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सहयोग से दूर हुई समस्या

अति व्यस्तता महानगरों में रहने वाले कामकाजी दंपतियों के आपसी रिश्ते को तनावपूर्ण बना रही है।ऐसी ही समस्या को कैसे सुलझाया गया, बता रही हैं मनोवैज्ञानिक सलाहकार विचित्रा दर्गन आनंद।

By Edited By: Published: Wed, 12 Oct 2016 10:25 AM (IST)Updated: Wed, 12 Oct 2016 10:25 AM (IST)
सहयोग से दूर हुई समस्या
लगभग पांच साल पहले की बात है। मुझसे मिलने एक युवती आई। आते ही उसने कहा, 'मैम, मैं बहुत परेशान हूं। मुझे आपकी मदद की सख्त जरूरत है।' रिश्ते में बढती दूरी जब मैंने उससे बातचीत की तो मालूम हुआ कि निधि (परिवर्तित नाम) विवाहिता थी। पति-पत्नी दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे पर पति का डिपार्टमेंट अलग था। मैटरनिटी लीव खत्म होने के बाद जब उसने दोबारा ऑफिस जाना शुरू किया तो घर-ऑफिस की दोहरी जिम्मेदारियां उसे बहुत ज्य़ादा थका देतीं और इन छोटी-छोटी बातों को लेकर अपने पति राजीव (परिवर्तित नाम) के साथ अकसर उसकी अनबन हो जाती। वैसे वह बुरा व्यक्ति नहीं था पर घरेलू जिम्मेदारियों के प्रति बेहद उदासीन और लापरवाह था। उनके आपसी रिश्ते का तनाव ऑफिस में भी सभी को साफ नजर आता था। निधि के बॉस जो कि उम्र में उससे काफी बडे थे, वह भी इस बात को लगातार नोटिस कर रहे थे। वह उसके साथ बहुत उदारता से पेश आते और हमेशा उसकी मदद के लिए तैयार रहते। उन्होंने निधि के पति से भी दोस्ती कर ली थी और अकसर उसकी बेटी के लिए महंगे गिफ्ट्स लेकर उसके घर जाते। पति की बेरुखी की वजह से निधि अनजाने में अपने बॉस के करीब आने लगी और उनके केयरिंग नेचर से वह बहुत ज्य़ादा प्रभावित थी। जब सच सामने आया यह सिलसिला बहुत दिनों तक चलता रहा पर समस्या तब शुरू हुई, जब वह व्यक्ति किसी दूसरी कलीग के साथ ज्य़ादा वक्त बिताने लगा। एक रोज जब निधि ने अपने बॉस को ऐसी हरकतों के लिए टोका तो उसने गुस्से में कहा, 'तुम तो मुझ पर ऐसे हक जमा रही हो कि जैसे मेरी पत्नी हो।' इसी बहस के बाद से बॉस के साथ उसकी अनबन हो गई और जब ऐसी अफवाहें राजीव तक पहुंचीं तो वह भी निधि से नाराज रहने लगा। पति का सहयोग यह सब सुनने के बाद मैंने उसे यही समझाया कि तुम्हें अपने पति को सब कुछ बता देना चाहिए। मैंने उससे अगली बार पति के साथ आने को कहा। फिर मैंने राजीव से कहा कि तुम केवल अपनी पत्नी को दोषी नहीं ठहरा सकते। अगर पति-पत्नी दोनों कामकाजी हों तो पति का भी यह फर्ज बनता है कि वह बच्चे की देखभाल में उसे पूरा सहयोग दे। मैंने उन दोनों से यह भी कहा कि एक ही ऑफिस में काम करना भी इस समस्या की एक बडी वजह है। आप दोनों दूसरी कंपनियों में जॉब ढूंढना शुरू कर दें। साथ ही कडवी यादों को भुला कर अपने रिश्ते को फिर से संवारने की कोशिश करें। मिल गई मंजिल अगले महीने जब वे मुझसे मिलने आए तो निधि काफी खुश लग रही थी क्योंकि उसे किसी दूसरी कंपनी में जॉब मिल गई थी। उसने मुझे बताया कि राजीव अब उसका बहुत ख्याल रखते हैं और वह भी एक महीने बाद अपनी जॉब बदल लेंगे। सात महीने में यह मामला सुलझ गया। मुझे केवल नौ सिटिंग्स लेनी पडीं। भले ही गलती पति की तरफ से हुई थी पर समस्या को सुलझाने में उसने पूरा सहयोग दिया और उनके संबंध जल्द ही सहज हो गए। अगर मजबूत इच्छाशक्ति हो तो दांपत्य जीवन में आने वाली बडी से बडी मुश्किलों का सामना आसानी से किया जा सकता है।

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