साथ जब बन जाए सजा
शादी सात जन्मों का रिश्ता है, लेकिन कभी-कभी यह एक जन्म तो क्या, कुछ साल भी नहीं टिक पाता। रिश्ते दरकते हैं तो सभी आहत होते हैं, लेकिन बेहतर जिंदगी के लिए कई बार शादी से बाहर निकलने का फैसला लेना भी जरूरी हो जाता है।
शादी सात जन्मों का रिश्ता है, लेकिन कभी-कभी यह एक जन्म तो क्या, कुछ साल भी नहीं टिक पाता। रिश्ते दरकते हैं तो सभी आहत होते हैं, लेकिन बेहतर जिंदगी के लिए कई बार शादी से बाहर निकलने का फैसला लेना भी जरूरी हो जाता है।
अपने आसपास हमें ऐसे कई किरदार मिल जाएंगे, जिनकी शादी काफी उतार-चढाव से गुज्ारी, मगर वे साथ रहे। ऐसे कपल भी हैं, जिन्होंने साथ जीने-मरने की कसमेंं खाईं, शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए। अरेंज्ड हो या लव, शादी धैर्य, भरोसे और सामंजस्य के आधार पर ही चलती है...। यह जितना गहरा रिश्ता है, उतना ही नाज्ाुक भी है। इसीलिए तो जो लोग शादी से पहले 'हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते का राग अलापते नज्ार आते थे, चंद ही बरस बाद 'हम तेरे संग अब रह नहीं सकते कहते नज्ार आते हैं।
दूसरी ओर भले ही तलाक के आंकडे समाज में बढ रहे हों, पर ठोस हकीकत यह है कि आज भी ज्य़ादातर शादियां परिवार, समाज और बच्चों की ख्ाातिर चलाई जा रही हैं। कई बार जिन बच्चों की ख्ाातिर रिश्ते को खींचा जाता है, वे ही माता-पिता के असहज रिश्तों के कारण घुटन महसूस करने लगते हैं। एक्सपट्र्स के पास ऐसे कई मामले आते हैं, जहां बुरी शादी के कारण बच्चों का निजी विकास अवरुद्ध होने लगता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जबरन रिश्तों को ढोना सही है?
अकसर लोगों को कहते देखा है कि शादी एडजस्टमेंट और समझौते के बल पर टिकती है, लेकिन सच यह है कि यह एडजस्टमेंट एक सीमा तक ही किया जा सकता है। अगर कोई लगातार अपनी अस्मिता, सुरक्षा, आत्म-सम्मान, अस्तित्व, सेहत और बच्चों के भविष्य को ताक पर रख कर एडजस्ट करता रहेगा तो ज्ााहिर है, एक दिन स्थिति विस्फोटक हो जाएगी। ऐसी शादी में रहने से बेहतर है कि इससे बाहर निकला जाए।
बच्चों के भविष्य का सवाल
35 वर्षीय लवी अग्रवाल मानती हैं कि वह पिछले 10 साल से केवल बच्चों की ख्ाातिर रिश्ते को ढो रही हैं। उनकी शादी में प्यार और विश्वास खो चुका है, लेकिन बच्चों को माता-पिता दोनों चाहिए, इसलिए वे एक साथ हैं।
जिंदल फेमिली की आठ साल की बच्ची अवंतिका दिन-प्रतिदिन कमज्ाोर होती जा रही है। नॉर्मल बच्चों की तरह न तो वह घर से बाहर निकल कर खेलती है, न ही उसके दोस्त हैं। पापा के घर लौटते वक्त वह डर से कांपने लगती है, यह सोच कर कि अब मां-पापा का झगडा शुरू हो जाएगा। इस कारण पढाई में वह पिछड गई है, उसके रिपोर्ट काड्र्स इसका सबूत हैं।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि जो कपल हमेशा लडते-झगडते रहते हैं, उनके बच्चों का सहज विकास नहीं हो पाता। ऐसे बच्चे या तो दब्बू हो जाते हैं या विद्रोही। इससे सिर्फ पढाई ही नहीं, उनका पूरा व्यक्तित्व प्रभावित होता है। ऐसे में कई बार माता-पिता का अलग होना ही सही फैसला होता है। तलाक से बच्चों को यही तकलीफ होती है कि उनके माता-पिता अलग हो गए, लेकिन बुरी शादी में उनका पूरा भविष्य ही बुरा हो सकता है।
