दस साल बाद भी नई लगती है शादी: शरद केलकर-कीर्ति गायकवाड़
टीवी के वरिष्ठ कलाकार शरद केलकर और कीर्ति गायकवाड़ की शादी को दस साल हो गए हैं। इनकी डेढ़ साल की बेटी है। इनका मानना है कि शादी एक ख़्ाूबसूरत रिश्ता है और इसे बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के प्रति प्यार व सम्मान भावना का होना ज़्ारूरी है। मिलते
टीवी के वरिष्ठ कलाकार शरद केलकर और कीर्ति गायकवाड की शादी को दस साल हो गए हैं। इनकी डेढ साल की बेटी है। इनका मानना है कि शादी एक ख्ाूबसूरत रिश्ता है और इसे बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के प्रति प्यार व सम्मान भावना का होना ज्ारूरी है। मिलते हैं इस दंपती से।
शरद केलकर और कीर्ति गायकवाड टीवी के चर्चित कलाकार हैं। दोनों ने दस साल पहले प्रेम विवाह किया था। शरद एंड टीवी के शो 'एजेंट राघव-क्राइम ब्रांच में काम कर रहे हैं। इनकी पांच फिल्में भी आने वाली हैं। कीर्ति से मुलाकात भी धारावाहिक के सेट पर हुई थी। मिलते हैं इस विनम्र और सौम्य दंपती से।
शादी की परिभाषा
शरद : यदि आप एक-दूसरे से प्यार करते हैं तो शादी निभाना आसान है। जहां प्यार होता है, वहां हर समस्या को सुलझाया जा सकता है। एडजस्ट करने को तैयार हैं तो हर रिश्ते को ख्ाूबसूरती से निभाया जा सकता है। मेरे हिसाब से शादी दुनिया के सबसे ख्ाूबसूरत रिश्तों में से एक है।
कीर्ति : शादी ने मुझे पूर्णता दी है। हम दुनिया में अकेले आते हैं, लेकिन ज्िांदगी के सफर में किसी ख्ाास की ज्ारूरत होती है। मेरे लिए वह ख्ाास इंसान शरद हैं। मैंने सात साल की उम्र में ही ईश्वर से दो चीज्ों मांगी थीं। पहला मैं ऐक्टर बनूं, दूसरा मुझे बहुत प्यार करने वाला पति मिले। भगवान ने मेरी दोनों मुरादें पूरी कर दीं।
हौले-हौले हुआ प्यार
शरद : मैं तब दूरदर्शन के शो 'आक्रोश में काम कर रहा था। दस एपीसोड के बाद उसमें कीर्ति आई थीं। हमारी बातचीत सामान्य कलीग्स की तरह ही होती थी। फिर काफी समय बाद एक दूसरे शो के ऑडिशन में हम मिले। साथ आने-जाने के दौरान हमारी दोस्ती हुई और धीरे-धीरे ट्यूनिंग बढती गई। हमने दो महीने में ही शादी का फैसला कर लिया। हम दोनों महाराष्ट्रियन हैं, लिहाज्ाा परिवारों को भी आपत्ति नहीं हुई। मैंने शादी की तारीख्ा छह महीने बाद रखने का आग्रह किया, क्योंकि शादी के लिए पैसे जोडऩे थे। ऐक्टर थे तो स्टैंडर्ड से शादी होनी चाहिए। मैं थोडा हकलाता था, लेकिन बातूनी था। कीर्ति तो तब मुझे लल्लू समझती थी।
कीर्ति : पहली मुलाकात में उन्होंने मुझे अलग-अलग आवाज्ा में गाने सुनाए थे। मुझे लगा कि ये मुझे प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। फिर हम 'सीआइडी के सेट पर मिले। कई मुलाकातें हुईं और प्यार का एहसास जगा। हमें पता था कि ज्िांदगी में मुश्किलें आती ही हैं। तय किया कि शादी कर लेते हैं, परेशानी आई तो मिल कर सामना करेंगे। हमारी शादी रीति-रिवाजों के साथ हुई और तीन दिन तक चली। मैं इतना थक गई थी कि तीसरे दिन इलेक्ट्रॉल पीना पडा।
