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दोस्ती का मौसम है सदाबहार

ख़्ाून के रिश्तों से अलग जब प्यार, विश्वास और अपनेपन का अटूट बंधन जुड़ता है तो उसे दोस्ती कहते हैं। दोस्ती की कोई परिभाषा नहीं होती। जब दो लोग बिन बात ही एक-दूसरे को समझने लगते हैं, उसी दिन वो दोस्त बन जाते हैं।

By Edited By: Published: Sat, 25 Jul 2015 03:00 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2015 03:00 PM (IST)
दोस्ती का मौसम है सदाबहार

ख्ाून के रिश्तों से अलग जब प्यार, विश्वास और अपनेपन का अटूट बंधन जुडता है तो उसे दोस्ती कहते हैं। दोस्ती की कोई परिभाषा नहीं होती। जब दो लोग बिन बात ही एक-दूसरे को समझने लगते हैं, उसी दिन वो दोस्त बन जाते हैं।

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जिंदगी हमेशा ख्ाून के रिश्तों और रिश्तेदारों के सहारे ही आगे नहीं बढती। यह खुशनुमा और मजेदार तो तब बनती है जब अनजाने चेहरे पसंद आने लगते हैं। याद हैं वो स्कूल के दिन जब किसी से हुई पहली बात न जाने कितने ही िकस्सों में बदल जाया करती थी। जी हां सही पहचाना, इसे कहते हैं दोस्ती। अनजान, परेशान, हैरान और फिर कोई मिला जो अनजान से दोस्त बन गया, परेशानी का हल मिल गया और हैरानी खुद ही दूर चली गई। कितने िकस्से-कहानियां दोस्ती की मिसालों से भरे पडे हैं। जो किसी से कहा न गया वो दोस्त ने खुद ही समझ लिया। यही तो खासियत है इस रिश्ते की। फ्रेंडशिप फॉरएवर। दोस्ती को हमेशा संजोकर रखना चाहिए ताकि दोस्ती की उम्र बढती रहे। फ्रेंडशिप डे को इन्हीं यादों से हम बना रहे हैं खास।

दोस्ती नहीं तो कुछ नहीं अनुपम बरुआ

दोस्ती कोई सबक नहीं जिसे स्कूल में सीखा जाए। दोस्ती तो वो रिश्ता है जो समझ और समझदारी से बना है। अगर दोस्ती निभाना नहीं सीखा तो आपने कुछ नहीं सीखा। दोस्ती से बडा कोई भी तोहफा इस दुनिया में हो ही नहीं सकता। पुराने दोस्त ऐसे ही होते हैं जिनके साथ आप बेवकूफाना हरकतें कर सकते हैं। पुराने दोस्त और उनकी दोस्ती पूरी जिंदगी कायम रहती है। दोस्ती में पास और दूरी से कोई फर्क नहीं आना चाहिए। हम हमेशा मिल नहीं पाते। इससे मतभेद होतेे हैं, जिन्हें समय रहते दूर कर लेना चाहिए।

ईमानदारी है दोस्ती का आधार रूपा रॉय

किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए सच्चाई और ईमानदारी का होना बहुत जरूरी है। खासकर दोस्ती में। एक सच्चा दोस्त वही है जो आपको सही रास्ता दिखाए। आपको अच्छे-बुरे का भेद बताए और आपके सुख-दुख का भागी भी बने। इन सब का होना इस रिश्ते को और गहरा कर देता है। तभी तो कहते हैं दोस्ती का कोई सीजन नहीं। इस मामले में मैं खुद को लकी मानती हूं कि मेरे दोस्त मुझे बहुत प्यार और सम्मान देते हैं।

अलग ही है हमारी दोस्ती पावनी

बात छह महीने पहले की है। मैं अपने घर वालों और दोस्तों को बहुत मिस कर रही थी। पूरा दिन मैंने ऐसे ही रोकर गुजार दिया। जब शाम को मेरे पति घर आए तो उन्होंने मेरे इस हाल का कारण पूछा। मैंने उन्हें अपने मन की बात कही जिसे सुनकर उन्होंने जो कहा वो मैं कभी नहीं भूल सकती।

मेरे आंसू पोछकर उन्होंने ने मुझे गले लगा लिया। बोले कि मैं तो तुम्हारे पास हूं, जो चाहे रिश्ता जोड लो बस दुखी मत हो। दोस्त भी हूं और हमदम भी। दोस्ती को मैं इस रूप में कभी महसूस नहीं किया था। दोस्तों के साथ बस घूमना-फिरना यही सब होता था। उस दिन मुझे दोस्ती का अलग ही भाव देखने को मिला। सही कहते हैं सच्चा दोस्त वही है जो आपकी हंसी के दर्द को महसूस कर ले। दोस्त हमेशा साथ नहीं रहते पर उनके साथ बिताया हर पल खास और यादों का झरोखा लिए होता है। कुछ ऐसा ही रिश्ता बना मेरा मेरे पति के साथ। प्यार में दोस्ती का होना कितना जरूरी है, मैं समझ चुकी हूं। अब मुझे पार्टनर में ही सच्चा दोस्त मिल गया है। दोस्ती और दोस्त का साया अब हमेशा मेरे पास है।

सच्ची दोस्ती कभी साथ नहीं छोडती अनुज ठाकुर

बी-टेक फाइनल सेमेस्टर में जॉब प्लेसमेंट में मुझे मेरे सबजेक्ट की जगह कोडिंग में जॉब मिली। मैं इस जॉब से खुश नहीं था क्योंकि इस फील्ड में मेरा कोई इंट्रेस्ट नहीं था। साथ के कई लोगों ने मुझे बोला कि यार ज्वाइन कर ले, कुछ नहीं होता। जॉब आ गई हाथ में यही बहुत है। मैं बहुत परेशान हो गया था। बार-बार यही सोच रहा था कि मुझे अपनी पसंद के काम को छोडऩा पडेगा। पर मेरे दोस्तों ने मुझे बोला कि अगर तुझे कोडिंग पसंद नहीं तो मत ज्वाइन कर ये जॉब। तुझे जिस काम को करने में मजा आता ह,ै वो कर और जॉब भी लग ही जाएगी। उनकी

उस सलाह ने मुझे सही-गलत का फर्क समझा दिया।

हमसफर भी हैं दोस्त रजत सैनी

हमसफर सिर्फ वही नहीं होता जिससे शादी का बंधन जुडे। हमसफर तो वो है जो हर तूफान का सामना आपके साथ करे। दोस्त ऐसे ही हमसफर होते हैं सदाबहार। हंसना-रोना सब बिंदास। हर झगडे के बाद और बढता प्यार यही है दोस्ती का अंदाज। हर मोड जिंदगी बदलती है जिसमें ठहराव बनकर हमेशा दोस्ती चलती है। कभी दूर और कभी पास होने का एहसास कितना निराला होता है। शादी और प्यार से भले ही लोग दूरी बना लें। लेकिन दोस्ती की खुशबू में हर कोई भीगना चाहता है। इस रिश्ते में न कोई रूल है, न कोई रीति और न ही कोई बंधन। सब कुछ तो बिन मांगे ही मिल जाता है। शायद इसीलिए इसे स्वार्थ की भावना से दूर ही रखा जाए तो अच्छा है।

प्रस्तुति: वंदना यादव


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