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मिल जाए सही पार्टनर तो बात बन जाए

शादी कब करोगे? 25 पार करते ही हर जाने-पहचाने चेहरे पर कुछ ऐसा ही सवाल टंगा होता है। करियर के बाद जिंदगी की दूसरी बड़ी चुनौती है-लाइफपार्टनर का चयन। यह चुनाव आसान तो है नहीं! प्रोफेशन, स्वभाव, गुण, रुचियां, एडजस्टमेंट क्वॉलिटीज..सब-कुछ तो देखना पड़ता है! जीवनसाथी से क्या अपेक्षाएं हैं इन युवाओं की, जानें इनसे ही।

By Edited By: Published: Wed, 01 Jan 2014 12:54 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2014 12:54 AM (IST)
मिल जाए सही पार्टनर तो बात बन जाए

शायद मेरी शादी का खयाल  दिल में आया है, इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है.., अस्सी के दशक में शादियां कुछ इसी तरह तय हुआ करती थीं। शादी का खयाल  भले ही लडकी के मन में आए, उसे हकीकत में बदलने का काम माता-पिता ही किया करते थे। पर आज तो समाज में काफी कुछ बदल चुका है। लाइफ पार्टनर का चुनाव सोच-समझकर कर रहे हैं आज के युवा। वैसे भावी जीवनसाथी से मिलाने में ऑफिस, मॉल्स,  दोस्तों और वर्चुअल  व‌र्ल्ड  की भी बडी भूमिका है। सबसे बडी बात यह है कि युवा अब खुल कर अपनी बात रखते हैं और जरा  भी संदेह होने पर निर्णय बदलने में नहीं हिचकिचाते।

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एक बुरी शादी जीवन के कई दरवाजे  बंद कर देती है, इसलिए शादी का फैसला तो सोच-समझ कर लिया जाना चाहिए.., कहते हैं बिजनेसमैन अभिनव अग्रवाल (अपनी पहचान छुपाना चाहते हैं), जिन्होंने अपनी मंगेतर से सगाई के चार महीने बाद रिश्ता तोडा। कोर्टशिप  के दौरान दोनों को महसूस हुआ कि उनकी रुचियां, अपेक्षाएं, मानसिक स्तर एक-दूसरे से भिन्न हैं। अभिनव कहते हैं, फैसला लेने में काफी मुश्किल हुई। मैंने बहुत संयत रहते हुए और मानवीय आधार पर अपनी मंगेतर के सामने अपनी बात रखी, ताकि वह हर्ट न हो। हम दोनों को ही कहीं न कहीं लग रहा था कि हमारी लाइफस्टाइल  अलग है। मैं घर का इकलौता बेटा हूं। माता-पिता, अंकल-आंटी सहित दादा-दादी की ढेरों अपेक्षाएं हैं मुझसे।

शादी के बाद वही अपेक्षाएं अगर वे मेरी पत्नी से रखेंगे तो उन्हें निराशा मिलेगी। मुझे निजी तौर पर स्वतंत्र व आत्मनिर्भर लडकियां पसंद हैं। लेकिन हमारी बिजनेस  फेमिली  है और मुझे हमेशा परिवार के साथ रहना है। ऐसे में लडकी ऐसी होनी चाहिए, जो पूरे परिवार के साथ एडजस्ट  कर सके। मेरी मंगेतर इतने स्तरों पर एडजस्टमेंट  के लिए तैयार नहीं थी। शादी के बाद समस्या आए, इससे अच्छा था कि हम पहले ही अलग हो जाते। आज हम एक साथ न सही, पर बेहतर दोस्त हैं।

एक मैट्रिमोनियल  वेबसाइट  के हाल ही में हुए ऑनलाइन  सर्वे में शादी को लेकर भारतीय युवाओं की बदलती सोच साफ नजर  आती है। दिलचस्प यह है कि लडकियों की सोच ज्यादा  बदल रही है। सर्वे के मुताबिक लगभग 39  फीसद  लडकियां ऐसा पार्टनर चाहती हैं जो कुकिंग  जानता हो, 51 प्रतिशत घरेलू कार्यो में हेल्प करने वाले साथी की कामना करती हैं। 46 प्रतिशत लडकियां रेस्टरां  में बैरे या अधीनस्थ कर्मचारियों से बुरी तरह पेश आने वाले पुरुषों को सख्त  नापसंद करती हैं तो 39  फीसद  ऐसे पुरुषों को पसंद नहीं करतीं जो उनके साथ होते हुए फोन, मेसेजिंग या लैपटॉप  में बिजी  रहें।

वास्तविक जीवन में लडके-लडकियां शादी और रिश्तों को लेकर कौन-कौन सी रूढियां  तोड रहे हैं और शादी की उनकी राह में क्या चुनौतियां हैं, इसे लेकर हमने बात की कुछ युवाओं से तो कई तरह के विचार सामने आए। जानते हैं उनसे ही-

मेरे फील्ड की न हो तो अच्छा

अंकित राज, मॉडल-ऐक्टर दिल्ली

मेरी जीवनसंगिनी मेरे साथ ही घरवालों की पसंद भी हो। सुंदर, बुद्धिमान और स्मार्ट हो। मेरी लाइफस्टाइल और रुटीन के साथ एडजस्ट  कर सके। आम लोगों को लगता है कि पार्टनर अगर अपने फील्ड का हो तो एडजस्टमेंट  बेहतर होता है, मगर मेरी राय अलग है। मेरा फील्ड बहुत अनिश्चित है। इसमें रिश्तों का सर्वाइव  करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए चाहता हूं कि वह फिल्म इंडस्ट्री या मॉडलिंग  से न जुडी हो तो अच्छा है।