सेट पर भी साथ-साथ
शरद : शादी के तीन महीने पहले कीर्ति ने 'सिंदूर धारावाहिक शुरू किया था। मैं तब 'सात फेरे साइन कर चुका था। 'सिंदूर में कीर्ति के अपॉज्िाट रोल था। 'सात फेरे में भी मेरे अपॉज्िाट भूमिका करने वाली लडकी किसी वजह से नहीं आई तो कीर्ति ने ही वह भूमिका की। नवविवाहित होने के बाद साथ समय बिताना बहुत ज्ारूरी होता है। हम काम के दौरान साथ-साथ रहे।
कीर्ति : वह हमारे करियर की शुरुआत थी। अपना काम सही तरीके से करना चाहते थे। हमारा ज्य़ादा फोकस काम पर ही रहता था।
शादी की सफलता का राज्ा
शरद : पता ही नहीं चला कि शादी के ये दस साल कैसे गुज्ार गए। हमारी शादी 3 जून 2005 को हुई थी। मुझे लगता है कि व्यक्ति की प्राथमिकताएं बदलती हैं और ध्यान भटकता है तो शादी में दिक्कतें आती हैं। शादी में सिर्फ दो व्यक्ति ही शामिल नहीं होते, देर-सबेर परिवार में बच्चा भी शामिल होता है। आज स्त्री पुरुष से ज्य़ादा काम कर रही है, घर-बाहर संभाल रही है। पुरुष चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, मां की तरह ज्िाम्मेदार नहीं बन सकता। स्त्री में धैर्य और प्रेम ज्य़ादा होता है।
कीर्ति : शरद केयरिंग हज्बैंड हैैं। इनमें 70 फीसदी अच्छी आदतें हैं, 30 प्रतिशत बुरी। ये छोटी-छोटी बातों से मुझे ख्ाुश कर देते हैं। जैसे हाल ही में हम कॉफी पीने गए। मुझे स्क्रैंबल लेग टोस्ट (अंडे से बनी ख्ाास डिश) बहुत पसंद है। कॉफी शॉप के मेन्यू में यह था। शरद ने तुरंत मेरे लिए मंगा लिया। इनका यही स्वभाव मुझे इनके करीब ले आता है। मेरी भी कोशिश होती है कि शरद घर आएं तो उन्हें मेरा मुस्कुराता चेहरा मिले।
शरद : कीर्ति बहुत अंडरस्टैंडिंग, इमोशनल और केयरिंग हैं। दोस्तों को भी परिवार की तरह ट्रीट करती हैं, सबका ख्ायाल रखती हैं, मैं इसमें थोडा पीछे हूं। काम में व्यस्त रहता हूं, लेकिन कभी ग्ाुस्से में आपा नहीं खोता। सोचता हूं, बहस करूंगा तो झगडा बढेगा। शांति से बैठ कर समस्या सुलझ जाती है।
कुछ आदतें हैं ज्ाुदा
शरद : (हंसते हुए) हमारी पसंद काफी मिलती है, एकदम भाई-बहन की तरह। कहते हैं कि एक समय के बाद हज्बैंड-वाइफ भी भाई-बहन जैसे दिखने लगते हैं। वैसे खाने में कीर्ति को चाइनीज्ा पसंद है तो मुझे पंजाबी और कॉन्टिनेंटल। कीर्ति अकसर चीज्ों रख कर भूल जाती हैं। पता नहीं कितने फोन खोए इन्होंने। पर अब ये ज्य़ादा ज्िाम्मेदार हो गई हैं। मैं भुलक्कड हो गया हूं। टीवी देखने को लेकर थोडी नोक-झोंक होती है।
कीर्ति : हम दोनों को ट्रैवलिंग और खाना पसंद है। शरद का खाना तो तब तक पूरा नहीं होता, जब तक ये मेरी प्लेट से बाइट न ले लें। फिल्में भी हम ख्ाूब देखते हैं, सोशल साइट पर शरद रहते हैं-मैं इतना नहीं रहती। मुझे वर्कआउट पसंद नहीं है-शरद को बहुत पसंद है। हमें गाने का शौक है। दोस्त तो यहां तक कहते हैं कि शरद के हाथ में माइक आ जाए तो कोई और नहीं बोल सकता।
