बच्चों के बाद भी सेक्स लाइफ रहे जवां
नन्हे मेहमान के घर में आते ही कपल्स नई जिम्मेदारियों में इतना डूब जाते हैं कि अपने लिए भी वक्त नहीं निकाल पाते। सेक्स दांपत्य का अहम हिस्सा है और इसके न होने से कई समस्याएं उभर सकती हैं। शारीरिक-मानसिक व भावनात्मक रूप से फिट रहने के लिए जरूरी है कि प्यार के छोटे-छोटे पलों का लुत्फ उठाएं, तभी बन सकेंगे खुशहाल माता-पिता।
क्या अच्छी मां होने का मतलब बुरी पत्नी होना है? अच्छी पत्नी होने का अर्थ बुरी मां होना है? क्या पेरेंटिंग और दांपत्य विरोधाभासी हैं? मां बनते ही अकसर स्त्रियों को ऐसे जटिल सवालों में उलझना पडता है। पेरेंटिंग 24 घंटे का काम है। बच्चे छोटे हों तो यह और भी मुश्किल है। लेकिन दांपत्य ही वह धुरी है, जिसके इर्द-गिर्द सभी रिश्ते घूमते हैं। बच्चे भी तभी खुश रहेंगे, जब माता-पिता खुश होंगे।
ज्यादातर पेरेंट्स परवरिश में इतना खो जाते हैं कि दांपत्य संबंधों को भूल जाते हैं। नतीजा होता है-रिश्ते में अनचाहे ही एक दूरी का पनपना। दूरी को जल्दी न पाटा जाए तो संबंधों में गांठ पडते देर नहीं लगती।
दिल्ली स्थित एक सरकारी बैंक में प्रोबेशनरी अधिकारी कुमुद (काल्पनिक नाम) का अनुभव कुछ ऐसा ही था। वह कहती हैं, मेरी बेटी 10 महीने की थी, जब मैं दोबारा प्रेग्नेंट हुई। प्रेग्नेंसी और परवरिश का वह दौर मेरे लिए बहुत मुश्किल था। मैं इसमें इतना उलझी कि पति को भूल गई। कहीं न कहीं जल्दी प्रेग्नेंट होने का गुस्सा भी मैं उन पर ही उतारती थी। हमारी सेक्स लाइफ खत्म हो गई। कई बार वह इस ओर संकेत करते, पर मैं समझ नहीं पाती। उन दिनों पति अकसर खामोश रहते थे, लेकिन मेरे पास इतना भी समय न था कि उनका हाल पूछूं। एक दिन मुझे किसी करीबी ने फोन करके बताया कि मेरे पति जॉब में परेशान हैं और उसे छोडने का मन बना रहे हैं। मुझे आश्चर्य हुआ कि यह बात उन्होंने रिश्तेदार को क्यों बताई। शाम को पति घर लौटे तो मैंने पूछा। उनका जवाब था, तुम्हारे पास मेरे लिए समय कहां है? मैं इस बीच कितने टेंशन और डिप्रेशन से गुजरा हूं, तुम्हें पता भी है? मैं सकते में आ गई। स्थिति बिगडती, इससे पहले ही मैं संभल गई। अगले 15 दिनों में मैंने घर पर फुलटाइम मेड की व्यवस्था की। एक हफ्ते की छुट्टी प्लान की और हम दिल्ली के पास स्थित एक हिल स्टेशन पर गए। मेरे सारे गिले-शिकवे खत्म हो गए। हम भरपूर ऊर्जा लेकर लौटे। मेरी शादी बच गई और एक महीने बाद ही पति को बेहतर जॉब भी मिल गई..।
बच्चों के आने के बाद अकसर स्त्रियां अपनी और पति की उपेक्षा करने लगती हैं। वे न तो अपनी हेल्थ और फिटनेस के बारे में सोच पाती हैं, न दांपत्य की जरूरतों के बारे में। सेक्स एजुकेटर्स एन सेमंस और केथी विंक्स की पुस्तक द मदर्स गाइड टु सेक्स में दिए गए टिप्स भारतीय मांओं के लिए भी उपयोगी हो सकते हैं।
सेक्स की परिभाषा बदलें
सेक्स संबंधों की रूढ परिभाषा हमारे दिमाग में है कि यह बेडरूम में बनने वाला संबंध है। लेकिन जब जिंदगी में जिम्मेदारियां बढें तो सेक्स को दोबारा परिभाषित करना चाहिए। प्यार भरा स्पर्श, आलिंगन, किस या बालों में हाथ फेरना भी प्यार की अभिव्यक्ति है। यही वास्तविक फोरप्ले है। डिजायर्स की शुरुआत इस तरह होगी तो अंजाम अच्छा ही होगा।
बातों-बातों में
