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अतिथि अजब-गजब

हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता का स्वरूप माना जाता है और हम उसे हर हाल में ख़्ाुश रखने की कोशिश करते हैं। फिर भी इन मेहमानों का रंग-ढंग बड़ा ही निराला होता है। यहां रूबरू होते हैं कुछ ऐसे ही अजब-गज़ब मेहमानों से ।

By Edited By: Published: Tue, 24 Mar 2015 01:51 PM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2015 01:51 PM (IST)
अतिथि अजब-गजब

हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता का स्वरूप माना जाता है और हम उसे हर हाल में ख्ाुश रखने की कोशिश करते हैं। फिर भी इन मेहमानों का रंग-ढंग बडा ही निराला होता है। यहां रूबरू होते हैं कुछ ऐसे ही अजब-गजब मेहमानों से ।

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जल्दबाज

ऐसे लोग हमेशा बेहद जल्दबाजी में होते हैं। आते ही कहना शुरू कर देते हैं, मुझे जल्दी निकलना है। ये मेजबान की चाय खत्म होने का इंतजार करना भी जरूरी नहीं समझते। अपनी चाय का कप ख्ााली होते ही जाने के लिए उठ खडे होते हैं।

कैसा हो सत्कार : ऐसे लोगों के आते ही सबसे पहले उनके सामने चाय-नाश्ता वगैरह रख दें। अगर ये लंच या डिनर के वक्त आते हैं तो इनसे विनम्रतापूर्वक पूछ लें कि आपके पास कितना वक्त है? अगर आप जल्दी में न हों तो हमारे साथ लंच/डिनर करें। बस, आधे घंटे में सब तैयार हो जाएगा। इससे उन्हें सही समय-सीमा का अंदाजा हो जाएगा और बेवजह जल्दबाजी दिखाने का कोई मौका नहीं मिलेगा।

टिकाऊ और पकाऊ

ऐसे लोग सही मायने में अतिथि धर्म का निर्वाह करते हैं। मोबाइल के इस जमाने में भी आने से पहले सूचना देने की जरूरत नहीं समझते। एक बार आने के बाद जाने का नाम ही नहीं लेते। अपनी बेसिरपैर की लंबी बातों से अकसर आपको बोर कर देते हैं। इन्हें मेजबान की असुविधा का जरा भी ख्ायाल नहीं होता। ऐसे ही मेहमानों को देखकर बरबस लोगों के मुंह से निकल जाता है- अतिथि तुम कब जाओगे?

कैसा हो सत्कार : ऐसे मेहमान वाकई आपके धैर्य की परीक्षा लेते हैं। ऐसे लोगों को पहले ही दिन प्यार से समझा दें कि इसे आप अपना ही घर समझें और आराम से रहें। उन्हें घर में रखी जरूरी चीजों की जगह बता दें ताकि अपने रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम वे ख्ाुद ही कर लें। ऐसे लोगों के स्वागत के लिए कोई अतिरिक्त तैयारी न करें। बातों ही बातों में यह जाहिर कर दें कि आप मेहमानों को भी अपने परिवार का ही सदस्य समझती हैं। इसलिए उनके साथ कोई औपचारिकता नहीं बरततीं।

जनसंपर्क वाले अतिथि

नए जमाने की जरूरतों के साथ उपजने वाली यह अतिथियों की बडी जबर्दस्त प्रजाति है। इसमें बीमा एजेंट, डायरेक्ट मार्केटिंग के जरिये प्रोडक्ट्स बेचने वाले और प्रॉपर्टी डीलर जैसे लोग शामिल होते हैं। इसमें कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो अपने प्रोफेशनल हितों को साधने के लिए जबरन अजनबियों के सामने दोस्ती का हाथ बढाने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग किसी भी वक्त आपको फोन करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं। यहां तक कि आपके घर का पता ढूंढ कर अचानक आ धमकते हैं और अपनी सारी योजनाएं समझाए बिना टलने का नाम नहीं लेते। ऐसे लोगों से सावधान रहने की कोशिश करनी चाहिए।

कैसा हो सत्कार : ऐसे लोगों को फोन पर ही अपनी व्यस्तता के बारे में बता दें। यदि किसी ऐसे अनचाहे मेहमान का आकस्मिक आगमन हो तो उससे झूठ बोलने में कोई बुराई नहीं है। ऐसे लोगों के आते ही आप उन्हें बता दें कि दस मिनट बाद आपको जरूरी काम से बाहर जाना है। इस तरह वे आपका ज्य़ादा वक्त बर्बाद नहीं कर पाएंगे।

दगाबाज

ऐसे लोग आने का समय देकर अचानक अपना कार्यक्रम बदल देते हैं और फोन करके मना करने की जरूरत नहीं समझते। मेजबान उनकी प्रतीक्षा में ऊंघता रहता है, पर ऐसे लोगों को दूसरों के वक्त की जरा भी परवाह नहीं होती।

