ की सुविधा उपलब्ध है। अब पुराने जमाने की तरह लोगों को आर्थिक तंगी की स्थिति में गहने बेचने या गिरवी रखने की जरूरत नहीं पडती। इसलिए आज के दौर में गहने, सिक्के या गोल्ड ब्रिक्स के बजाय गोल्ड बॉण्ड ख्ारीदना ज्य़ादा फायदेमंद है। इसकी ख्ारीद पर सरकार द्वारा कैपिटल गेन टैक्स में छूट देने की भी योजना है, जो कि निवेश की अवधि पूरी होने के बादमिलती है।
केवाईसी है जरूरी
स्वर्ण बचत योजना में निवेशकों को 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) नियमों का पूरी तरह पालन करना पडेगा। इससे जहां आम लोगों को फायदा होगा, वहीं काला धन रखने वाले इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे।
वल्र्ड गोल्ड काउंसल का मानना है कि स्वर्ण मौद्रीकरण और स्वर्ण बॉण्ड योजना की मदद से लोगों के पास रखे सोने के स्टॉक का उपयोग करने में मदद मिलेगी और सोना वित्तीय प्रणाली का आंतरिक हिस्सा बन जाएगा। चूंकि, यह योजना भारत सरकार द्वारा लागू की गई है। इसलिए फायदेमंद होने के साथ इसमें निवेश पूर्णत: सुरक्षित भी है।
सखी फीचर्स
(वित्तीय सलाहकार एम. के. अरोडा से बातचीत पर आधारित)