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साथ से बनेगी बात

बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए केवल उन्हें अनुशासित करना ही काफी नहीं है, बल्कि उनकी दिनचर्या को व्यवस्थित करते हुए उनके साथ क्वॉलिटी टाइम बिताना भी बेहद ज़रूरी है।

By Edited By: Published: Fri, 12 Aug 2016 12:45 PM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2016 12:45 PM (IST)
साथ से बनेगी बात
रोजाना सुबह पांच से रात दस बजे तक महानगरों में रहने वाले कामकाजी पेरेंट्स की दिनचर्या इतनी व्यस्त होती है कि वे बडी मुश्किल से सुबह उन्हें स्कूल बस तक छोडऩे और शाम को उनका होमवर्क कराने के लिए समय निकाल पाते हैं। ऑफिस से घर लौटने के बाद वे इतने थक चुके होते हैं कि उनके पास बच्चों के साथ खेलने और बातें करने का वक्त ही नहीं होता। फिर भी व्यवस्थित दिनचर्या अपनाते हुए बच्चों के साथ आसानी से क्वॉलिटी टाइम बिताया जा सकता है। यह केवल समय की बचत की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि बच्चों और पेरेंट्स के बीच भावनात्मक बंधन के लिए भी बहुत जरूरी है। बढेगा आत्मविश्वास अमेरिकी चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट एलिजाबेथ हर्थले ने हाल ही में वहां के बच्चों पर एक शोध किया और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचीं कि जीवनशैली की बढती व्यस्तता की वजह से अमेरिकी पेरेंट्स अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते, जिससे उनका आत्मविश्वास कमजोर पडता जा रहा है। भले ही यह शोध अमेरिका में किया गया है लेकिन भारत में भी स्थितियां कमोबेश ऐसी ही हैं। ऐसी समस्या से बचाव के लिए मनोवैज्ञानिक हर्थले ने यह सुझाव दिया है कि पेरेंट्स को नियमित रूप से अपने बच्चों के साथ क्वॉलिटी टाइम जरूर बिताना चाहिए। भले ही आप अपने बच्चे के साथ ढेर सारा वक्त न बिता पाएं पर थोडे से वक्त में उसे ढेर सारा प्यार तो दिया ही जा सकता है। फुर्सत के पलों में आप बच्चे की रुचि से जुडा कोई भी कार्य कर सकती हैं। इसके लिए सबसे पहले आप यह पहचानने की कोशिश करें कि रोजमर्रा की कौन सी ऐसी एक्टिविटीज हैं, जिन्हें आपके साथ बच्चे भी एंजॉय कर सकते हैं। मसलन मॉर्निंग वॉक, टीवी देखना, पौधों को पानी देना, घर की सफाई और कुकिंग जैसे छोटे-छोटे घरेलू कार्यों में अपने साथ बच्चों को भी जरूर शामिल करें। सुकून भरी सुबह यह सच है कि सुबह के वक्त घरों में ऐसी भागदौड मची रहती है कि लोग उस वक्त दिनचर्या में शांति की कल्पना नहीं कर पाते लेकिन ध्यान दिया जाए तो व्यस्तता को लेकर वैसे लोगों को ज्य़ादा तनाव होता है, जिनके पास पूरे दिन की तैयारी नहीं होती। इसलिए रात को सोने से पहले ही आपके पास अगले दिन का वर्क प्लैन तैयार होना चाहिए और इसके बारे में बच्चों से बात करना भी बहुत जरूरी है। रात को हमेशा सही समय पर सोने की आदत डालें तो आप सुबह सही समय पर उठ पाएंगे। नाश्ते के समय भी आपको बच्चे से बातचीत का मौका मिलेगा। जब आप बच्चे को स्कूल के बस स्टॉप तक छोडऩे जाते हैं तो रास्ते में आपके पास पांच-दस मिनट का जो भी समय मिलता है, उसे यूं ही बर्बाद करने के बजाय उस दौरान बच्चे से हलकी-फुलकी बातें करें। इससे उसे बहुत अच्छा महसूस होगा। स्कूल से लौटने के बाद दोपहर को जब बच्चे स्कूल से थके-हारे लौटते हैं तो अपना स्कूल यूनिफॉर्म और शूज उतार कर टीवी के सामने बैठ जाते हैं। उस दौरान वे स्कूल या पढाई के बारे में कोई बात नहीं करना चाहते। जहां माता-पिता दोनों जॉब करते हैं, वहां बच्चे घर पर अकेले होते हैं और बोरियत से बचाने के लिए पेरेंट्स उन्हेंं कई तरह तरह की एक्टिविटी क्लासेज में भेज देते हैं। अगर