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चुनौतियां पहली जॉब की

क्षेत्र कोई भी हो, ज़्यादातर कंपनियों में यूथ की मौज़ूदगी देखी जा सकती है। कभी कैंपस प्लेसमेंट से तो कभी इंटर्नशिप से, वे विभिन्न कंपनियों का हिस्सा बन जाते हैं। अपनी समझदारी, लगन और नई सोच के बलबूते वे बहुत ही जल्दी वहां अपनी ख़्ाास जगह बनाने में कामयाबी भी

By Edited By: Published: Tue, 29 Mar 2016 03:43 PM (IST)Updated: Tue, 29 Mar 2016 03:43 PM (IST)
चुनौतियां पहली जॉब की

क्षेत्र कोई भी हो, ज्यादातर कंपनियों में यूथ की मौजूदगी देखी जा सकती है। कभी कैंपस प्लेसमेंट से तो कभी इंटर्नशिप से, वे विभिन्न कंपनियों का हिस्सा बन जाते हैं। अपनी समझदारी, लगन और नई सोच के बलबूते वे बहुत ही जल्दी वहां अपनी ख्ाास जगह बनाने में कामयाबी भी हासिल कर लेते हैं।

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जहां एक ओर अनुभवी लोग महत्वपूर्ण पदों पर होते हुए अहम जिम्मेदारियां संभालते हैं, वहीं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि नई जेनरेशन के एंप्लॉई उनके हर काम में बराबर की मदद करते हैं। आज का यूथ ठहरता नहीं है, वह लगातार आगे बढते रहना चाहता है। ऐसे में कॉलेज या ट्रेनिंग पूरी होते ही वह जॉब की तलाश करने लगता है। बेहद कम उम्र में सफलता का परचम लहराने वाले इन प्रोफेशनल्स को कई बार असफलता का कडवा स्वाद चखने के साथ ही वर्कप्लेस पर तमाम प्रकार की चुनौतियों का सामना भी करना पडता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि वे ख्ाुद को बेहद मजबूत बनाने के बाद ही प्रोफेशनल लाइफ में कदम रखें।

यंगस्टर्स हैं पहली पसंद

प्लेसमेंट ड्राइव के जरिये कई कंपनियां कॉलेज के बच्चों को अपने यहां नियुक्त करती हैं। इसका कारण होता है नए बच्चों की ऊर्जा, रचनात्मकता और सोचने-समझने का नया तौर-तरीका। वे किसी भी तरह के प्रयोगों से नहीं घबराते हैं और उन्हें ट्रेन करना बेहद आसान होता है। उनका माइंड बिलकुल फ्रेश होने से कंपनियां उन्हें अपने अनुसार बहुत जल्द ढाल लेती हैं। इसके अलावा उनके पास घर-परिवार की उतनी जिम्मेदारियां नहीं होती हैं, जितनी दूसरों के पास होती हैं। यंग प्रोफेशनल्स में सीखने का जज्बा होता है, जिसके बलबूते वे हर नई तकनीक और काम को बहुत जल्द समझ लेते हैं। इसका फायदा यह होता है कि अगर किसी काम को करने में सीनियर्स जरा भी असहज महसूस कर रहे हों, उसकी जिम्मेदारी जूनियर्स के हाथों में दे दी जाती है। ऐसा होने से वे काम व कंपनी के प्रति और निष्ठावान हो जाते हैं। फिर भी आगे बढऩे के लिए उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना ही पडता है।

यह राह नहीं आसां

यंगस्टर्स को जॉब देने के कई फायदे होने के बावजूद कुछ कंपनियां उन्हें अपने यहां नियुक्त करने से घबराती भी हैं। वहीं कुछ लोग उन्हें हायर करने के बाद भी संशय की स्थिति में बने रहते हैं। जानते हैं इसके पीछे के कुछ प्रमुख कारण -

यंग प्रोफेशनल्स की उम्र कम होने की वजह से अकसर सीनियर्स उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खडे करते हैं, जबकि यही उम्र नया सीखने-समझने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है।

उनका प्रोफेशनल नेटवर्क बहुत तगडा न होने की वजह से भी समस्याएं आती हैं, जबकि इंटरनेट के जमाने में सभी का नेटवर्क तेज बन जाता है। विभिन्न सोशल व प्रोफेशनल नेटवर्किंग साइट्स के जरिये वे अपने एंप्लॉयर्स, भावी एंप्लॉयर्स व अपने क्षेत्र से जुडे अन्य लोगों के संपर्क में बने रहते हैं।

