खूबियां सराहें, खामियां नकारें - नावेद जाफरी-सईदा
टीवी के डांस रीअलिटी शो 'बूगी-वूगीÓ से मशहूर हुए एंकर-प्रेज़्ोंटर नावेद जाफरी मशहूर कॉमेडियन जगदीप के बेटे हैं। शो 'पावर कपलÓ केविनर रहे नावेद और सईदा की शादी को चार साल हुए हैं।
नावेद और सईदा की ज्िांदगी में प्यार शब्द शादी के बाद आया। सईदा यूएस में पली-बढी हैं और नावेद भारत में, लेकिन दोनों एक-दूसरे के विचारों, स्वभाव और पसंद-नापसंद का सम्मान करते हैं। एक बात इनमें कॉमन है। दोनों सहज और ज्ामीन से जुडे रहने वाले हैं। दूसरों की मदद को तैयार रहते हैं। इंसानियत का यही जज्बा दोनों को मज्ाबूती से एक सूत्र में बांधे हुए है।
मुलाकात और शादी
नावेद : हमारी अरेंज्ड मैरिज है। मैंने लेट मैरिज की है। सईदा का परिवार यूएस में है। रिश्तेदारों के मार्फत बातचीत हुई। मेरे घरवालों को सईदा पसंद आईं। बस, चट मंगनी पट ब्याह हो गया या कहूं कि चट ब्याह ही हो गया। अब तो शादी को चार साल हो गए हैं। धीरे-धीरे एक-दूसरे को समझ रहे हैं।
सईदा : मैं शादी के बाद भारत आई। काफी फर्क है यूएस और भारत में। यहां जॉइंट फैमिलीज्ा हैं। हालांकि मैंने देखा है कि साथ रहने के बावज्ाूद लोग एक-दूसरे के लिए समय नहीं निकाल पाते। यूएस में लोग भले ही अलग रहें, लेकिन वीकेंड्स पर पेरेंट्स से मिलना, साथ खाना खाना मिस नहीं करते।
सादगी पर तेरी मरते हैं
नावेद : पहली बार सईदा से मिला तो इनकी सादगी ने मुझे आकर्षित किया था। ये ख्ाूब बोलती हैं, साफ दिल इंसान हैं। सईदा बच्चों से बहुत प्यार करती हैं। हमारी गाडी में हमेशा बिस्किट्स-टॉफीज्ा भरी रहती हैं। इन्हें कहीं भी बच्चे दिखें, उन्हें टॉफी•ा-कैंडी•ा बांटती रहती हैं। पीरों-फकीरों को खाना खिलाती हैं। अगर कोई मुश्किल में है तो आगे बढ कर उसकी मदद करेंगी, भले ही वह परिचित न हो। इनके यही गुण मुझे प्रभावित करते हैं।
सईदा : नावेद का सबसे बडा गुण इनका नेक दिल होना है। इन्होंने हमेशा मुझे सम्मान दिया, कभी किसी बात पर रोक-टोक नहीं की। मैं तो इनकी बीवी हूं, लेकिन अपने आसपास मौ•ाूद सभी लोगों के लिए ये बहुत उदार हैं। बडा दिल है नावेद का।
सामंजस्य और मतभेद
नावेद : सईदा ने शादी के बाद सबके साथ सामंजस्य बिठाया। मेरी मां साथ रहती हैं। हमारे घर से थोडी ही दूर पर बडे भाई जावेद जाफरी रहते हैं। परिवार के साथ इनकी ख्ाूब बनती है। हालांकि हमारे बीच नोक-झोंक भी होती है। इसकी वजह यह है कि मैं लापरवाह आदमी हूं। साफ-सुथरा नहीं रहता, चीज्ों बिखेर देता हूं, लाइट्स जलती छोड देता हूं....। इन्हीं बातों पर बहस हो जाती है। सईदा दिल में कुछ नहीं रखतीं। साफ बोलती हैं और अगले ही पल अपना ग्ाुस्सा भूल जाती हैं।
सईदा : मुझे नावेद के परिवार ने खुल कर अपनाया, मान-सम्मान दिया। एडजस्ट करने में मुश्किल नहीं हुई। मेरी सास मुझसे बहुत प्यार करती हैं। बस, नावेद की नेल बाइटिंग की आदत से परेशान रहती हूं। कई बार सोचा कि इनकी उंगलियों में मिर्च लगा दूं, लेकिन इन्हें तीखा खाना पसंद है। गीला टॉवल बिस्तर पर छोड देने, लाइट्स खुली रखने...जैसी आदतों के लिए इन्हें टोकती रहती हूं।
अखरती है समय की कमी
नावेद : हमारा फील्ड ही ऐसा है कि एक-दूसरे को समय देना मुश्किल होता है। दिन भर फोन और शूटिंग्स में बिज्ाी रहता हूं। कई बार पार्टीज्ा में जाना होता है, सईदा की तबीयत ख्ाराब होती है, पर मुझे जाना पडता है। हमारी लाइफस्टाइल अलग है। इसी में निभाना पडता है।
