जीवन चलने का नाम
मुश्किल हालात सभी के जीवन में आते हैं, पर उनकी वजह से वक्त नहीं रुकता। मज़बूती से कठिनाइयों का सामना करने और दुखद यादों को भुलाकर चलते रहने का नाम ही जि़ंदगी है। अगर हम थोड़ी सी भी कोशिश करें तो आगे बढऩे का कोई न कोई रास्ता निकल ही
मुश्किल हालात सभी के जीवन में आते हैं, पर उनकी वजह से वक्त नहीं रुकता। मजबूती से कठिनाइयों का सामना करने और दुखद यादों को भुलाकर चलते रहने का नाम ही जिंदगी है। अगर हम थोडी सी भी कोशिश करें तो आगे बढऩे का कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है।
सम की तरह हमारी जिंदगी में भी धूप-छांव का आना-जाना लगा रहता है। चाहे घर-परिवार की परेशानियां हों या प्राफेशनल लाइफ से जुडे उतार-चढाव। ऐसी मुश्किलों से हर इंसान को कभी न कभी रूबरू होना पडता है। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए आइए जानते हैं विशेषज्ञों के साथ।
दांपत्य में दिक्कतें
निधि एक बैंक में कार्यरत हैं। उनकी शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं और वह 2 बच्चों की मां हैं। वह कहती हैं, 'शुरुआती चार-पांच वर्षों तक सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन बढती व्यस्तता और काम के बोझ ने अब हम दोनों को चिडचिडा बना दिया है। छोटी-छोटी बातों को लेकर अकसर हमारे बीच बहस हो जाती है। अब हालत ऐसी हो गई है कि एक ही घर में रहते हुए भी हमारे बीच कई दिनों तक बातचीत नहीं हो पाती। मेरा दांपत्य जीवन बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है। मैं इस मानसिक तनाव से बाहर निकलना चाहती हूं। मुझे क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञ की राय : आप परेशान न हों। ऐसी मान्यता है कि शादी के सात साल बाद दांपत्य जीवन में थोडी उदासीनता आने लगती है। आप भी उसी दौर से गुजर रही हैं। ऐसे में सबसे पहले आप दोनों को अपने लिए समय निकालना चाहिए। पारिवारिक और प्रोफेशनल जिम्मेदारियां जरूरी हैं, पर यह न भूलें कि ये सभी कार्य आप दोनों अपने परिवार की ख्ाुशियों के लिए ही कर रहे हैं। अगर व्यस्तता की वजह से आपके रिश्ते में तनाव आ रहा हो तो सबसे पहले अपने घरेलू कार्यों की प्राथमिकता तय करें और उनमें से कुछ गैर जरूरी कार्यों को थोडे समय तक टाल दें। सुबह या शाम जब भी फुर्सत हो कम से कम आधे घंटे का समय एक-दूसरे के साथ तनावमुक्त होकर बिताएं। इस दौरान घर के किसी काम को लेकर एक-दूसरे से कोई शिकायत न करें। छोटी-छोटी ख्ाामियों के लिए एक-दूसरे को टोकना छोड दें। वीकएंड पर सपरिवार कहीं घूमने निकल जाएं। अपने जीवनसाथी की गलतियां निकालने के बजाय उसके अच्छे गुणों को पहचान कर उसकी प्रशंसा करें। इससे धीरे-धीरे आपके रिश्ते में सहजता आ जाएगी।
परवरिश की परेशानियां
कविता एक टीनएजर बेटे की मां हैं। उन्हें इस बात की आशंका है कि उनका बेटा पोर्न वेब साइट्स की सर्फिंग करता है। इसी वजह से वह बहुत चिंतित हैं कि कहीं उनका बेटा गलत रास्ते पर न चला जाए। इसका क्या समाधान है?
विशेषज्ञ की राय : आजकल इंटरनेट की वजह से बच्चों को भी आसानी से पोर्न कंटेंट उपलब्ध हो जाता है। टीनएजर्स के मन में सेक्स को लेकर स्वाभाविक उत्सुकता होती है, जिसे शांत करने के लिए वे ऐसे माध्यमों का सहारा लेते हैं। ऐसी स्थिति में आपके पति की जिम्मेदारी और भी बढ जाती है कि वे अपने बेटे के साथ ज्य़ादा क्वॉलिटी टाइम बिताएं। शारीरिक-मानसिक विकास के साथ शरीर में आने वाले हॉर्मोन संबंधी बदलावों से भी उसे अवगत कराएं। उसे समझाएं कि इस उम्र में सभी के मन में सेक्स को लेकर सहज जिज्ञासा होती है, पर इसके लिए पोर्न साइट्स का सहारा लेना गलत है। उसकी उम्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आप उसे टीनएजर्स के शारीरिक विकास से जुडी कुछ अच्छी किताबें पढऩे को दें। उसे स्पोट्र्स, जूडो-कराटे, एरोबिक्स, डांस, पेंटिंग या उसकी रुचि से जुडी ऐसी ही किसी ऐक्टिविटी में व्यस्त रखने की कोशिश करें। इससे उसकी एनर्जी सही दिशा में चैनलाइज होगी और यह आदत अपने आप छूट जाएगी।
ब्रेकअप के बाद
सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमृता का ब्रेकअप हो गया और लडके ने दूसरी लडकी से सगाई कर ली। इस घटना के बाद से वह बेहद उदास रहने लगी और रिश्तों पर से उसका विश्वास ख्ात्म हो गया है। उसके सामने विवाह के कई प्रस्ताव आए, पर उसने शादी से इंकार कर दिया। ऐसी उदासी भरी मनोदशा से बाहर निकलने के लिए उसे क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञ की राय : किसी भी रिश्ते का टूटना दुखद होता है और उसके सदमे से उबरने में थोडा वक्त लगता है। आप भी धैर्य से काम लें। कोई भी रिश्ता जिंदगी से बडा नहीं होता। पुरानी कडवी यादों को भूलकर नए सिरे से अपना जीवन संवारने में जुट जाएं। ऐसी मनोदशा से बाहर निकलने के लिए ख्ाुद को थोडा वक्त दें। अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाकर देखें। मसलन हेयर स्टाइल चेंज करें, वॉर्डरोब के लिए नए सिरे से शॉपिंग करें, अच्छी किताबे पढें, करीबी दोस्तों के साथ वक्त बिताएं, मनपसंद संगीत सुनें, योग या एरोबिक्स की क्लासेज ज्वॉइन कर लें। इससे जल्द ही आपको अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव नजर आएगा। अंत में, एक बुरे अनुभव के आधार पर अपने मन में ऐसी गलत पूर्वधारणा न बनाएं कि सभी पुरुष धोखेबाज होते हैं। अगर कोई पुरुष दोस्ती का हाथ बढाता है तो इंकार न करें, लेकिन उसे परखने के बाद ही कोई निर्णय लें।
प्रोफेशनल पेचीदगियां
एक आइटी कंपनी में कार्यरत आकाश बहुत ईमानदार और मेहनती है। फिर भी उसके बॉस छोटी-छोटी गलतियां ढूंढ कर उसे अकसर डांटते हैं। इस वजह से वह बहुत तनावग्रस्त रहता है और जॉब बदलने की सोच रहा है। ऐसे में उसे क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञ की राय : केवल नौकरी बदलना इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। हो सकता है कि नए ऑफिस में माहौल और ज्य़ादा ख्ाराब हो। प्रोफशनल लाइफ में कामयाबी के लिए केवल मेहनती और काबिल होना ही काफी नहीं है। अच्छे कर्मचारी में अधिकारियों और सहकर्मियों का मनोविज्ञान समझते हुए हर तरह के लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित करने का हुनर यानी सॉफ्ट स्किल भी होना चाहिए। आकाश को शांत मन से विचार करना चाहिए कि उसके बॉस को किन स्थितियों में गुस्सा आता है। फिर सही कारणों की पहचान कर लेने के बाद सतत प्रयास से उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। जब बॉस अच्छे मूड में हों तो आकाश को उनसे पूछना चाहिए कि वह उससे क्या अपेक्षा रखते हैं और किन मामलों में उसे ज्य़ादा मेहनत की जरूरत है। इससे उसे अपनी ख्ाामियों के बारे में अंदाजा हो जाएगा और वह अपनी स्किल्स को सही ढंग से निखार पाएगा।
आर्थिक संकट
29 वर्षीया नमिता होममेकर और दो बच्चों की मां हैं। पिछले महीने उनके पति को बिजनेस में जबर्दस्त घाटा हुआ। इससे उनका सारा बजट बिगड गया। अचानक होने वाले इस नुकसान से वह बेहद निराश हो गए। इससे उनका आत्मविश्वास कमजोर पड गया है और वह नए सिरे से अपना काम शुरू नहीं कर पा रहे। अपने परिवार को इस संकट से बचाने के लिए नमिता को क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञ की राय : नफा-नुकसान व्यावसायिक जीवन का सामान्य हिस्सा है। इसलिए घाटे को लेकर निराश होना व्यर्थ है। ऐसी स्थिति में पत्नी की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह पति का मनोबल बढाए और उन्हें दोबारा काम शुरू करने के लिए प्रेरित करे। बिजनेस को नए सिरे से स्थापित करने में नमिता ख्ाुद भी उनकी मदद कर सकती हैं। ऐसे आर्थिक संकट के दौर में पत्नी को भी कोई जॉब ढूंढ लेना चाहिए। अगर परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से बाहर जाकर काम करने में दिक्कत हो तो होम ट्यूशन भी अच्छा विकल्प है। नया बिजनेस शुरू करने से पहले किसी फाइनेंशियल कंसल्टेंट की सलाह लेना भी मददगार साबित होगा।
रिश्तों की कशमकश
सुनंदा संयुक्त परिवार की छोटी बहू है। उसकी सास और जेठानियों के बीच अनबन रहती है। वह सभी के साथ अच्छा व्यवहार करती है। फिर भी वे उसे एक-दूसरे के खिलाफ भडकाने की कोशिश करती हैं। वह इस बात को लेकर बेहद चिंतित है कि ऐसे परस्पर विरोधी स्वभाव वाले लोगों के साथ सामंजस्य कैसे बिठाए?
विशेषज्ञ की राय : संयुक्त परिवार में एक साथ सभी को ख्ाुश रखना वाकई बेहद मुश्किल है। ऐसी स्थिति में सुनंदा के लिए सबसे जरूरी यह है कि दूसरों के कहे अनुसार चलने के बजाय वह ख्ाुद समझदारी से काम ले। बिना किसी पूर्वाग्रह के अपने परिवार के सभी सदस्यों की ख्ाूबियों-ख्ाामियों को समझने की कोशिश करे और उसी के अनुसार सभी के साथ सम्मानजनक दूरी रखते हुए संतुलित व्यवहार अपनाए। उसे अपने पति को भी परिवार के माहौल से अवगत कराते रहना चाहिए। उसे अपनी ख्ाुशियों का ख्ायाल रखना चाहिए, तभी वह दूसरों को भी ख्ाुश रख पाएगी।
नोट : पाठकों के आग्रह पर उनके नाम बदल दिए गए हैं।
विनीता
विशेष सहयोग : डॉ. अशुम गुप्ता मनोवैज्ञानिक सलाहकार, करियर काउंसलर जतिन चावला एवं वित्तीय सलाहकार राकेश पोपली