Move to Jagran APP

हाथ थामा है शादी भी निभाएंगे: गुलशन देवैया-कॉलीरॉय

इनकी शादी को अभी ढाई वर्ष हुए हैं और फिलहाल एक-दूसरे को समझने के दौर में हैं। लेकिन एक वादा किया है इन्होंने कि हर हाल में एक-दूसरे का साथ देंगे। शैतान और हेट स्टोरी जैसी फिल्मों से पहचान बनाने वाले गुलशन देवैया ने शादी की है ग्रीस की खूबसूरत कॉली रॉय से। अलग-अलग संस्कृति से आने वाले गुलशन और कॉलीरॉय रिश्तों को लेकर साफ दृष्टिकोण रखते हैं। मिलते हैं इनसे।

By Edited By: Published: Mon, 03 Mar 2014 03:15 PM (IST)Updated: Mon, 03 Mar 2014 03:15 PM (IST)
हाथ थामा है शादी भी निभाएंगे: गुलशन देवैया-कॉलीरॉय

गैर हिंदीभाषी शहर बंगलुरू के होने और फिल्म जगत में संपर्क न होने के बावजूद गुलशन देवैया ने जल्दी ही मुंबई में नाम-दाम कमा लिया है। अनुराग कश्यप की दैट गर्ल इन येलो बूट्स से करियर की शुरुआत हुई। शैतान में उन्हें नोटिस किया गया और हेट स्टोरी में हकले उद्यमी के रूप में वे खतरनाक विलेन की भूमिका में दिखे। रामलीला में फिर विलेन (भवानी) के रूप में नजर आए। गुलशन की हमसफर हैं ग्रीस की कॉली रॉय। गुलशन ने मुंबई में रजत कपूर के प्ले ग्रुप से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली है, कॉली ने पहले ग्रीस, फिर लंदन से ड्रमैटिक्स की औपचारिक ट्रेनिंग ली।

loksabha election banner

नवाबों के शहर की मुलाकात

गुलशन: मैं नवाबों के शहर लखनऊ का शुक्रगुजार हूं। वहीं कॉली से मुलाकात हुई। मैं एक प्ले में अपने दोस्त नील गोपालन की भूमिका अदा कर रहा था। उसमें नामी थिएटर आर्टिस्ट अतुल कुमार भी थे। कॉली उनकी दोस्त थीं। प्ले के बाद कॉली का इरादा दिल्ली जाने का था। अतुल ने कॉली को लखनऊ आकर प्ले देखने को कहा। कॉली आई। मुंबई और पुणे भी जाना था उन्हें। कॉली आई तो अतुल ने मुझसे कहा कि उन्हें शहर घुमाने ले जाऊं। पुणे में उस समय मौसम बडा आशिकाना था। वैसे पहली नजर का प्यार जैसा कुछ हमारे साथ नहीं हुआ, हम खूबसूरत नजारे देखने में व्यस्त थे। इसके बाद भी हमने काफी वक्त साथ गुजारा और तब मन में इनके प्रति चाहत पनपने लगी। पुणे के बाद कॉली को केरल जाना था। बंगलुरू जाकर दोस्तों से मिलना था। दूर होने के बाद भी हम टच में रहने लगे।

कॉलीरॉय : इसी बीच मुझे एक फिल्म ऑफर हुई तो मैं मुंबई आई। वह फिल्म तो वर्कआउट नहीं हो सकी, लेकिन रिश्ते पर वर्कआउट अच्छा हो गया। इस बार की मुलाकात में गुलशन ने प्रपोज कर दिया।

गुलशन : मैंने सीधे-सादे ढंग से इनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। उस समय मेरी छठी इंद्रिय मुझसे कह रही थी कि कहीं न कहीं ये भी मुझे मन ही मन चाहती हैं।

अभी तो समझना शुरू किया है..

गुलशन : शादी को कैसे परिभाषित किया जाता है, मुझे नहीं मालूम। कुछ लोग शादी को बंधन कहते हैं। सच क्या है, इसी को समझने की कोशिश कर रहा हूं। हमारी शादी को ढाई साल हुए हैं। शायद दस-पंद्रह साल बाद आप पूछें तो बेधडक शादी पर पूरी स्पीच दे दूं। फिर भी यह तो कहूंगा कि मुझे अब पूरी उम्र इनके साथ बितानी है।

और दिल में बजी घंटियां

कॉलीरॉय : गुलशन ने शादी के लिए प्रपोज किया तो मुझे कुछ-कुछ होने लगा। मैं ग्रीस से हूं। लंदन से पढाई कर रही थी। भारत घूमने आई और दिल गवां बैठी। कुछ मुलाकातों के बाद हमें लगने लगा था कि दोस्ती अगले पायदान पर पहुंचने वाली है। जब मुंबई से लंदन लौटी तो वहां गुलशन को मिस करने लगी। हम रोज चैट करते, स्काइप पर बात करते, मगर दिल उदास रहता था। स्काइप पर ही गुलशन ने मुझे प्रपोज किया।

