प्यार का जहां कुछ ऐसे बसाएं
शादी जीवन की नई शुरुआत है। युगल दंपती जब साथ मिल कर गृहस्थ जीवन का शुभारंभ करते हैं तो उत्साह व खुशी के साथ कई चिंताएं भी होती हैं। प्रेम, भरोसे, सम्मान और परस्पर समझदारी के बल पर ही दांपत्य का सफर खुशनुमा बन सकता है। इस नए सफर पर चलने से पहले क्या जानना है जरूरी, बता रहे हैं एक्सपर्ट्स।
शादी जीवन का नया सफर है। जिस तरह हर नए सफर से पहले उत्साह, उमंग, खुशी, बेचैनी, हडबडाहट और अंजान सा भय छिपा होता है, उसी तरह शादी से पहले भी घबराहट, बेचैनी, एडजस्टमेंट की चिंताएं सताती हैं। शादी जीवन में बडा बदलाव लाती है, क्योंकि यहां से जीवन का सबसे गहरा व अंतरंग रिश्ता शुरू होता है।
खासतौर पर सेक्स जीवन का आरंभ कई तरह की बेचैनियां लेकर आता है। इसके कई कारण हैं। भारतीय समाज में स्त्री की शुचिता या कौमार्य पर अत्यधिक जोर, सेक्स को हौवे की तरह प्रस्तुत करना, आधा-अधूरा और भ्रामक ज्ञान, सेक्स एजुकेशन की कमी..।
चिंताएं भूल कर नवजीवन की शुरुआत बेहतर समझदारी के साथ की जा सके तो भविष्य में एक मजबूत संबंध की नींव पड सकती है।
प्री-वेडिंग सिंड्रोम
शादी से तुरंत पहले लडका-लडकी दोनों को प्री-वेडिंग सिंड्रोम घेरता है। अकसर कपल्स बेचैनी और नॉन-परफॉर्मेस के भय से ग्रस्त रहते हैं। इस घबराहट से बचने का एक तरीका यह है कि किसी ऐसे दोस्त से बात करें जो तुरंत शादी के बंधन में बंधा हो या जिसकी शादी को एकाध साल हो गया हो। ऐसा न कर सकें तो प्रोफेशनल हेल्प लेने में भी बुराई नहीं है। कोर्टशिप के दौरान कुछ मसलों पर खुल कर बात करें। खासतौर पर फेमिली शुरू करने, फेमिली प्लानिंग, कंट्रासेप्टिव्स को लेकर स्पष्ट बातचीत करें। पार्टनर की अपेक्षाओं पर खरे उतरने की चिंता भी कपल्स की चिंता का एक कारण होता है। इससे न सिर्फ शारीरिक सेहत, बल्कि भावनात्मक सेहत पर भी बुरा असर पडता है। प्री-वेडिंग सिंड्रोम से निजात पाने के लिए योग, ध्यान व नियमित व्यायाम बहुत उपयोगी है। शादी से कुछ हफ्ते पहले अपने खानपान पर भी ध्यान देना जरूरी है। मूड-बस्टर और लाइट फूड लें, प्री-वेडिंग काउंसलिंग भी जरूरी है। इससे कपल्स के बीच कम्युनिकेशन को बेहतर बनाने के अलावा पार्टनर की इच्छाओं और अपेक्षाओं को समझने में भी मदद मिलती है।
टिप्स नवदंपती के लिए
शादी जीवन के सबसे गहरे और लंबे सफर का आगाज है। इस शुरुआत के हर लमहे को यादगार बनाना दोनों की जिम्मेदारी है। शारीरिक समर्पण से पहले खुद पर और साथी पर अटूट भरोसा रखें। रिश्ता इस मुकाम तक नहीं पहुंचेगा तो सेक्स आनंद नहीं दे सकता। कुछ टिप्स-
1. असहज स्थितियों से बचना चाहते हैं तो जल्दबाजी से बचें। पहल हमेशा तारीफ और रोमैंटिक बातों से करें। आइ कॉन्टेक्ट, हग, किस.. जैसे तरीके साथी में भरोसा जगाने में कारगर होंगे और इससे उसे आगे बढने में मदद मिलेगी।
2. एक-दूसरे को समझने के लिए संवाद जरूरी है। इसकी शुरुआत के लिए दोस्तों-रिश्तेदारों, पढाई-लिखाई, करियर, शौक और सपनों की बातें करें। इससे सहजता आएगी और पार्टनर को खुलने में मदद मिलेगी।
3. फोरप्ले से सेक्सुअल अराउजल में मदद मिलती है। सेक्स सेशन का 70-80 प्रतिशत समय फोरप्ले में लगाना चाहिए। शोध बताते हैं कि स्त्रियां इंटरकोर्स से ज्यादा फोरप्ले को एंजॉय करती हैं, बल्कि कई स्त्रियां तो इसी में ऑरगेज्म की अनुभूति भी कर लेती हैं। फोरप्ले से ही वह माहौल तैयार होता है, जिसमें दोनों पार्टनर्स एक-दूसरे की जरूरत का खयाल रखते हुए उसे पूरा करते हैं। इंटरकोर्स मेनकोर्स है तो फोरप्ले एपिटाइजर। इनसे मूड बनता है और दोनों को नैचरल तरीके से करीब आने में मदद मिलती है।
4. बेडरूम के माहौल को खुशगवार बनाएं। खूबसूरत नाइट गाउन, एसेंशियल ऑयल, कैंडल्स, फलॉवर्स और रोमैंटिक म्यूजिक का साथ हो तो रोमैंस का माहौल बनेगा ही।
