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फैट से अनफिट न हों रिश्ते

अधिक वज़्ान, ओबेसिटी या मोटापा न सिर्फ सेहत के लिए बुरा है, बल्कि इससे सेक्स लाइफ भी प्रभावित हो सकती है। अध्ययन बताते हैं कि वज़्ान का लिबिडो या सेक्स डिज़्ाायर्स से गहरा नाता है। रिश्तों को ख़्ाूबसूरत बनाए रखना है तो वज़्ान को नियंत्रित रखना ज़्ारूरी है।

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 12:59 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 12:59 AM (IST)
फैट से अनफिट  न हों रिश्ते

अधिक वज्ान, ओबेसिटी या मोटापा न सिर्फ सेहत के लिए बुरा है, बल्कि इससे सेक्स लाइफ भी प्रभावित हो सकती है। अध्ययन बताते हैं कि वज्ान का लिबिडो या सेक्स डिज्ाायर्स से गहरा नाता है। रिश्तों को ख्ाूबसूरत बनाए रखना है तो वज्ान को नियंत्रित रखना ज्ारूरी है।

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नाम कुछ भी हो सकता है, लेकिन समस्या आम है। इनकी दूसरी बेटी 33 की उम्र में नॉर्मल डिलिवरी से हुई। प्रेग्नेंसी के आख्िारी दौर में वज्ान इस तरह बढा कि प्रसव के बाद भी काबू नहीं आया। नॉर्मल से लगभग 15 किलो ज्य़ादा वज्ान के कारण उनका आत्मविश्वास तो डिगा ही, कई स्वास्थ्य समस्याएं भी हो गईं। दो साल तक बच्चे और घर की दुनिया में कैद रहीं, ख्ाुद पर ध्यान देना बंद कर दिया और बेडरूम में पति के साथ अजनबी की तरह रहने लगीं। चिडचिडाहट, हताशा और मूड स्विंग से घिरी पत्नी को उनके पति एक दिन काउंसलर के पास ले गए। दो-तीन सिटिंग्स के बाद ही उन्हें फायदा हो गया। धीरे-धीरे उन्हें इस मन:स्थिति से बाहर निकाला गया। शुरुआत ब्रिस्क वॉक से हुई। घर में हलकी-फुलकी एक्सरसाइजेज्ा के बाद जिमिंग और डांस क्लासेज्ा शुरू हुईं। डाइट और वर्कआउट पर ध्यान दिया गया। छह महीने बाद लगभग 7 किलो तक वज्ान घट गया। हालांकि अब भी उनका वज्ान सामान्य से थोडा ज्य़ादा है, मगर उनकी सेक्स लाइफ ख्ाुशगवार है और खोया हुआ आत्मविश्वास भी लौट आया है।