नेेहा सक्सेना बताती हैं कि वह बहुत छोटी थीं, जब उनके मम्मी-पापा का तलाक हुआ। जब वे दोनों अलग हुए तो मुझे बहुत बुरा लगा, लेकिन अलग होने के बाद भी उन्होंने मेरी परवरिश बहुत अच्छी तरह की। मैं छुट्टियों में अकसर पापा के पास रहने उनके घर जाती थी। मेरी ज्िांदगी के हर छोटे-बडे फैसलों में मां के साथ ही पापा भी शामिल रहे। कुछ बुनियादी मुश्किलों के चलते वे अलग हुए और अलग होने के बाद ख्ाुश भी रहे। मेरी ख्ाातिर दोनों ने अपनी शादी तो तोडी लेकिन दोस्ती नहीं तोडी, शायद इसी कारण मैं आज तलाक को लेकर बहुत नकारात्मक सोच नहीं रखती। मैं अगर आज सफल हूं तो मेरे मम्मी-पापा दोनों का इसमें बराबर योगदान है। नेहा की मम्मी का कहना है कि वह अपने पति के संपर्क में हैं और कई बार वे दोनों एक-दूसरे की समस्याएं सुलझाने में मदद करते हैं। हां, हम अच्छे पति-पत्नी नहीं बन सके लेकिन अपनी बेटी की नज्ारों में हम अच्छे मां-बाप हैं।
पुरानी पीढी के लोग तलाक को बुरा मानते थे और यह है भी, लेकिन आज के संदर्भों में कई स्थितियां बदल गई हैं और अब तलाक को धीरे-धीरे स्वीकार्यता भी मिलने लगी है।
कब ज्ारूरी है तलाक
८ आप अकेले ज्य़ादा ख्ाुश रहते हैं और दूसरे की उपस्थिति एक अनावश्यक बोझ लगती है। आपको कभी एक-दूसरे की ज्ारूरत भी महसूस नहीं होती।
८ दोनों के बीच लगातार मौखिक-शारीरिक हिंसा और शोषण की स्थितियां बन रही हों।
८ मैरिज काउंसलर की थेरेपी ने लाभ न पहुंचाया हो और परिजनों का हस्तक्षेप भी काम न आ रहा हो।
८ पार्टनर का व्यवहार इतना बुरा हो कि आपके समझाने या सुधारने के सारे प्रयास नाकाफी साबित हो गए हों।
८ दोनों एक-दूसरे से झूठ बोलते हों और बातें छिपाते हों।
८ दोनों के बीच बातचीत बंद हो। एक घर में अजनबी की तरह रह रहे हों और एक-दूसरे की शक्ल तक न देखना चाहते हों।
८ पार्टनर संतानोत्पत्ति में असमर्थ हो, पागल, अपराधी, मनोरोगी, सैडिस्ट मानसिकता वाला हो और जिसके साथ मानसिक-शारीरिक नुकसान की आशंका हो। ऐसी स्थिति में तलाक को कोर्ट भी सही ठहराता है।
तलाक से पहले
८ आप तलाक क्यों चाह रहे हैं, ऐसे कारणों की सूची बनाएं और सोचें कि क्या वे कारण सही हैं या आप ओवर रिएक्ट कर रहे हैं।
८ उन कारणों को परिजनों के साथ शेयर करें और उनसे सलाह लें। कई बार भावनात्मक ऊहापोह या भ्रम की स्थिति में व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है, ऐसे में परिवार के सदस्यों, दोस्तों या काउंसलर की सलाह लेना बेहतर होता है।
८ सोचें कि क्या आप अपने रिश्ते को एक मौका और देना चाहते हैं? यदि हां तो कुछ दिन ठहर कर फिर से रिश्तों की समीक्षा करें।
८ बच्चों पर तलाक का क्या प्रभाव पडेगा और आप उन्हें कैसे पालेंगे... इस बारे में आपकी सोच क्या है, यह भी महत्वपूर्ण है। माता-पिता की ग्ालतियों की सज्ाा बच्चे क्यों भुगतें? उन्हें उनका हक दें, ताकि वे ख्ाुश रहें।