बच्चे सबका मन मोह लेते हैं। मां के लिए तो बच्चा उसके आकर्षण का केंद्रबिंदु होता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हर वक्त बच्चे की बात करें। बच्चे छोटे हों तो अंतरंग पल मुश्किल से मिलते हैं। इसलिए जो भी वक्त मिले, उसका उपयोग एक-दूसरे को समझने, खूबसूरत एहसासों को जीने, तारीफ करने, प्यार भरी चुहलबाजी करने में करें।
साथ का आनंद
छोटे बच्चे के साथ मां की जिंदगी घर की चारदीवारी में कैद हो जाती है। इससे कई बार तनाव, दबाव, थकान, बोरियत पैदा हो जाती है और स्त्रियों में कुंठा जन्म लेने लगती है। जब बच्चा 3-4 महीने का हो तो उसे बाहर निकालें। बच्चे को भी ताजी हवा मिलेगी और पेरेंट्स को थोडा स्पेस मिलेगा। कभी-कभी माता-पिता की मदद लें। उन्हें आमंत्रित करें। जब बच्चे को देखने के लिए कोई बडा-बुजुर्ग घर में होगा तो कपल को अपने लिए वक्त मिल सकेगा। इस समय का उपयोग मूवी देखने, रेस्टरां में डिनर करने में कर सकते हैं।
लौटें बीते दिनों में
पेरेंट्स की भूमिका से एकाएक प्रेमी-प्रेमिका की भूमिका में लौटना मुश्किल तो है, लेकिन असंभव नहीं। पुरानी यादें ताजा करें। समय मिलने पर शादी की रिकॉर्डिग्स या अलबम देखें, साथी को एसएमएस भेजें..। मौके की प्रतीक्षा किए बिना उसे गिफ्ट दें। ये सारी बातें एक-दूसरे को महसूस करने में मदद करेंगी। बच्चा इसी प्रेम का प्रतिफल है, इसलिए अपने प्रेम को लौटाने की कोशिश करें।
डेट प्लानिंग
जीवन में हर चीज की प्लानिंग करते हैं तो दांपत्य के लिए थोडी प्लानिंग क्यों न करें। सेक्स जीवन में स्पार्क जगाने के लिए हफ्ते में कोई एक दिन चुनें। दिलचस्प व रोमैंटिक डेट के लिए वक्त नहीं है तो क्या हुआ! छोटे बच्चे के साथ लंबा वक्त साथ गुजारना मुश्किल है। इसलिए कोई एक दिन प्लान करें, जैसे वीकेंड इसके लिए अच्छा रहेगा। बच्चे के काम जल्दी निपटा लें और उसे सुला दें। खाना बाहर से मंगा लें और खुद को थोडा वक्त दें। कुछ रोमांचक करें, प्यार की अभिव्यक्ति कुछ ऐसे करें कि जिंदगी में रोमैंस जागे। साथ शॉवर लें, कुकिंग करें, रोमैंटिक मूवी देखें या फिर म्यूजिक सुनें। एक-दूसरे के लिए कुछ ऐसा करें कि दोबारा इन क्षणों का हफ्ते भर इंतजार कर सकें।
इंतजार और नहीं..
सेक्स के लिए नो-नो? ऐसा अनर्थ न करें। वैवाहिक जीवन में सेक्स को नजरअंदाज न करें। प्रसव के चार-छह महीने (जैसा भी डॉक्टर की सलाह हो) बाद जब भी सेक्स सुरक्षित हो, इसके लिए समय निकालें। रॉकलैंड हॉस्पिटल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा शर्मा कहती हैं, लंबे समय तक इंतजार करने से सेक्स की इच्छा खत्म होने लगती है। जितना ज्यादा गैप होगा, सेक्स उतना मुश्किल और पीडादायक होगा। जितनी जल्दी सेक्स को जिंदगी में लौटाएंगे, हेल्थ के लिए उतना ही अच्छा होगा। पेरेंटिंग में इससे मदद मिलेगी। सेक्स तनावमुक्त व खुश रखेगा और जिम्मेदारियों को पूरा करने की ऊर्जा भी मिलेगी। पेरेंटिंग मुश्किल लेकिन आनंददायक अनुभव है। इस अनुभव को मुश्किलों के घेरे से निकालने और इसे रोमांचक बनाने के लिए जरूरी है कि दांपत्य जीवन में भी रोमांच बना रहे।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सेक्स की कमी पति-पत्नी को कई बार इतनी दूर ले जाती है, जहां से लौटना मुश्किल होता है। दांपत्य में सेक्स की अहमियत समझना और इसे सदाबहार बनाए रखना उतना ही जरूरी है, जितना बच्चों को बडा होते देखना..।
इंदिरा राठौर