यह भी जानें
1. पहली बार इंटरकोर्स में थोडा दर्द होना स्वाभाविक है, लेकिन दर्द अस्वाभाविक हो और बार-बार हो तो मनोवैज्ञानिक या स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच कराएं।
2. शादी से पहले कुछ मेडिकल टेस्ट जरूर करा लें। सामान्य स्वास्थ्य जांच के अलावा ब्लड ग्रुप, एसटीडी, हीमोग्लोबिन, थायरॉयड और डायबिटीज जैसे टेस्ट अवश्य करा लें। सर्वाइकल कैंसर के अलावा जरूरी हो तो रुबैला वैक्सीन भी लगवाएं।
ताकि हनीमून रहे खुशनुमा
हनीमून की व्यवस्था इसलिए की गई है कि इस दौरान पति-पत्नी एक-दूसरे को जानें-समझें, उन्हें घर से दूर निजी एकांत मिले, प्राइवेसी रहे और वे एक-दूसरे के साथ पूरा वक्त बिताएं। भारतीय परिवेश और अरेंज्ड मैरिज में तो यह और भी जरूरी है। लेकिन हनीमून पर जाने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखें-
1. आदर्श हनीमून वही है, जिसे दोनों मिल कर प्लान करें। जगह से लेकर होटल और खाने तक की चॉइस में अगर एकरूपता हो तो अच्छा होगा। दोनों को पता हो कि वे कब, कितने दिनों के लिए, कहां जा रहे हैं, बजट क्या है..। इसे पहले से प्लान करने से दोनों को सहूलियत रहेगी।
2. यह सामान्य अवकाश नहीं है। यह वह समय है, जब आप पार्टनर को बेहतरीन ढंग से जान सकते हैं। यह वह समय है, जिसकी यादें ता-उम्र मन के एलबम में संजो सकते हैं। इसलिए हनीमून प्लान करते समय दिमाग में यही बात रखें कि एक-दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना है। ऐसा न हो कि खूबसूरत वादियों को ही क्लिक करते रहें, रोमांचक रास्तों की तलाश करते रहें, शॉपिंग में मशगूल रहें या फिर यहां भी ऑफिस का काम करते रहें..। इस एकांत में कोई भी ऐसा काम न करें जो रिश्ते से आपका ध्यान हटाए।
3. होटल का चुनाव करते समय ध्यान दें कि यहां नवविवाहित दंपतियों के लिए परफेक्ट माहौल हो, कमरे सुविधाजनक हों, माहौल रोमैंटिक हो और साथ ही सुरक्षा के सभी संभव उपाय वहां मौजूद हों। इस दौरान किसी अपरिचित व्यक्ति पर ज्यादा भरोसा करने से बचें और अपनी निजी बातें भी न शेयर करें।
4. वेडिंग या रिसेप्शन के तुरंत बाद हनीमून प्लान न करें। इससे सुकून नहीं मिलेगा, क्योंकि शादी की थकान नहीं उतरी होगी। शादी के दो-तीन बाद ही हनीमून प्लान करें और यह कम से कम एक हफ्ते का हो। उसी हिसाब से अपनी छुट्टियां बांटें।
5. वोमिटिंग, फीवर, सिर दर्द जैसी सामान्य बीमारियों की दवाएं साथ रखें। सामान कम से कम और हलका हो।
6. शादी से पहले एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। खासतौर पर कंट्रासेप्टिव्स के बारे में सलाह लें, ताकि बगैर किसी चिंता के एक-दूसरे का साथ एंजॉय कर सकें।
खुश रहें-मस्त रहें
शादी जीवन का नया अध्याय है। जिस तरह बच्चा एक कोरी स्लेट पर अपने टेढे-मेढे अक्षर लिखता है, खुश होता है, उसे सब नया-नया लगता है और उसे गलतियां करने का भी अधिकार होता है, उसी तरह शादी भी वह पाठशाला है, जिसमें दंपती गृहस्थ जीवन के बारे में सीखते-समझते हैं। हर नया साल उनकी परिपक्वता व समझदारी को बढाता है, उनका ग्रेड बढाता है। एक रिसर्च कहता है कि शादी का पहला साल कपल्स के लिए परेशानी भरा होता है। इसके पीछे कई कारण हैं। लेकिन अपने मन से शंकाओं को बाहर निकालें, आशाओं व सकारात्मक मानसिकता के साथ गृहस्थ जीवन में प्रवेश करें। साथ मिल कर चुनौतियों से जूझें और गलतियों से घबराए बिना उनसे सबक लें तो हर पल नया व खुशगवार होगा।
(इनपुट्स : डॉ. मधु गोयल, वरिष्ठ सलाहकार स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग डॉ. एस. सुदर्शनन, वरिष्ठ मनोचिकित्सा सलाहकार, रॉकलैंड हॉस्पिटल, दिल्ली)
इंदिरा राठौर