शौक हैं अलग-अलग
नावेद : हमारे शौक अलग-अलग हैं। जैसे मुझे मूवीज्ा और थिएटर भाता है तो सईदा को खाने का शौक है। इंडियन, मुग्ालई, कॉन्टिनेंटल...सब अच्छा बनाती हैं वह।
सईदा : मेरा टेस्ट अलग है। इन्हें खाने का शौक नहीं है, लेकिन चटपटा खाते हैं। मुझे खाने का बहुत शौक है, लेकिन डाइट को लेकर कॉन्शियस रहती हूं। इन्हें फिल्में देखने का शौक है, मैं बहुत फिल्में नहीं देखती।
तोहफा देना मुश्किल काम
नावेद : सईदा की पसंद का तोहफा लाना मुश्किल होता है। उनकी पसंद मुझसे बहुत अलग है। वह नफासत पसंद हैं। एक-दो बार शुरुआत में गिफ्ट्स लाया तो उन्हें पसंद नहीं आए। अब पैसे दे देता हूं, जो चाहती हैं, ख्ारीद लेती हैं। मेरे लिए भी आसान हो जाता है...(हंसते हुए)। शॉपिंग से बच जाता हूं।
सईदा : सच कहूं तो नावेद का टेस्ट झक्कास है। ये चटक-पटक ज्यादा पसंद करते हैं, खाने में भी और कपडों में भी। मैं थोडा चूज्ाी हूं। एक-दो बार ये नोटिस कर चुके हैं कि इनकी लाई चीज्ों मुझे पसंद नहीं आतीं। अब कहते हैं, तुम्हें जो भी चाहिए, ख्ाुद ख्ारीद लो।
हनीमून पर जाना बाकी
नावेद : यूं तो हम कई जगह घूमे-फिरे हैं, मगर हनीमून अब तक नहीं मना सके। शादी के बाद हम मक्का-मदीना गए। शूटिंग्स के सिलसिले में कई जगह जाते रहते हैं, लेकिन हमेशा काम की व्यस्तता रहती है। यूएस, चाइना, अफ्रीका...गए हैं, मगर ऐसी छुट्टियां नहीं बिताईं कि पूरी तरह सईदा के साथ रहूं।
सईदा : हां, नावेद के साथ मैं अफ्रीका, दुबई, चाइना, हॉन्गकॉन्ग गई हूं। नावेद रोमैंटिक हैं लेकिन वह प्रिंस चार्मिंग टाइप नहीं हैं। इन्हें प्यार जताना कम आता है।
धैर्य नहीं तो कुछ नहीं
नावेद : मेरे आसपास कुछ कपल्स ने अरेंज्ड मैरिज की, कुछ ने लव मैरिज। कुछ शादियां चलीं तो कुछ टूटीं। इसका निश्चित फॉम्र्युला नहीं है कि कैसी शादी चलेगी और कैसी नहीं। धैर्य से एक-दूसरे को उसका स्पेस देते हुए आगे बढना होता है। आजकल लोगों की ज्ारूरतें बढ गई हैं। एक-दूसरे से अपेक्षाएं ज्यादा हैं। सब-कुछ जल्दी चाहिए, नहीं मिलता तो फ्रस्ट्रेशन होता है और झगडे शुरू हो जाते हैं। पहले भी झगडे होते थे, मगर लोग दिल पर नहीं लेते थे। अब लोग दिल पर ज्यादा लेते हैं, इसीलिए रिश्ते दरकते हैं।
सईदा : शादी में समझदारी, सम्मान और धैर्य •ारूरी है। पहले औरतें सब सहन करके भी रिश्ते को बचाए रहती थीं। हर किसी की ज्िांदगी में मुश्किल पल आते हैं। थोडा धैर्य रख लें तो आगे जीवन आसान हो जाता है। हर इंसान का स्वभाव अलग होता है। ख्ाूबियां होती हैं तो ख्ाामियां भी। परफेक्ट कोई नहीं है। ख्ाामियों को स्वीकारें-ठीक करें, ख्ाूबियों को सराहें तो निभाना आसान हो जाता है।
साथ का मतलब
सईदा : देखिए, रिश्ते जो टूट रहे हैं न, वह इसलिए कि एक अच्छा है और दूसरा बुरा। कई बार एक इंसान सताता है, वादा करने के बाद भी उसे नहीं निभाता तो वह दिल से उतर जाता है। वह इंसान ही क्या जो अपनी ज्ाबान न रख सके। जो कहा है, उसे निभाएं क्योंकि पार्टनर आप पर भरोसा करता है। रिश्ता नहीं चल पा रहा है तो साथ रह कर एक-दूसरे की ज्िांदगी को नर्क बनाने के बजाय शांति और इज्ज्ात से अलग हो जाएं। 'आई लव यू कह देने से ही रिश्ता नहीं बन जाता, एक-दूसरे के सुख-दुख का साथी भी बनना पडता है।
इंदिरा राठौर