परिवारों की सहमति

गुलशन : मेरे यहां कोई परेशानी नहीं हुई। ये मम्मी-पापा से मिलीं और उन्हें प्रभावित कर लिया। इनकी सादगी मेरे पेरेंट्स को भा गई। हालांकि घर वालों को चिंता थी कि हम अलग-अलग परिवेश के हैं, शादी के बाद निभेगी कि नहीं। हम शादी से पहले दोनों परिवारों से मिले, बातचीत-बहस हुई, मगर फिर सभी को कन्विंस कर लिया।

फिल्मी ड्रामे से दूर

कॉलीरॉय : हमारी रीअल लाइफ में कोई फिल्मी ड्रामा नहीं था। जरा भी संदेह होता तो मैं शादी का फैसला नहीं लेती। मुझे इनके परिवार वाले भा गए। मैं समझती हूं, अगर आप पूरी ईमानदारी से लोगों को अपने बारे में बताएं तो संदेह की गुंजाइश नहीं रहती।

कुछ बातों पर आता है गुस्सा

कॉलीरॉय : गुलशन बेहद बातूनी हैं। घर में इनकी रिहर्सल और खर्राटे मुझे झेलने पडते हैं। सोते बहुत हैं ये। हमारा एनर्जी लेवल अलग-अलग है। ये सारे पटाखे घर में ही फोडते हैं, बाहरी दुनिया में कम बोलने वाले शर्मीले टाइप इंसान हैं। पार्टी, मौज-मस्ती, यहां तक कि बाहर जाने से भी कतराते हैं। कभी साथ सिनेमा देखने चले भी गए तो ध्यान इसी पर रहता है कि फिल्म खत्म हो और घर जाएं। मुझे भीडभाड पसंद है, क्योंकि ग्रीस में मुझे वैसा माहौल नहीं मिला।

समझौता सामंजस्य के लिए

कॉलीरॉय : शादी के लिए ही अपने घर वालों से दूर दूसरे देश में रह रही हूं। उन्हें मिस करती हूं। मैंने यहां के हिसाब से खुद को ढाला है। मुंबई की गर्मी और खस्ताहाल सडकें झेलती हूं। फिर सोचती हूं, यहां बरसों से रहने वाले लोग भी तो झेल रहे हैं।

हम-तुम में न रहे फर्क

गुलशन : हमारी सोच और शौक एक से हैं। पहली समानता यही है कि हम नाटक-प्रेमी हैं। पता नहीं, हमारे बीच कुछ कॉमन न हो, लेकिन मुझे इन्होंने आकर्षित किया तो कुछ न कुछ कॉमन होगा ही। मुझे इनसे बातें करना, इनके साथ वक्त बिताना अच्छा लगता था। सोचता था कि इन्हें अपनी हमसफर बना लूं।

नोकझोंक जरूरी है

कॉलीरॉय : आदर्श स्थिति तो यह है कि झगडा न हो, लेकिन कई बार झगडों से समस्याएं हल हो जाती हैं। तो कभी-कभार झगडे जरूरी है।

गुलशन : मीठी नोकझोंक होती रहे तो रूठने-मनाने का सिलसिला भी चलता रहता है। हम ट्रडिशनल कपल नहीं हैं, फिर भी आशा तो है कि हर स्थिति में साथ निभाएंगे।

शादी की राह नहीं थी आसान

गुलशन : हम दोनों ही अलग-अलग संस्कृतियों से आते थे। दोस्ती तक तो ठीक, मगर शादी के बाद थोडी मुश्किलें तो आनी ही थीं, आई भी।

कॉलीरॉय : हमारी राह आसान नहीं थी। हमारे बीच देश, संस्कृति, भाषा, वेशभूषा जैसी कई असमानताएं थीं। ऐसे में सामंजस्य की थोडी समस्या तो आती ही। इसमें दो-तीन महीने लग गए। लेकिन फिर हमारे भीतर ऐसा कुछ था, जिसने हमें कनेक्ट किया। कंपेनियनशिप के प्यारे एहसास, एक-दूसरे को स्पेस देने की चाहत और दूसरे के व्यक्तित्व का सम्मान करने की हमारी मंशा ने हमें एक-दूसरे के करीब लाने में मदद की। हम एक-दूसरे की इच्छाओं, रुचियो या पसंद-नापसंद, सपनों या ख्वाहिशों को डिक्टेट नहीं करते। न हम दूसरे पर अपेक्षाओं का बोझ लादते हैं। व्यस्त होने के बावजूद हम एक-दूसरे के लिए वक्त निकालते हैं। साथ लॉंग ड्राइव पर जाते हैं। यही हमारे साथ की खूबसूरती है।

अमित कर्ण


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.