खट्टी-मीठी यादें
शरद : हमने ख्ाूब यात्राएं की हैं। महीने में चार दिन परिवार के लिए रखता हूं। हमारी पसंदीदा जगह गोवा है। यात्राओं से जुडी कई खट्टी-मीठी यादें भी हैं। मिलान के पास एक जगह है, जहां पैलेस को होटल बनाया गया है। हम वहां ठहरे थे। हमारे कमरे की टेबल पर पहले से कोई दाग्ा था, लेकिन होटल वालों ने कहा कि दाग्ा हमने लगाया है। अब हमें इतने यूरो देने होंगे। मेरे आनाकानी करने पर बोले कि यह बहुत पुराना टेबल है, हमें इसे रिपेयर करना होगा। बहस के बाद आख्िार हमें जितने यूरो देने पडे, उतना तो कमरे का किराया भी नहीं था। एक बार एक यात्रा के दौरान पाकिस्तान के होटल मैनेजर ने इतना ख्ायाल रखा कि हम दोस्त बन गए। वह आज भी मुझे आमंत्रित करता रहता है।
कीर्ति : शादी के बाद मेरा पहला जन्मदिन था। मैं गोवा में शूट कर रही थी और शरद मुंबई में। तब हमारे पास इतने पैसे नहीं होते थे। मगर शरद ट्रेन के लगेज कोच में बैठकर गोवा आए थे। इसी तरह एक बार मैैं दिल्ली में थी, यह मुंबई में। काम से थोडा सा ब्रेक मिला तो फ्लाइट पकडी और दिल्ली आ गए, फिर अगली सुबह ही मुंबई उड गए। वह ऐसे छोटे-छोटे सरप्राइज्ा देते रहते हैं। एक बार मैं, शरद और हमारे दोस्त लोनावला गए। हम ऐसे पॉइंट पर गए, जहां कोई नहीं था। बारिश हो रही थी। हमने गाने बजाए, डांस किया। देखते ही देखते 40-50 गाडिय़ां इकट्ठा हो गईं। डिस्को होने लगा। घर लौटने लगे तो पता चला कि जिस दोस्त की गाडी में म्यूज्िाक चलाया था, उसकी गाडी की बैटरी डाउन हो गई थी। दोस्त विनोद ने जुगाड करके बैटरी चार्ज की। मैं वह रात कभी नहीं भूल सकती।
ज्िाम्मेदार बनाया शादी ने
शरद : पिता बनने के बाद मेरे भीतर बहुत बदलाव आया। मेरी नींद ऐसी है कि डिस्को भी बज रहा हो तो सो जाता हूं। इन्हीं आदतों के कारण कीर्ति प्रेग्नेंसी में घबराती थीं। मगर पिता बनने के बाद ज्िाम्मेदारी ख्ाुद आ गई। हालांकि कीर्ति ज्य़ादा ज्िाम्मेदार हैं। कैशा के पैदा होने के दो दिन बाद ही मैं शूटिंग के लिए हैदराबाद चला गया। बच्ची के लिए कीर्ति ने दो साल काम से ब्रेक लिया।
कीर्ति : मैं कानपुर से हूं। शादी मेरे लिए अहम है। करियर तो दस-बीस साल ही रहेगा। मगर मैं ऐसा जीवनसाथी चाहती थी, जो ज्िांदगी के हर उतार-चढाव में मेरे साथ रहे। प्रेग्नेंसी के दौरान मेरी पीठ में दर्द रहता था। वज्ान बहुत बढ गया, लेकिन मैं सहज रहती थी। बेटी ने मुझे सिखाया कि अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो सहना भी आ जाता है। अब हमारी ज्िांदगी की सबसे बडी प्राथमिकता कैशा है। वह मुझे देखकर भागकर आती है, ढेर सारा प्यार करती है, ख्ाूब बातें करती है। डेढ साल की हुई है मेरी बेटी, लेकिन इतनी ख्ाुशियां देती है कि मैं अपना हर तनाव भूल जाती हूं।
स्मिता श्रीवास्तव