फैट, लिबिडो और रिश्ता

मोटापा आज की जीवनशैली में बडी समस्या है। इससे सेहत संबंधी समस्याओं सहित सेक्स लाइफ भी प्रभावित हो रही है। अध्ययन बताते हैं कि ज्ारूरत से ज्य़ादा या कम बीएमआइ (बॉडी मास इंडेक्स) लो लिबिडो (सेक्सुअल डिज्ाायर्स की कमी) का बडा कारण है। एकाएक वज्ान बढऩे या घटने से हॉर्मोनल असंतुलन होता है, जिससे लिबिडो पर प्रभाव पडता है। फैट सेल्स लिबिडो सेंसिटिविटी को बढाने वाले हॉर्मोंस के स्राव को बाधित करती हैं। हाइपोथेलेमस (ब्रेन का वह हिस्सा, जो कई ज्ारूरी हॉर्मोंस के उत्पादन के लिए ज्िाम्मेदार है) कोर्टिकोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (सीआरएच ) को नियंत्रित करता है। सीआरएच वह प्रमुख तत्व है, जो किसी भी दबाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को संचालित करता है। सीआरएच ही पिटुइटरी ग्लैंड को एक्टिवेट करता है, जिससे अडरीनोकोर्टिकोट्रॉपिन हॉर्मोन (एसीटीएच) का स्राव होता है। एसीटीएच अडरीनल ग्लैंड्स तक पहुंच कर कोर्टिसोल का स्राव शुरू कर देता है। कोर्टिसोल स्ट्रेस हॉर्मोन है, जो सेल्स के मेटाबॉलिज्म को बाधित करता है। कोर्टिसोल का स्राव ज्य़ादा होने से फीमेल रीप्रोडक्टिव ऑर्गंस और पुरुष के टेस्टिस में टेस्टोस्टेरॉन को बढाने के लिए ज्ारूरी कोलेस्ट्रॉल की कमी हो जाती है। इससे सेक्स ड्राइव में कमी आती है। यानी इस पूरी प्रक्रिया में स्त्रियों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन का स्तर घट जाता है। इससे पीरियड्स में अनियमितता होती है और कई बीमारियां उभरने लगती हैं। पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन की कमी से एस्ट्रोजन भी प्रभावित होता है। समय के साथ-साथ इससे प्रोस्टेट के काम में बाधा आने लगती है और कैंसर जैसी बीमारियों का ख्ातरा बढ जाता है। िफज्िायोलॉजिकल सिस्टम और सेक्सुअल ऑर्गंस के सही ढंग से काम करने के लिए कोलेस्ट्रॉल ज्ारूरी है। कोर्टिसोल का स्तर बढता है तो हैप्पी हॉर्मोन कहे जाने वाले सेरोटोनिन का स्तर घटने लगता है। सेरोटोनिन के घटने से नर्वस सिस्टम पर दबाव बढता है। यही वजह है कि कई ओबीज्ा लोग सेंट्रल नर्वस डिप्रेशन से गुज्ारते हैं। दूसरी ओर डिप्रेशन से भी कोर्टिसोल का स्राव अधिक होने लगता है। यह एक श्रंखला की तरह है। डिप्रेशन से जीवन के हर पहलू (सेक्स ड्राइव पर भी) पर विपरीत प्रभाव पडता है। कहा जा सकता है कि लो लिबिडो की एक बडी वजह हॉर्मोनल असंतुलन है, जिससे रीप्रोडक्टिव ऑर्गंस भी प्रभावित होते हैं। फैट बढऩे से सेक्स की इच्छा कम होती है। फैट सेल्स की वृद्धि को रोकने, हेल्दी डाइट व लाइफस्टाइल अपनाने से कोर्टिसोल को स्थिर किया जा सकता है।

हेल्दी फैट है ज्ारूरी

ओबेसिटी से वज्ान तो बढता है, लेकिन ओवरवेट और ओबीज्ा में फर्क है। ओबीज्ा व्यक्ति ओवरवेट हो सकता है, मगर ओवरवेट व्यक्ति हमेशा ओबीज्ा नहीं होता। वज्ान में मसल्स, हड्डियों और फैट तीनों का वज्ान शामिल होता है। एक उम्र के बाद अमूमन स्त्रियां थोडी मोटी हो जाती हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि वे ओबीज्ा हैं। ओबीज्ा होने का अर्थ है, शरीर के लिए ज्ारूरी कैलरीज्ा से अधिक कैलरीज्ा का सेवन करना। बीएमआइ का 28-29 तक होना हेल्दी वेट है, मगर 30 से अधिक बीएमआइ ओबीज्ा की श्रेणी में आता है। भारत में ओबेसिटी बढऩे का प्रमुख कारण तेज्ाी से बदलती लाइफस्टाइल और असंतुलित खानपान है।

फील गुड

हम जैसा खाते हैं, वैसा सोचते हैं और जैसा सोचते हैं, वैसी ही हमारी ज्िांदगी होती है। सेक्स डिज्ाायर्स दिमाग्ा से संचालित होती हैं। इसलिए लो लिबिडो शरीर से ज्य़ादा मन की समस्या है। दुर्भाग्य से हमारे समाज में सुंदरता (शरीर की सुंदरता) की परिभाषा काफी संकुचित है। गोरा, छरहरा होना और शरीर का एक सांचे में ढला होना.....स्त्रियों के लिए सुंदरता के पैमाने इसी तरह तय किए जाते हैं। स्त्रियां स्वयं भी इसी परिभाषा में ख्ाुद को फिट करने की कोशिशें करती हैं। सच यह है कि 25 की उम्र में कमर की माप बेशक 23-24 इंच हो, 40 की उम्र में इसका तीन-चार इंच बढऩा सामान्य स्थिति है।