टाइम न सही, स्पेस  तो हो

स्मृति रेलन,  लॉ सेकंड ईयर  स्टूडेंट दिल्ली

मुझे तो रिश्ते में पूरा स्पेस चाहिए। आज की बिजी  लाइफ में कपल के पास एक-दूसरे के लिए टाइम कम है, लेकिन रिश्तों में स्पेस हो तो जिंदगी थोडी आसान हो सकती है। स्पेस से मेरा मतलब है कि दोनों अपना स्वतंत्र विकास कर सकें। मैं चाहती हूं कि पार्टनर मेरे परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों की रिस्पेक्ट  करे। हमारा रिश्ता बराबरी वाला हो। जॉइंट  फेमिली  मुझे पसंद नहीं, मगर प्रोफेशन कोई भी चलेगा।

कुकिंग  आनी चाहिए

रिषभ,  सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बैंगलोर

मैं घर से दूर रह कर जॉब कर रहा हूं। इसलिए मुझे घर मैनेज  करना आता है, कामचलाऊ कुकिंग भी करता हूं। अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, इसलिए मेरे सामने अरेंज्ड मैरिज का ही ऑप्शन है। लडकी प्रोफेशनल हो, हालांकि जरूरी  नहीं कि मेरे फील्ड की ही हो। समझदार, एजुकेटेड  और एडजस्टिंग नेचर की हो। उसे कुकिंग  आनी चाहिए। मुझे लगता है, अब प्रोफेशनल व‌र्ल्ड  में कपल्स के रिश्ते ज्यादा फ्रेंड्ली हैं। इसका कारण यह है कि दोनों बाहर काम करते हैं तो एक-दूसरे की परेशानियां भी समझते और बांटते हैं।

घरेलू कामों में हाथ बंटाए

शीलू,  बैंककर्मी,  नोएडा

शादी चाहे जिस ढंग से हो, मुझे फ्रीडम देने वाला साथी चाहिए। समझदार हो-मुझे समझे, बहुत रोक-टोक करने वाला न हो। वह अपने पेरेंट्स  की केयर करे, साथ ही मुझे भी अपने पेरेंट्स  की केयर करने दे। घरेलू कामों में सहयोग करे, विनम्र स्वभाव वाला हो। मेरे फील्ड का होगा तो मेरी परेशानियां समझेगा। जॉइंट  फेमिली  अच्छी है, हालांकि आजकल जॉब के कारण लोग दूर चले जाते हैं। परिवार सपोर्टिव  हो तो लडकी के लिए घर-बाहर मैनेज करना आसान होता है। शादी किसी भी ढंग से हो, बाद की लाइफ अच्छी होनी चाहिए।

पेंटर हो तो क्या बात है

प्रियांश,  लॉ स्टूडेंट, दिल्ली

मैं बहुत इमोशनल  हूं, आर्ट लव र हूं। यूं तो अभी मेरी उम्र शादी के बारे में सोचने की नहीं है, लेकिन जब भी करूंगा, यह जरूर चाहूंगा कि मेरी पार्टनर को पेंटिंग्स में रुचि हो। मुझे पेंटिग  करना अच्छा लगता है। उसे किचन में काम करना भले ही न आए, कैनवस को सजाना जरूर आना चाहिए। रिश्ते में फ्रीडम देना जानती हो।

खुले  दिमाग की और सहज-सरल हो। मैं खुद  सिंपल हूं, इसलिए सिंपल लडकी चाहिए मुझे।

केयरिंग  और सिंपल हो पार्टनर

राधिका, आइटी सेक्टर, गुडगांव

लव कम अरेंज्ड  मैरिज करना चाहूंगी मैं। मेरा पार्टनर मेरे परिवार का सम्मान करेगा, तभी मैं भी उसके परिवार को अपना सकूंगी। आज के समय में रिश्ते जटिल हो गए हैं। मॉम-डैड  के समय में माता-पिता शादी तय करते थे और लोग निभा लेते थे। आज लडकियां आत्मनिर्भर हैं तो अहं का टकराव भी बढ रहा है। जॉइंट  फेमिली  हो या न्यूक्लियर, परिवार का सपोर्ट जरूरी है। लडका डिमांडिंग  न हो, सिंपल लिविंग वाला हो, ओवर-रिएक्ट न करे और गुस्सैल  न हो। पार्टनर के सुंदर होने से ज्यादा  जरूरी  है रिश्ते सुंदर हों।

प्रोफेशनल लडकी चाहिए

अमित चंद, एमएनसी  एंप्लाई,  दिल्ली

मेट्रो सिटीज में रहने के लिए पति-पत्नी का जॉब करना जरूरी  है। लाइफ पार्टनर आत्मनिर्भर हो और अपने खर्च  उठा सके। आजकल सभी लडकियां पढी-लिखी हैं और वे नौकरी करना चाहती हैं। यह जरूरी भी है। पार्टनर सपोर्टिव  हो, इतनी समझदार हो कि स्थितियों के मुताबिक खुद  को ढाल सके और पारिवारिक रिश्तों को भी संभाले। हमारी रुचियां मिलती हों, अहं वाली न हो, जिम्मेदारियां  उठाएं और छोटी-छोटी बात पर मुंह न फुलाए। जाहिर  है, पति होने के नाते इसमें मैं भी उसकी पूरी मदद करूंगा।

प्रस्तुति :  इंदिरा राठौर


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