काउंसलर और बायटेंस वेबसाइट की फाउंडर और सीईओ डॉ. निशा खन्ना का कहना है कि हम कभी शादी तोडऩे की सलाह नहीं देते बल्कि चाहते हैं कि पति-पत्नी अपने सारे मुद्दे और वैचारिक मतभेद दूर करें। हम उनकी बातचीत सुनते हैं और समस्याएं सुलझाने में उनकी मदद भी करते हैं। लेकिन कई बार रिश्ते ऐसे मोड पर पहुंच जाते हैं, जब एडजस्टमेंट मुश्किल हो जाता है। ऐसा कम मामलों में ही होता है, लेकिन हो जाए तो हमारे सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं होता। ऐसे में तलाक ही बेहतर होता है। ऐसी कुछ स्थितियां हैं-
८ पति कई सालों से बेरोज्ागार हो और घर की कोई ज्िाम्मेदारी न पूरी कर रहा हो।
८ मामला घरेलू हिंसा का हो और वह काफी बढ गया हो।
८ पति को नशे की लत हो और सुधरने का कोई चांस न हो।
८ पति-पत्नी में वैचारिक मतभेद इस सीमा तक पहुंच गया हो कि लंबे समय से वे अलग-अलग कमरों में रहते हों।
८ दोनों में से किसी का विवाहेतर संबंध हो।
सामाजिक कार्यकर्ता शशि जैन का कहना है कि शादी की यात्रा करीब 50 साल की होती है। मॉडर्न सोसाइटी में इतनी लंबी शादी मिशन इंपॉसिबल के समान होती है। इसकी वजह है कि आजकल लडके-लडकियां स्वार्थी हो गए हैं। उनके बीच पैसे के अलावा माता-पिता से अलग रहने का झगडा सबसे ज्य़ादा है। सोशल न होना भी बडे झगडे का कारण बन जाता है। कई बार शादी से बाहर रिश्ते भी इसी वजह से बनते हैं।
मुंबई, दिल्ली, कोलकाता जैसे महानगरों में तलाक की दर छोटे शहरों से ज्य़ादा है। एक आकलन के मुताबिक इन दोनों शहरों में हर साल 10000 से अधिक तलाक होते हैं। देश में होने वाली हर सौवीं शादी का अंत तलाक में होता है।
बुरी शादी के नुकसान
८ ऐसे रिश्ते में आपका आत्मसम्मान कहीं गुम हो जाता है।
८ रिश्तेदार व दोस्त आपसे कतराने लगते हैं। वे आपके घर आने और आपको घर बुलाने से बचना चाहते हैं।
८ दोनों मानसिक तनाव में रहने लगते हैं।
८ अपने और बच्चों के भविष्य की चिंता हर समय परेशान करती है।
जिस रिश्ते में खुशी और प्यार न हो, उसे निभाने का कोई फायदा नहीं। इसलिए बाहर निकलें और आगे बढें। अलग होने का फैसला मुश्किल तो है, लेकिन यदि अपनी और बच्चों की ज्िांदगी का सवाल सामने हो तो यह ज्ारूरी हो जाता है। बाहर नहीं निकलेंगे तो जीवन में अन्य विकल्प नहीं ढूंढ सकेेंगे और न अकेले ज्िाम्मेदारियां संभालने की हिम्मत पैदा कर सकेेंगे। इसलिए सही समय पर फैसला लेना ज्ारूरी है।
सलेब्रिटीज्ा की राय
बिग बॉस से नाम कमाने वाली काम्या ने भी अपनी शादी में बहुत बुरे दिनों का सामना किया और अंत में तलाक ले लिया। अब वो अपनी बेटी की परवरिश अकेले ही कर रही हैं। काम्या को सिंगल पेरेंट होने पर गर्व भी है।
'मैं शादी में कई तरह की प्रॉब्लम्स से गुज्ारी हूं। थोडे से समय में मैंने बहुत कुछ झेला है। मैंने लगातार
मानसिक-शारीरिक यातनाएं सहन की। मेरा एक साल का बेटा है। ऐसे में मेरे लिए यह फैसला करना भी बहुत मुश्किल था कि पति से तलाक लूं या नहीं। लेकिन मैं शादी में घरेलू हिंसा झेल-झेल कर तंग आ चुकी थी और शायद किसी भी स्वाभिमानी लडकी के लिए ऐसी हिंसा झेलना आसान नहीं हो सकता। मुझे लगा कि रोज्ा-रोज्ा की किच-किच से अच्छा है कि हम अलग होकर नई ज्िांदगी शुरू करें। इसलिए मैं अपनी शादी से बाहर निकली और आज अपने फैसले से ख्ाुश हूं।
दलजीत कौर
शिखा जैन