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न फंसें ऑफर के लालच में

शॉपिंग करने के लिए अकसर लोग क्रेडिट काड्र्स का इस्तेमाल करते हैं। इसका फायदा यह है कि पर्स या वॉलेट में बहुत ज़्यादा रुपये रखने की टेंशन नहीं रहती। जब किसी सुविधा से फायदा मिल रहा हो तो उससे होने वाले नुकसान पर भी गौर फरमाना ज़रूरी हो जाता है।

By Edited By: Published: Tue, 02 Feb 2016 12:29 PM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2016 12:29 PM (IST)
न फंसें ऑफर के लालच में

शॉपिंग करने के लिए अकसर लोग क्रेडिट काड्र्स का इस्तेमाल करते हैं। इसका फायदा यह है कि पर्स या वॉलेट में बहुत ज्यादा रुपये रखने की टेंशन नहीं रहती। जब किसी सुविधा से फायदा मिल रहा हो तो उससे होने वाले नुकसान पर भी गौर फरमाना जरूरी हो जाता है।

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क्रेडिट कार्ड के बढते चलन की वजह से बैंक और कई ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स विभिन्न पेशकश के जरिये अपने उपभोक्ताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। क्रेडिट कार्ड से मिलने वाले ऑफर्स के लालच में लोग बिना सावधानी बरते ही ख्ारीदारी करने लग जाते हैं। आइए जानते हैं क्रेडिट कार्ड की कुछ शर्तों के बारे में -

देना पडता है शुल्क

क्रेडिट कार्ड मुफ्त मेंं नहीं मिलता है। बैंक या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले संस्थान 200 रुपये में कार्ड देते हैं। उनमें सालाना शुल्क भी लगता है जो 299 रुपये से आठ हजार रुपये तक का होता है। कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो एक निश्चित राशि ख्ार्च करने की शर्त पर सालाना शुल्क नहीं लेती हैं।

जानें भुगतान का तरीका

क्रेडिट कार्ड से आप जो भी ख्ारीदारी करते हैं, उसके बिल के भुगतान की समय सीमा तय होती है। चेक, नकद, ड्राफ्ट, ऑनलाइन बैंकिंग या डेबिट कार्ड से पेमेंट किया जा सकता है। नकद बिल जमा करने पर 100 रुपये का शुल्क लिया जाता है। शहर से बाहर का चेक होने पर या चेक रिटर्न होने की स्थिति में भी शुल्क देना पडता है।

कब नहीं लगेगा ब्याज

कार्ड पर 20 से 50 दिन की ब्याजमुक्त अवधि दी जाती है। इस अवधि में ख्ार्च करने के बाद उसी दौरान कार्ड वापस कर देने पर ब्याज नहीं लगता है। उसके बाद तय शर्तों के मुताबिक 22 से 48 फीसदी सालाना ब्याज देना पडता है। क्रेडिट कार्ड पर ब्याज ज्यादा लगता है क्योंकि उसे असुरक्षित लोन की श्रेणी में रखा गया है।

तय है क्रेडिट सीमा

क्रेडिट कार्ड में हर माह ख्ार्च करने की एक सीमा तय होती है, जिसे क्रेडिट लिमिट कहते हैं। कुछ शर्तों के साथ क्रेडिट लिमिट से ज्यादा ख्ार्च करने का विकल्प होता है, पर वह बहुत महंगा पडता है। कार्ड धारक के फाइनेंशियल स्टेटस, ख्ार्च करने के तरीके व अन्य मानकों के आधार पर कंपनियां एक समय अंतराल पर क्रेडिट सीमा का आकलन करती रहती हैं।

जब खो जाए कार्ड

कार्ड के खोने या चोरी हो जाने की स्थिति में उसकी सूचना तुरंत बैंक या कंपनी को दे कर कार्ड ब्लॉक करवा देना चाहिए। उसके बाद भी यदि कार्ड से कोई ख्ारीदारी होती है तो शिकायतकर्ता की जिम्मेदारी नहीं होगी। अन्य परेशानी होने पर नजदीकी पुलिस स्टेशन में भी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं।

किसी भी सुविधा का लाभ उठाने से पहले उसकी छुपी हुई शर्तों के बारे में जान लेना फायदेमंद रहता है। कार्ड का इस्तेमाल

सोच-समझकर करने से आप किसी तरह की मुसीबत में नहीं फंसेंगे।

दीपाली पोरवाल

हर्ष रूंगटा, पंजीकृत वित्तीय सलाहकार व निजी वित्तीय सलाहकार से बातचीत पर आधारित


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