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...ठहरती नहीं है जिंदगी

रीढ़ की हड्डी पर पूरे शरीर का भार टिका है। इस पर किसी भी घातक चोट से व्यक्ति की गतिविधियां प्रभावित होती हैं, जिसमें सेक्स लाइफ भी शामिल है।

By Edited By: Published: Tue, 07 Jun 2016 12:31 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jun 2016 12:31 PM (IST)
...ठहरती नहीं है जिंदगी

स्पाइन इंजरी किसी के भी जीवन का बेहद दुखद मोड है। इंजरी कई कारणों से हो सकती है। ऊंचे स्थान से गिरने, सडक दुर्घटना, जोखिम भरे खेलों में हिस्सा लेने के कारण यह इंजरी हो सकती है। कई बार स्पाइन में ट्यूमर या टीबी होती है, इलाज में देरी होने पर शरीर का कोई हिस्सा सुन्न हो जाता है या पक्षाघात जैसी स्थितियां बन जाती हैं।

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रीढ की हड्डी शरीर का केेंद्रबिंदु है। इसलिए इंजरी गर्दन में हो या फिर पीठ या कमर में, पूरे शरीर की कार्यप्रणाली इससे प्रभावित होती है। स्पाइनल कॉर्ड शरीर के नर्व सिस्टम का केंद्रबिंदु है और इसकी सेहत पर ही पूरे शरीर की सेहत निर्भर करती है। इस पर किसी भी चोट से इंद्रियां और शारीरिक गतिविधियां तो प्रभावित होती ही हैं, आंतों व ब्लैडर का कंट्रोल और और सेक्सुअल लाइफ भी प्रभावित हो सकती है।

डिज्ाायर्स खत्म नहीं होतीं

व्यक्ति सामान्य ज्िांदगी जी सकेगा या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि स्पाइन इंजरी कितनी गंभीर है। स्पाइन से जुडी अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स के बारे में तो खूब बात की जाती है, लेकिन भारत में सेक्स इतना बडा टैबू है कि न तो डॉक्टर्स इस विषय में खुल कर कुछ बताते हैं, न मरीज अपनी समस्याएं बांट पाता है। सच्चाई यह है कि इंजरी से सेक्सुअल डिज्ाायर्स ख्ात्म नहीं होतीं, क्योंकि सेक्स डिज्ाायर्स मानवीय जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इन्हें नकारना ज्िांदगी को नकारना है।

यह समझना जरूरी है कि स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) से पीडित मरीज्ाों में यौन गतिविधियां बदल सकती हैं, लेकिन वे इंजरी या सर्जरी के बाद भी सक्रिय रह सकते हैं। हालांकि सही ढंग से िफज्िायोथेरेपी और डॉक्टर द्वारा

बताई गई एक्सरसाइज्ोज्ा न की जाएं तो मांसपेशियों पर नियंत्रण मुश्किल हो जाता है। ऐसे में पेशेंट्स को किसी अच्छे सेक्सुअल रिहैबिलिटेशन वर्कशॉप में हिस्सा लेना चाहिए, ताकि वह अपनी सेक्स लाइफ को दोबारा शुरू कर सके।

मरीज्ा का खोया आत्मविश्वास लौटाने में डॉक्टर की भूमिका भी अहम होती है। इसलिए जरूरी है कि वह मरीज्ा से खुल कर उसकी सेक्स हेल्थ के बारे में बात करे और सही सलाह दे। सर्जरी के बाद मरीज्ा को किसी भी तरह के नशे, ख्ाासतौर पर तंबाकू से दूर रहना चाहिए। उसे धीरे-धीरे अपनी सामान्य गतिविधियों में लौटना चाहिए ताकि वज्ान न बढे और आत्मविश्वास बना रहे। आमतौर पर तमाम अस्पतालों में स्पाइन इंजरी के बाद मरीज्ा की शारीरिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए व्यापक स्तर पर रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम चलाया जाता है, लेकिन इनमें भी सेक्सुअल हेल्थ की अनदेखी की जाती है।

स्त्रियों पर प्रभाव

एससीआई पीडित स्त्रियों को अपने शरीर से कंफर्टेबल होने और प्राकृतिक इच्छाओं को वापस पाने में थोडा समय लग सकता है। वास्तव में रीढ की हड्डी में चोट लगने के बाद स्त्रियों की सेक्सुअल डिज्ाायर्स प्रभावित हो सकती हैं। कुछ स्त्रियों को वजाइना में ल्युब्रिकेशन में कमी की शिकायत रहती है। इसकी वजह यह है कि मस्तिष्क से प्राइवेट एरिया तक नॉर्मल नर्व सिग्नल सही ढंग से नहीं पहुंच पाते। कई बार सेंसेशन और मसल कॉन्ट्रेक्शन की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। कई स्त्रियों को ऑर्गेज्म तक पहुंचने में देरी या मुश्किल हो सकती है। ऐसा चोट और मेडिकेशन, दोनों की वजह से संभव है। अगर ये परेशानियां हैं तो पार्टनर और डॉक्टर से बातचीत के बाद इनका हल निकाला जा सकता है। पार्टनर फोरप्ले में समय दे तो इंजरी के बाद सामान्य जीवन में लौटना बहुत मुश्किल नहीं होता। ल्युब्रिकेशन के लिए वॉटर बेस्ड ल्युब्रिकेेंट (ऑयल बेस्ड जेली का प्रयोग न करें) जैसे के.वाई. जेली का इस्तेमाल किया जा सकता है। सर्जरी के बाद स्त्रियों में पीरियड संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि इंजरी के बाद कई बार पीरियड्स लंबे समय तक रुक जाते हैं। फिर भी स्पाइनल कॉर्ड की चोट के बाद भी यह सब संभव है-