ज्ारूरी है कि अपने शरीर को लेकर कंफर्टेबल रहें और मोटापे को लेकर अधिक न सोचें। चिंता, दबाव व अवसाद से मोटापा बढता है। समस्या के प्रति सकारात्मक सोच ज्ारूरी है। इसके लिए नेगेटिव बॉडी इमेज से बाहर निकलना ज्ारूरी है, तभी कपल्स सेक्स संबंधों को एंजॉय कर सकते हैं।

ऐसे करें शुरुआत

एक्सपट्र्स का कहना है कि जैसे ही समस्या समझ आए, उस पर तुरंत काम शुरू कर दें। छोटी-छोटी शुरुआत करें-

1. वज्ान घटाने का लक्ष्य बनाएं। यह लक्ष्य व्यावहारिक हो। जैसे छह महीने में 5-6 किलो तक वज्ान घटाना हेल्दी तरीका है।

2. पौष्टिक खाना खाएं, ताकि कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर सामान्य रहे। लो फैट डाइट, सैलेड, हरी सब्ज्िायां और फ्रूट्स कई बार जादुई असर दिखाते हैं। इनसे वज्ान बहुत कम न भी हो, शुगर व कोलेस्ट्रॉल स्तर संतुलित रह सकता है।

3. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। संतुलित दिनचर्या से शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत मदद मिलती है।

4. ट्रेनर या एक्सपट्र्स की मदद से ऐसे व्यायाम करें, जिससे जेनिटल ऑर्र्गंस में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो सके। कुछ ख्ाास एक्सरसाइज्ा सेक्स डिज्ाायर्स बढाने में मददगार होती हैं।

5. एक्सपट्र्स का मानना है कि हफ्ते में कम से कम तीन दिन 20-25 मिनट योग, ब्रिस्क वॉक और साइक्लिंग से शरीर में रक्त-संचार अच्छा होता है। इससे सेक्सुअल क्रिया के लिए ज्ारूरी ल्युब्रिकेशन, उत्तेजना व ऑर्गेज्म का अनुभव हो सकता है।

6. रोमैंटिक मूवीज्ा देखें। हफ्ते में कम से कम तीन बार 20 मिनट इस सेक्सी वर्कआउट पर अमल करके देखें। सेक्स ड्राइव और डिज्ाायर्स दोनों स्तरों पर सुधार देखा जा सकता है।

7. अपने व्यक्तित्व के सेंसुअस पहलू के बारे में सोचें और उसे उभारने की कोशिश करें। ख्ाुद को आकर्षक महसूस करें, ख्ाूबसूरत दिखने की कोशिश करें। अपने बारे में अच्छा फील करें।

8. अपने शरीर से प्यार करें, उसे हर ख्ाामी के साथ स्वीकार करें। बॉडी शेप से नफरत सेक्सुअल क्रियाओं से भी दूर भागने का कारण बन सकती है।

9. एक्सपट्र्स और तमाम शोधों की मानें तो स्त्रियों पर सामाजिक दबाव पुरुषों की तुलना में अधिक होते हैं। पति का सहयोग भी इस मामले में उनकी ज्य़ादा मदद नहीं कर पाता। यदि स्त्री ख्ाुद को सेक्सी नहीं मान पाती या अपने शरीर को सहज ढंग से स्वीकार नहीं कर पाती तो वह सेक्सुअल क्रियाओं में भी सहज नहीं हो सकती। कोशिशों के बावजूद यदि लिबिडो में सुधार नहीं आता तो विशेषज्ञ से मिलने में न हिचकिचाएं।

10. शोध बताते हैं कि लगभग 30 प्रतिशत ओवरवेट लोग सेक्सुअल प्रॉब्लम्स से परेशान रहते हैं, जबकि थोडे से प्रयास से इनमें से 70 प्रतिशत लोगों का सेक्सुअल परफॉर्मेंस ठीक किया जा सकता है। ज्ारूरी है कि परफेक्ट सेक्सुअल बॉडी की स्टीरियोटाइप्ड परिभाषा को मानने के बजाय अपनी इच्छाओं को प्राथमिकता दें।

इंदिरा राठौर


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