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मन में चुभती शक की सुई- टूटते रिश्ते

पति-पत्नी का रिश्ता सबसे गहरा होता है लेकिन इस रिश्ते में उस वक्त दरार पड़ जाती है, जब दोनों में से किसी एक के मन में भी शक की फांस चुभ जाए।

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 04:29 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 04:29 PM (IST)
मन में चुभती शक की सुई- टूटते रिश्ते
पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास की डोर से बंधा होता है। भरोसे की गाडी जरा भी डगमगाई तो रिश्ते को टूटते देर नहीं लगती। पूरा परिवार ताश के पत्तों की तरह बिखर जाता है। एक-दूसरे पर संदेह करने का मतलब घर की बर्बादी को न्योता देना है। फिर चाहे संदेह पति करे या पत्नी। ज्य़ादातर मामलों में जब पत्नी नौकरीपेशा होती है तो समय की कमी के कारण भी संदेह की स्थिति पैदा हो जाती है। पत्नी बाहर काम करेगी तो ऑफिस के लोगों से दोस्ती या बातचीत करना, देर रात तक रुक कर काम करना आम बात है। ऐसे में पति समझदार न हो तो वह पत्नी पर शक करने लगता है। पति को अपने बारे में भी सोचना चाहिए। ऑफिस में उसकी भी स्त्री दोस्त होंगी, वह उनसे सामान्य बातचीत जरूर करता होगा, उसे भी कई बार काम की व्यस्तता के कारण घर लौटने में देर हो जाती होगी...। ऐसा ही पत्नी के साथ भी हो सकता है, उसे यह समझना चाहिए। रिश्ते पर भरोसा भरोसा वह बुनियाद है, जिस पर गृहस्थी की गाडी सुचारु रूप से चलती है। एक बार यह भरोसा डिगा नहीं कि कलह घर के दरवाजे पर दस्तक देने लगती है। कई बार बात इतनी बढ जाती है कि तलाक की नौबत आ जाती है। जिंदगी भर रिश्ते को बेहतर ढंग से चलाना है तो एक-दूसरे को थोडा पर्सनल स्पेस देना भी जरूरी है। अगर दोनों नौकरीपेशा हैं तो एक-दूसरे के काम की जरूरतों और उनकी जिम्मेदारियों को भी समझना होगा। बाहर की दुनिया के तनाव को परिवार ही कम कर सकता है। कुछ बातों को अनसुना करें कई बार दोस्त-रिश्तेदार या परिचित लोग भी सुखी दांपत्य में सेंध लगा सकते हैं। पति को पत्नी या पत्नी को पति के बारे में उनसे कई तरह की बातें सुनने को मिल सकती हैं। याद रखें, अधिकतर लोग जब भी किसी के बारे में आपको कुछ बताते हैं, उसमें थोडा-बहुत नमक-मिर्च जरूर लगा देते हैं। तात्कालिक रूप से ये बातें आहत करती हैं और रिश्ते में शक पैदा कर देती हैं लेकिन इस स्थिति में समझदारी से काम लें। दूसरे की बातों को महत्व देने के बजाय अपनी समझ के आधार पर आकलन करें। सुनी-सुनाई बातों के आधार पर बेबुनियाद शक को अपने मन में बिलकुल जगह न दें। कद्र करना सीखें पति-पत्नी के रिश्ते में एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करना जरूरी है। कभी-कभी छोटी सी बात भी बडी बन जाती है। ऑफिस से लौटने के बाद जो भी समय मिले, उसे एक-दूसरे के साथ व्यतीत करें ताकि दिल की बातें कह सकें। दांपत्य में सेक्स के पहलू को भी नहीं नकारा जा सकता। कई बार तो इसे नजरअंदाज करने या इसके लिए समय न मिलने के कारण भी संबंधों में दरार पैदा होने लगती है। बच्चों के भविष्य की चिंता जैसे ही आप पति-पत्नी के रिश्ते से आगे बढ कर माता-पिता बनते हैं, दबाव बढ जाता है। यहां तक आते ही कई तरह की जिम्मेदारियां बढ जाती हैं और पति-पत्नी के फैसले में बच्चे सबसे पहले आने लगते हैं। जो भी करेंगे, उसका प्रभाव बच्चों पर पडेगा और जब आप बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचेंगे तो व्यर्थ शक, कलह या मनमुटाव से आपका ध्यान स्वयं ही हट जाएगा। विवाहेतर रिश्तों से बचें शादी के पहले आपका किससे क्या संबंध था, इसे भूलते हुए शादी के बाद ऐसे मामलों में पडऩे से बचें। कई मामलों में पति या पत्नी को शादी के बाद पार्टनर के अतीत के बारे में कुछ बातें पता चलती हैं तो उनके मन में संदेह के बीज पनपने लगते हैं। ऐसी स्थिति में धैर्य और समझदारी से काम न लिया जाए तो रिश्ता बिखरते देर नहीं लगती। शादी से पहले आप जो भी रहे हों, शादी के बाद अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें और जीवनसाथी से रिश्ते को बेहतर बनाने की कोशिश करें। वक्त देना है जरूरी एक-दूसरे के बीच गलतफहमियां तब ज्य़ादा बढ जाती हैं, जब रिश्ते के लिए समय नहीं निकाल पाते। कई बार पति या पत्नी ऑफिस या घर की उलझनों में फंसे रह जाते हैं और यह भूल जाते हैं कि एक-दूसरे के प्रति भी उनके कुछ दायित्व हैं। जरूरी है कि एक-दूसरे के साथ समय बिताएं, बातचीत करते रहें क्योंकि संवादहीनता से रिश्ते उलझने लगते हैं और कई बार इसी वजह से एक-दूसरे पर संदेह की स्थिति भी पैदा होती है क्योंकि दूसरे को मालूम ही नहीं होता कि आप कैसी परिस्थिति से जूझ रहे हैं। टूटे न रिश्ते की डोर रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए कोशिशें जरूरी हैं। इसके लिए एक-दूसरे के दोस्तों से मेलजोल बढाना भी एक तरीका है। कॉमन दोस्तों से मिलें, उन्हें घर पर आमंत्रित करें। इससे एक-दूसरे के दोस्तों, परेशानियों और व्यस्तताओं के बारे में भी जान सकेंगे। इसके साथ ही कुछ और बातों का भी खयाल रखें। प्यार जताने का कोई भी अवसर हाथ से न जाने दें। एक-दूसरे को उपहार दें। जरूरी नहीं यह बहुत महंगा हो लेकिन इससे आपकी भावनाएं जाहिर हों। सप्ताह में एक-दो बार बार घूमने जाएं। इससे साथ वक्त बिताने का मौका मिलेगा और बीते दिनों की यादें ताजा कर पाएंगे। एक-दूसरे के काम में मीन-मेख निकालने के बजाय दूसरे की तारीफ करें, उसे प्रोत्साहन दें। इससे आपस में स्नेह की भावना बढेगी। एक-दूसरे के दोस्तों का सम्मान करें। ताने मारकर कभी बात न करें। तकरार को लंबा न खींचें। कोई एक रूठ जाए तो उसे मनाने में हिचकिचाएं नहीं। एक-दूसरे की जरूरतों को समझें और घरेलू कार्यों में सहयोग दें।

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