आप अपने बच्चे के साथ घर पर होती हैं तो ध्यान रखें कि स्कूल से लौटने के बाद वह अपना सारा समय टीवी देखने में बर्बाद न करे, बल्कि आप उसके साथ लंच करें और थोडी देर के लिए लेटकर उससे बातें करें। शाम के वक्त अगर आपको किसी काम से घर के पास वाले मार्केट तक जाना है तो उसे भी अपने साथ ले जाएं। इससे रास्ते में आपको उससे बातचीत का मौका मिल जाएगा। रिफ्रेशमेंट के लिए उसे उसकी फेवरिट आइसक्रीम या चॉकलेट दिलाएं। ऐसी छोटी-छोटी बातों से बच्चे बहुत खुश होते हैं। होमवर्क टाइम बच्चे के होमवर्क टाइम को हमेशा खुशनुमा बनाने की कोशिश करें। बेहतर तो यही होगा कि डिनर के एक घंटे पहले बच्चे का सारा होमवर्क कंप्लीट हो जाए। उसे प्रेरित करें कि तुम जितनी जल्दी अपना होमवर्क पूरा करोगे तुम्हें उतनी जल्दी टीवी देखने या खेलने के लिए छुट्टी मिल जाएगी। इससे वह खुद ही सही समय पर अपना होमवर्क पूरा कर लेगा। बच्चा जितनी देर होमवर्क करता है, आप न केवल उसके आसपास रहें, बल्कि इस कार्य में उसे सहयोग भी दें। उस दौरान अगर उसके सामने कोई परेशानी आती है या पढाई को लेकर उसके मन में कोई सवाल होता है तो उसे खुलकर पूछने का मौका दें। जब उसका होमवर्क पूरा हो जाए तो आप उसे थोडी देर के लिए आजाद छोड दें। डिनर टाइम परिवार में भावनात्मक बंधन की मजबूती के लिए यह बहुत जरूरी है कि डिनर के समय पूरा परिवार साथ मिलकर डाइनिंग टेबल पर बैठे। जब खाना तैयार हो जाए तो डाइनिंग टेबल पर प्लेटें लगाने में बच्चों से मदद लें और सपरिवार डिनर का लुत्फ उठाएं। बेड टाइम स्टोरी सोने से पहले बच्चों के साथ मिलकर प्रार्थना करने की आदत विकसित करें। इससे परिवार के माहौल में पॉजिटिविटी आती है। अगर बच्चा छोटा है तो रोजाना सोने से पहले उसे कम से कम एक कहानी जरूर सुनाएं। बडे बच्चों से उनके स्कूल, दोस्तों, स्पोट्र्स और उनकी रुचि से जुडी गतिविधियों के बारे बातचीत करें। खुशनुमा हो वीकेंड छुट्टी वाले दिन का रूटीन आम दिनों से थोडा अलग हटकर होना चाहिए। सुबह के नाश्ते से लेकर डिनर तक की डिशेज में कुछ नयापन होना चाहिए। कभी सपरिवार आसपास के पिकनिक स्पॉट पर जाने का प्रोग्राम बना लें तो कभी अपने बच्चों के दोस्तों को घर पर बुलाकर उनके लिए स्नैक्स पार्टी का आयोजन करें। ऐसी एक्टिविटीज बच्चों के समाजीकरण में बहुत मददगार साबित होती हैं। इस तरह बच्चों के साथ अपनी दिनचर्या शेयर करने से वे भावनात्मक रूप से खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं और उनमें सहयोग की भावना विकसित होती है। यह भी याद रखें 1. बच्चों के साथ क्वॉलिटी समय बिताने का मतलब यह नहीं है कि उस दौरान आप उससे लगातार उसकी पढाई के बारे में पूछताछ करें या उसे उपदेश देती रहें। उस दौरान आप उसके साथ सिर्फ सहज ढंग से प्यार भरी बातचीत करें। 2. रूटीन के नियम की पाबंदी को लेकर बहुत सख्त रवैया न अपनाएं। अगर किसी वजह से एक रोज का मॉर्निंग 3. वॉक छूट गया हो उसकी वजह से अपने व्यवहार में चिडचिडापन न आने दें, बल्कि अगले दिन दोगुने उत्साह से वॉक पर निकल पडें। 4. हमेशा बच्चों के साथ बैठकर खुद भी टीवी देखें। उस दौरान उनसे प्रोग्राम के बारे में बातचीत भी करें। इससे उन्हें आपके साथ वक्त बिताने का मौका मिलेगा और वे आपकी निगरानी में भी रहेंगे। 5. उसकी स्टडी टेबल या अलमारी व्यवस्थित करते समय उसे भी अपने साथ बिठाएं और उससे बातें करती रहें। अपने बच्चे से छोटे-छोटे घरेलू कार्यों में सहयोग लें। इसी बहाने उसे आपके साथ वक्त बिताने का मौका मिलेगा। विनीता (सर गंगाराम हॉस्पिटल की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरती आनंद से बातचीत पर आधारित)

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