कैसा हो सत्कार : ऐसे लोगों को फोन करके उनसे दोबारा तसदीक कर लें कि कहीं उनके कार्यक्रम में कोई बदलाव तो नहीं आया है? आने वाले मेहमान की तरफ से निश्चिंत होने के बाद ही उनके स्वागत की तैयारी शुरू करें।

सेहतबाज

ऐसे लोग अपनी सेहत के प्रति बेहद जागरूक होते हैं। पानी का गिलास मुंह तक ले जाने से पहले रुक यह जरूर पूछते हैं कि आपके घर में वाटर प्यूरिफायर है या नहीं? सभी स्वादिष्ट पकवानों को रिजेक्ट करके वे दोबारा सादा खाना बनवाते हैं। इन्हें हमेशा कोलेस्ट्रॉल और शुगर बढऩे की चिंता सताती रहती है।

कैसा हो सत्कार : अगर आपके घर कोई ऐसा मेहमान आने वाला है तो पहले से ही अपने घर में सादे और स्वास्थ्यवर्धक भोजन की पूरी तैयारी रखें। किचन की सफाई में अतिरिक्त सजगता बरतें। बेहतर यही होगा कि आने से एक दिन पहले ही उनसे फोन पर पूछ लें कि खाने में वह क्या लेना पसंद करेंगे? अगर उन्हें किसी ख्ाास चीज से परहेज हो तो उसके बारे में भी जरूर मालूम कर लें ताकि उन्हें और आपको कोई परेशानी न हो।

सैंटाक्लॉज गेस्ट

यह मेहमानों की अति दुर्लभ प्रजाति है। ये सबसे अच्छे िकस्म के मेहमान होते हैं। जब आते हैं तो इनके दोनों हाथ उपहारों से इस तरह भरे होते हैं कि इन्हें कोहनियों से कॉलबेल बजाना पडता है। इन्हें देखते ही सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट खिल आती है। तमीज और तहजीब की जीती-जागती प्रतिमूर्ति होते हैं, ऐसे लोग। इन्हें हर कोई अपने घर पर रोके रखना चाहता है, पर ये ज्यादा देर नहीं रुकते।

कैसा हो सत्कार : ऐसे अतिथि सचमुच भगवान का रूप होते हैं। इनके स्वागत के बारे में हम क्या बताएं! ऐसे लोगों को देखकर ख्ाुद ही आपका जी चाहेगा कि आप तहेदिल से इनका सत्कार करेेंं।

अहंकारी

ऐसे लोगों को दिखावा बेहद पसंद होता है। ये अपने वैभव का प्रदर्शन करने का कोई मौका भी नहीं छोडते। ये हमेशा ख्ाुद को समृद्ध और मेजबान को दरिद्र साबित करने की कोशिश करते हैं। आपके अपार्टमेंट में पार्किंग की व्यवस्था ठीक नहीं है, यह फ्लैट बेच कर आपको कहीं और शिफ्ट हो जाना चाहिए... इनके पास ऐसे सुझावों की लंबी लिस्ट होती है। ये आपके शुभचिंतक नहीं होते, बल्कि अहंकार के मारे होते हैं।

कैसा हो सत्कार : ऐसे लोगों के साथ बातचीत में इतनी विनम्रता बरतें कि ये ख्ाुद ही शर्मिंदा हो जाएं। मसलन, आप उनसे कहें कि हम तो धन्य हो गए कि आप यहां पधारे, हमारे घर पर आपको थोडी असुविधा होगी, इसके लिए हम माफी चाहते हैं...। ऐसे लोगों की बातों का बुरा न मानें क्योंकि इनकी आंखों पर अहंकार की पट्टी बंधी होती है।

अति कंजूस

मैं तुम्हारे घर आऊंगा तो तुम मुझे क्या खिलाओगे? तुम मेरे घर आओगे तो क्या लेकर आओगे? ऐसी सोच रखने वाले लोग अपने उसूल के बडे पक्के होते हैं। आपके घर आने के बाद टैक्सी से उतर कर दाएं-बाएं देखते हुए इस बात का इंतजार करते हैं कि किराये का भुगतान आप ही कर दें। अगर कभी वह आपके साथ बाहर खाने के लिए जाते हैं तो बिल चुकाने के ऐन वक्त पर टेबल छोड कर कहीं और चले जाते हैं।

कैसा हो सत्कार : ऐसे अति कंजूस लोगों के साथ ज्य़ादा उदारता न बरतें। मेजबान होने के नाते अगर आपने एक-दो बार मेहमान के हिस्से का बिल चुका भी दिया तो अगली बार उसे ख्ाुद ही पैसों का भुगतान करने दें। अगर वह ऐसा करने से कतराएं तो उनसे विनम्रतापूर्वक आग्रह करें कि अभी मेरे पास पैसे नहीं हैं, इसलिए िफलहाल यह बिल आप ही चुका दें तो मेहरबानी होगी।

आलेख : विनीता, इलस्ट्रेशन : श्याम जगोता


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