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थोड़ी दूरी है जरूरी

दोस्ती निभाना निश्चित रूप से अच्छी बात है लेकिन जब व्यक्ति के दांपत्य जीवन पर इसका नकारात्मक असर दिखाने लगे तो ऐसे दोस्तों से थोड़ी दूरी बनाए रखने में ही समझदारी है।

By Edited By: Published: Thu, 29 Dec 2016 01:09 PM (IST)Updated: Thu, 29 Dec 2016 01:09 PM (IST)
थोड़ी दूरी है जरूरी
लगभग चार साल पहले की बात है। मेरे पास किसी युवती का फोन आया और वह आवाज से वह बहुत परेशान लग रही थी। इसलिए व्यस्तता के बावजूद मैंने उसे मिलने के लिए बुला लिया। रिश्ते की उलझती डोर पल्लवी ने मुझे बताया कि पडोस में रहने वाले चेतन से पति आकाश की अच्छी दोस्ती थी। दोनों दंपती हमउम्र थे। इसलिए उनके बच्चों का भी एक-दूसरे के घर पर आना-जाना लगा रहता। छुट्टियों में दोनों परिवार अकसर साथ मिलकर आउटिंग पर जाते लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब चेतन पल्लवी के करीब आने की कोशिश करने लगा। वह अकसर उससे अकेले में मिलने की कोशिश करता। वह अपने पति से भी यह बात शेयर नहीं कर पा रही थी। इसलिए घबराहट में मुझे फोन कर दिया। सारी बातें सुनने के बाद मैंने पल्लवी से उसके पडोसी का मोबाइल नंबर मांगा और उसे एक सप्ताह बाद वापस बुलाया। दांपत्य पर हावी दोस्ती चूंकि दोनों परिवार एक-दूसरे के इतने करीब थे कि अचानक इनके लिए इस संबंध को तोडऩा बेहद मुश्किल था। अगली बार जब पल्लवी मुझसे मिलने आई तो मैंने उसे समझाया कि बहुत धैर्य के साथ इस समस्या को सुलझाना होगा। ऐसे करीबी रिश्ते में अचानक दूरी बना लेने से और कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। मसलन, दांपत्य जीवन में कडवाहट के साथ बच्चों पर भी इसका गलत असर पड सकता है। इसलिए आप अचानक उस व्यक्ति से बातचीत बंद न करें बल्कि सचेत ढंग से उन लोगों से मिलना-जुलना कम कर दें। इसके पंद्रह दिनों बाद जब पल्लवी मुझसे मिलने आई तो उसने मुझे बताया कि अब वह उन लोगों से ज्यादा बातचीत नहीं करती और छुट्टी वाले दिन अपने बेटे के साथ किसी रिश्तेदार के घर चली जाती है। इसी बीच एक बार मैंने भी चेतन को फोन किया और उसे स्पष्ट शब्दों में समझा दिया कि आपकी वजह से पल्लवी बहुत परेशान है। जरा सोचिए, अगर आपकी पत्नी किसी दूसरे पुरुष के साथ ऐसा व्यवहार करे तो आपको कैसा लगेगा? आप हमारी बात जितनी जल्दी समझ जाएं उतना ही अच्छा रहेगा, अन्यथा पल्लवी कानून की भी मदद ले सकती है। इसके बाद असर्टिव बिहेवियर की ट्रेनिंग द्वारा उसे यह समझाया कि बिना क्रोधित हुए भी हम दूसरों के सामने अपनी असहमति जाहिर कर सकते हैं। सुलझ गई उलझन अगली बार जब पल्लवी मुझसे मिलने आई तो उसने मुझे बताया कि आजकल उसके पास चेतन के मेसेज और फोन कॉल्स आने बंद हो गए हैं। अब वह केवल बच्चों की बर्थडे पार्टी जैसे खास अवसरों पर ही उनके घर जाती है। अगर कभी उसकी पत्नी पल्लवी को अपने घर पर बुलाती है तो वह किसी जरूरी काम का बहाना बना देती है। जब उसके पति आकाश ने उससे उसके व्यवहार में इस बदलाव की वजह जानने की कोशिश की तो उसने कहा कि समय के साथ जीवन की प्राथमिकताएं भी बदलती हैं। मुझे ऐसा लगता है कि अब हमें घूमने-फिरने और सामाजिक संबंधों के निर्वाह के बजाय अपने बच्चे की पढाई और परिवार पर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद आकाश ने भी अपने उस दोस्त से मिलना-जुलना कम कर दिया। कुल मिलाकर छह महीने के भीतर यह समस्या पूरी तरह सुलझ गई। यहां पल्लवी का प्रयास सराहनीय है कि वह समय रहते सचेत हो गई, अन्यथा उसकी जरा सी लापरवाही से एक साथ कई जिंदगियां तबाह हो सकती थीं। चाहे कोई भी रिश्ता हो उसमें सम्मानजनक दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी है। (लोगों के आग्रह पर उनके नाम बदल दिए गए हैं।)

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