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प्रचलित धारणा : करीबी रिश्तों में शिष्टाचार ज़रूरी नहीं होता।

बड़ों का सम्मान, छोटों को प्यार और दोस्तों की भावनाओं को समझना ज़रूरी है। दांपत्य जीवन पर भी यही बात लागू होती है।

By Edited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 02:23 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 02:23 PM (IST)
प्रचलित धारणा : करीबी रिश्तों में शिष्टाचार ज़रूरी नहीं होता।

एक्सपर्ट की राय : यह सच है कि अपनों के साथ बेतकल्लुफ रिश्ता होना चाहिए पर उससे जुडी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाने की कोशिश भी काफी अहमियत रखती है। मसलन बडों का सम्मान, छोटों को प्यार और दोस्तों की भावनाओं को समझना जरूरी है। दांपत्य जीवन पर भी यही बात लागू होती है। रिश्ता चाहे कोई भी हो, सॉरी-थैंक्यू जैसे छोटे-छोटे शब्द उसे बडी उलझनों से बचाकर रखते हैं।

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-मैं 24 वर्षीया कामकाजी अविवाहिता हूं। एक महीने पहले मेरे एक कलीग ने मुझे प्रपोज किया है। वैसे तो मैं भी उसे पसंद करती हूं लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि एक ही ऑफिस में पति-पत्नी को जॉब नहीं करनी चाहिए। मैंने उसे समझाया कि मैं दूसरी कंपनी में जॉब ढूंढ रही हूं। जैसे ही मुझे नई नौकरी मिल जाएगी, हम शादी कर लेंगे पर वह मेरी इस बात से सहमत नहीं है और जल्दी शादी करना चाहता है। सही निर्णय लेने में आप मेरी मदद करें। एच.एस., दिल्ली आपकी आशंका बेबुनियाद है। आज के जमाने में पति-पत्नी का कलीग होना आम बात है, बल्कि इससे दोनों को कई तरह की सहूलियतें एक साथ मिल जाती हैं। आसपास होने की वजह से वे तनावमुक्त स्थिति में काम कर पाते हैं। इसलिए ज्य़ादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों के ऐसे निर्णय को सहजता से स्वीकारती हैं लेकिन एक ही कंपनी में कार्यरत दंपतियों को ऑफिस के नियमों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। वैसे यह आपका व्यक्तिगत मामला है। फिर भी अगर आप इसमें असहज महसूस करती हैं तो शादी के बाद भी जॉब बदल सकती हैं लेकिन इतनी सी बात पर शादी को टालना अनुचित है। बेहतर यही होगा कि सकारात्मक सोच के साथ नए जीवन की शुरुआत करें और इसी बीच अपने लिए दूसरी जॉब भी ढूंढती रहें। मनपसंद अवसर मिलने के बाद ही दूसरी कंपनी में जाने का निर्णय लें।

-मैं 28 वर्षीया विवाहिता हूं। हम दोनों बहनों का विवाह एक ही परिवार के दो भाइयों से हुआ है। मैं अपनी छोटी बहन से बहुत ज्य़ादा प्यार करती हूं। हमारी ससुराल में संयुक्त परिवार है और घरेलू कामकाज के मामले में मेरी बहन थोडी लापरवाह है। जब मैं उसे कुछ सिखाती हूं तो वह मुझसे नाराज होकर कहने लगती है कि शादी के बाद तुम बदल गई हो। दूसरी ओर मेरी सास और ननदों को ऐसा लगता है कि मैं अपनी बहन की तरफदारी करती हूं। मैं अजीब सी दुविधा में फंस गई हूं। ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए? आर.पी., पटना ऐसी शादियों के बाद दो बहनों के रिश्ते में थोडा बदलाव आना स्वाभाविक है। आप अपनी छोटी बहन को समझाएं कि माता-पिता के घर में वह सिर्फ आपकी लाडली बहन थी लेकिन शादी के बाद उसे ससुराल में जिम्मेदार पत्नी, बहू और मां की भूमिका भी निभानी होगी और उसके हिस्से के सभी कार्य आप नहीं कर सकतीं। कुछ घरेलू कार्यों में आप उसे भी शामिल करें। उसे समझाएं कि काम में होने वाली गलतियों से घबराना नहीं चाहिए। शादी के बाद सभी को अपनी कुछ आदतें बदलनी पडती हैं और इसमें कोई बुराई नहीं है। वह भी इस बदलाव को सहजता से स्वीकारना सीखे। प्यार के साथ उसे उसकी जिम्मेदारी का एहसास दिलाएं और समझाएं कि शादी के बाद उसके साथ आपके रिश्ते में बदलाव आना स्वाभाविक है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप उसे प्यार नहीं करतीं। आपकी ऐसी कोशिशों से उसके व्यवहार में परिपक्वता आएगी।

-मैं 32 वर्षीया विवाहिता और दो बच्चों की मां हूं। जब मेरी बेटी दो साल की थी, तभी एक सडक दुर्घटना में मेरे पति का निधन हो गया था। उसके बाद मुझे मनहूस मान कर ससुराल वालों ने मुझसे दुव्र्यवहार शुरू कर दिया था। जब मेरे माता-पिता को यह बात मालूम हुई तो उन्होंने मुझे अपने पास बुला लिया। उस घटना के छह साल बाद एक तलाकशुदा व्यक्ति से मेरा पुनर्विवाह हो गया। शादी से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि वह मेरी बेटी को पिता की कमी महसूस नहीं होने देंगे लेकिन शादी के तीन साल बाद जब मेरे बेटे का जन्म हुआ तो वह दोनों बच्चों के बीच बहुत ज्य़ादा भेदभाव करने लगे। वह बेटी से बात तक नहीं करते और उसे बोर्डिंग स्कूल भेजने की जिद कर रहे हैं। इसी वजह से वह आजकल बहुत गुमसुम रहने लगी है। पति के ऐसे रवैये से मैं बेहद तनावग्रस्त हूं। आप ही बताएं कि उन्हें कैसे समझाऊं? डी.एस., लखनऊ वाकई यह स्थिति चिंताजनक है। ऐसे में आप अपना मनोबल बनाए रखें। अभी बेटी को आपके प्यार और सहयोग की जरूरत है। इसलिए उसका विशेष रूप से खयाल रखें। पति को भी यह समझाने की कोशिश करें कि आप दोनों बच्चों की सगी मां और उनकी पत्नी हैं। इसलिए परिवार के तीनों सदस्य आपकी जिंदगी का अटूट हिस्सा हैं और आप किसी को भी अकेला नहीं छोड सकतीं। अपने माता-पिता और ससुराल वालों को इस समस्या के बारे में जरूर बताएं। हो सकता है कि दोनों परिवारों की आपसी सहमति से कोई समाधान निकल आए। इस मामले में किसी मैरिज काउंसलर से भी सलाह ले सकती हैं। अगर इससे कोई हल न निकले तो आप पारिवारिक न्यायालय में शिकायत कर सकती हैं, वहां बातचीत के जरिये ऐसी समस्याओं का हल ढूंढा जाता है। धैर्य से काम लें और निडर रहें। यह न भूलें कि केवल आपको ही नहीं, बल्कि उन्हें भी परिवार की जरूरत है, इसलिए समय के साथ उनके व्यवहार में सुधार जरूर आएगा। ऐसी तमाम कोशिशों के बावजूद अगर उनके व्यवहार में बदलाव नहीं आता तो अंतिम विकल्प के रूप में तलाक के बारे में भी सोचा जा सकता है।


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