ऐसा माना जाता है कि आज के यंगस्टर्स गैर-जिम्मेदार होते हैं, जबकि यह धारणा बेहत गलत है। हर किसी को एक ही तराजू पर नहीं तौला जा सकता है। हो सकता है कि कुछ के साथ यह समस्या होती हो, पर बिना किसी को जांचे-परखे सबके बारे में ऐसी राय बनाना सही नहीं है।

धारणा यह भी है कि वे बहुत जल्दी जॉब स्विच कर देते हैं। अगर एंप्लॉई को काम करने के लिए अच्छा वातावरण दिया जाएगा तो वह नया हो या पुराना, जल्दी छोडकर जाने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। अगर किसी को लगेगा कि किसी कंपनी में काम करने से उसकी प्रोफेशनल ग्रोथ रुक रही है तो वह स्विच करने में देरी भी नहीं करेगा।

मजबूत हों इरादे

उम्र या अनुभव कम होने से आपके इरादों में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। अगर आप ठान लेंगे कि आपको कुछ कर दिखाना है तो लोगों का विश्वास भी बहुत जल्दी पा लेंगे। लोगों की नजर में अपनी पहचान बनाने के लिए ध्यान में रखें ये बातें-

अपने बहुमूल्य समय का भरपूर फायदा उठाएं। उसे बर्बाद करने के बजाय नया सीखने और कॉन्टैक्ट्स बनाने में लगाएं। इससे आपको न सिर्फ अपने आज में फायदा मिलेगा, बल्कि आपका कल भी बहुत बेहतर बन सकेगा।

जहां भी कुछ समझ में न आ रहा हो तो सीनियर्स से उसके बारे में पूछने से न घबराएं। एटिट्यूड और ईगो को अलग रख लोगों से संवाद कायम करें। यह भी ध्यान रखें कि कई मामलों में पहल आपको ही करनी पड सकती है। अगर उन्हें लगेगा कि आपमें सीखने की ललक है, तभी वे आपको कुछ सिखाने या समझाने में रुचि लेंगे।

हारने से कभी न घबराएं। सीढी-दर-सीढी चढऩे से ही सफलता मिलती है। ऐसे में कई बार आप लडख़डा भी सकते हैं, पर संभल जाने में ही भलाई होती है। सब कुछ तुरंत हासिल नहीं हो जाता है, किसी भी जीत या तारीफ के लिए थोडा समय जरूर लगता है।

हर वह नया सॉफ्टवेयर या तकनीक सीखें जो आपके काम के लिए जरूरी हो। इससे आप नई टेक्नोलॉजी से अपडेट रह सकेंगे जो कि बेहद जरूरी है।

शुरुआत में सैलरी कम होने पर किसी को कोसने के बजाय मनी मैनेजमेंट की आदत डालें। इससे आपको कहीं भी रहने-खाने की दिक्कत नहीं आएगी। बहुत ज्यादा कंजूसी न करें, पर सही बजट बनाकर चलना बहुत जरूरी होता है।

किसी पर भी आंख बंद कर भरोसा न करें। लोगों को परखना सीखें। सबकी हर सही-गलत बात को यूं ही न मानते रहें। अगर हमेशा हां में हां मिलाते रहेंगे तो लोग आपका फायदा उठाने लगेंगे।

जो काम अपने जिम्मे लें, उसे अपनी क्षमतानुसार पूरा करें। जोश में बहुत ज्यादा काम भी न ले लें कि समय से पूरा न किया जा सके। अपना हर दिन का एक टाइमटेबल और टार्गेट निर्धारित करने से आपको काफी आसानी रहेगी।

कभी भी शॉर्टकट रास्ता न अपनाएं। सफलता के लिए हमेशा सही रास्ते पर ही कदम बढाएं। बात-बात पर स्कूल-कॉलेज की तरह बहाने बनाने से बचें।

अपनी क्षमताओं को पहचानें और उसी हिसाब से काम करें। जब आप इंडस्ट्री में नए होते हैं तो आपसे उम्मीदें भी बहुत लगाई जाती हैं, उन पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करें। जहां भी काम कर रहे हों, वहां की पॉलिसी के बारे में अच्छे से जान लें, मसलन वहां की कार्य प्रणाली, आने-जाने का समय, अपने अधिकार आदि। हर जगह अच्छे व बुरे, दोनों ही तरह के लोग होते हैं। अगर ऑफिस के किसी व्यक्ति से आपको कोई समस्या हो तो उसके बारे में किसी विश्वसनीय सीनियर से डिस्कस जरूर करें। तब भी अगर समाधान न मिले तो नौकरी छोडऩे में न हिचकिचाएं। कहीं समझौता करने से बेहतर है कि अपनी सुविधा से काम करें। द्य

दीपाली पोरवाल


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