1. सेक्सुअल डिज्ाायर्स

2. प्रेम, शादी, सेक्स लाइफ

3. सेक्स में संतुष्टि लेना-देना

4. प्रेग्नेंसी और संतानोत्पत्ति

ध्यान रखें :

डॉक्टर के बताए हुए व्यायाम करें, ताकि मसल्स मज्ाबूत कर सकेें, सेक्स क्रिया से पहले अधिक पानी और भोजन करने से बचें, ताकि यूरिनरी ब्लैडर और बाउल मूवमेंट ठीक रहे। स्पाइन इंजरी से पीडित स्त्रियों को कोई भी कंट्रासेप्टिव ख्ाासतौर पर शरीर में इंसर्ट होने वाले गर्भनिरोधक साधनों का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए।

पुरुषों पर प्रभाव

आमतौर पर स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के बाद पुरुषों में एक्साइटमेंट की कमी और प्रीमच्योर इजैक्युलेशन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। एक अन्य चिंता स्पर्म की क्वॉलिटी और स्पर्म काउंट को लेकर भी होती है। ये सारी समस्याएं अलग-अलग लोगों में अलग ढंग से हो सकती हैं। ज्ारूरी नहीं कि हर केस में ऐसा हो। ऐसी ज्यादातर समस्याएं वियाग्रा के जरिये भी दूर हो सकती हैं। कुछ मामलों में वैक्यूम ट्यूमेसेंस कंस्ट्रिक्शन थेरेपी (वीटीसीटी) या पिनाइल प्रोस्थेसिस जैसे उपकरणों की भी ज्ारूरत पड सकती है। किसी भी मेथड को अपनाने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी जरूरी है।

सेक्सुअल फीलिंग्स और प्लेज्ार शरीर से ज्यादा मन की चीज्ा है। शरीर के कई हिस्सों को इंजरी से क्षति पहुंच सकती है लेकिन कई हिस्से पहले की तरह ही ख्ाुशी और अन्य मनोभावों को महसूस कर सकते हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो सेक्स क्रिया का आनंद भी ले सकते हैं।

ध्यान रखें :

अगर इंजरी टी-6 या इसके आसपास है तो सेक्स क्रिया में सावधानी और धैर्य ज्ारूरी है। सेक्स प्रक्रिया धीमी और सहज रहे, यह जरूरी है। शरीर कंफर्टेबल रहे। प्राइवेट पार्ट पर जोर-जबर्दस्ती या दबाव से बचें। सेक्स के दौरान पसीना आने, ब्लड प्रेशर बढने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। वर्ष में एक बार अपना हेल्थ चेकअप कराएं और प्राइवेट एरिया या इसके आसपास कोई समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हाइजीन का ध्यान रखें, ताकि संक्रमणों से बचे रहें।

काउंसलिंग है जरूरी

भारत में सेक्सुअल काउंसलिंग और मैनेजमेंट के पहलू पर बहुत कम काम किया गया है, जबकि ऐसे मामलों में मरीज्ा और उसके पार्टनर की काउंसलिंग ज्ारूरी है। एक अध्ययन से पाया गया है कि एससीआई से पीडित 60 प्रतिशत मरीज्ाों और उनके 57 प्रतिशत पार्टनर्स की सेक्सुअल काउंसलिंग नहीं की गई। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों की स्थिति ज्यादा खराब होती है। वे अपनी समस्याएं नहीं बता पातीं।

ज्यादातर मरीज्ा कहते हैं कि इंजरी के बाद उनकी डिज्ाायर्स कम हुई हैं। हालांकि ऐसा पार्टनर को संतुष्ट न कर पाने, उसका सहयोग न मिलने, आत्मविश्वास में कमी और काउंसलिंग न होने के कारण भी होता है।

स्पाइन इंजरी का अर्थ सेक्स लाइफ का ख्ात्म होना नहीं है लेकिन इसके बाद अपनी सेक्सुअल गतिविधियों को संयमित रखने की ज्ारूरत पडती है। सेक्स संतुष्टि के तरीके उन्हें बदलने पड सकते हैं।

इंदिरा राठौर

इनपुट्स : डॉ. एच. एस. छाबडा मेडिकल डायरेक्टर, इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर, दिल्ली


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