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खूबसूरत हो आपकी जिंदगी

घर से बाहर तक दौड़ते जाना, सबकी सुविधाओं का ख़्ायाल रखना स्त्री की आम दिनचर्या में शामिल है। इन सबके बीच उसका मी टाइम कहीं खो सा जाता है। नए साल में थोड़ा पर्सनल स्पेस भी सहेज कर देखें। इससे रिश्ते तो ख़्ाुशनुमा होंगे ही, जि़म्मेदारियों को भी बेहतर ढंग

By Edited By: Published: Fri, 01 Jan 2016 03:53 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2016 03:53 PM (IST)
खूबसूरत हो आपकी जिंदगी

घर से बाहर तक दौडते जाना, सबकी सुविधाओं का ख्ायाल रखना स्त्री की आम दिनचर्या में शामिल है। इन सबके बीच उसका मी टाइम कहीं खो सा जाता है। नए साल में थोडा पर्सनल स्पेस भी सहेज कर देखें। इससे रिश्ते तो ख्ाुशनुमा होंगे ही, जिम्मेदारियों को भी बेहतर ढंग से निभा पाएंगी।

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आजकल स्त्रियां घर और बाहर, दोनों ही जगह की जिम्मेदारियां बख्ाूबी निभा रही हैं। वे हर रोल में फिट हैं और समय-समय पर अपनी दोहरी भूमिकाएं साबित भी कर रही हैं। वे डॉक्टर, टीचर, इंजीनियर होने के साथ ही बेटी, पत्नी और मां भी हैं लेकिन घर-ऑफिस के बीच वे इतना उलझ जाती हैं कि अपनी पसंद-नापसंद और जरूरतों को नजरअंदाज करने लगती हैं। व्यस्तताएं कितनी भी हों, अपने लिए थोडा समय निकालना ज्ारूरी है। इस साल ख्ाुद को यह समय देने का वादा करें।

ख्ाुद से करें दोस्ती

हमारी जीवनशैली ऐसी हो गई है कि हम दूसरों के लिए तो क्या, अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाते हैं। इस व्यस्तता में अपना संबल बनाए रखने के लिए ख्ाुद से दोस्ती करना बहुत जरूरी है। आपका शेड्यूल चाहे जितना भी टाइट हो, उसमें से कुछ समय अपने लिए निर्धारित करें। ऐसा करने से आप ख्ाुद को बेहतर समझ पाएंगी और ताज्ागी महसूस करेंगी। लंबे समय तक खुद की उपेक्षा करने से आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पडता है।

क्या करें अपने मी टाइम में

मी टाइम, यानी कि एकांत में बिताया जाने वाला समय। अकसर स्त्रियां सोचती हैं कि घर की साफ-सफाई कर ली या सहेलियों से गपशप, तो बस वही उनका मी टाइम हो गया, पर यह धारणा गलत है। अपने इस टाइम को किसी के साथ बिताने के बजाय ख्ाुद के साथ बिताएं। कुछ ऐसा करें कि अच्छा लगे और आत्मविश्वास जगे।

-अपने भूले-बिसरे शौक को फिर से जगाएं और जिएं।

-अकेले शॉपिंग करने या मूवी देखने जाएं।

-अपने पसंदीदा लेखकों या विषयों की पुस्तकें पढें।

-सबके लिए नाश्ता बनाते-बनाते आप अपनी एक्सरसाइज पर ध्यान देना भूल चुकी हैं तो अब एक्सरसाइज को अपनी रोज की आदत बना लें।

-लिखने में रुचि है तो देर किस बात की? उठाइए एक डायरी-पेन और शुरू हो जाइए।

-संगीत सुनने से भी स्ट्रेस बहुत कम होता है और साथ में आप गुनगुना भी सकती हैं। इसके लिए गायिका होने की कोई शर्त नहीं।

-कोई हॉबी क्लास जॉइन करना चाहें तो वो भी कर सकती हैं।

निजी रखें इन पलों को

ऐसा न हो कि आप अपनी पसंद का कोई काम करने बैठें और वही समय आपके बच्चों के स्कूल या पति के ऑफिस से आने का हो। समय ऐसा चुनें, जिसमें कोई आपको डिस्टर्ब करने न आए। अपनी हॉबीज का आनंद अकेले में ही उठाएं। उसमें अपनी सहेली, ननद या बहन को शामिल न करें। अपनी निजता का सम्मान स्वयं करें। आपके परिवार के सदस्यों और करीबी मित्रों को भी पता होना चाहिए कि इन निजी पलों में वे भी आपको डिस्टर्ब न करें।

यकीन मानिए, अपने साथ बिताए गए ये ख्ाास लमहे आपकी दिनचर्या को बेहद संतुलित बना देंगे। इससे जिंदगी पहले से भी ज्य़ादा ख्ाूबसूरत हो जाएगी और अपने भीतर महसूस करेंगी एक सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास।

सखी फीचर्स

(मनोवैज्ञानिक सलाहकार अनु अग्रवाल से बातचीत पर आधारित)


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